मुहावरे किसे कहते है ?मुहावरे और लोकोक्तियां मे क्या अंतर होता है ?

मुहावरे किसे कहते है ?

मुहावरे जब कोई वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ में रूढ़ हो जाता है तो मुहावरा कहलाता है ।

मुहावरे -उदाहरण के साथ –

चलिए कुछ मुहावरे जानते है examples के साथ –

  • अंधे के आगे रोना -निर्दयी के सामने दुखरा रोना । (वाक्य मे प्रयोग) इस आदमी के मन में बिल्कुल दया नहीं है इसे अपना दुखड़ा सुनाने का अर्थ है -अंधे के आगे रोना ।
  • अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि से काम ना न लेना । (वाक्य मे प्रयोग) मेरी अक्ल पर पत्थर पर गए थे जो मैंने पढ़ाई छोड़ ने जैसा बेकार निर्णय लिया ।
  • अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारना -अपनी हानि स्वयं करना । (वाक्य मे प्रयोग) जो विद्यार्थी समय का सदुपयोग नहीं करते हैं वे अपने आप पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हैं ।
  • अपना ही राग अलापना -अपनी ही बात कहते जाना। (वाक्य मे प्रयोग) तुम दूसरे की बात तो सुनते ही नहीं,अपना ही राग अलाप ते रहते हो।
  • आंखें नीची होना -लज्जित होना (वाक्य मे प्रयोग) बेटे की करतूत का पता चलने पर रंगनाथन की आंखें नीची हो गई।
  • आंच ना आने देना – तनिक भी छती ना पहुंचने देना ।(वाक्य मे प्रयोग) मैं शपथ लेता हूं – चाहे प्राण चले जाएं परंतु अपने देश पर आंच ना आने दूंगा।
  • आकाश पताल का अंतर होना – बहुत अंतर होना।(वाक्य मे प्रयोग) इन दोनों बहनों में आकाश पाताल का अंतर है ।
  • आग बबूला होना – बहुत क्रोधित हो जाना ।(वाक्य मे प्रयोग) शिव जी का धनुष टूटा देख परशुराम आग बबूला हो उठे।
  • आग में घी डालना -क्रोध को और भड़काना ।(वाक्य मे प्रयोग) पिताजी ने तो पहले ही गुस्से में है तुम और शिकायतें करके क्यों आग में घी डाल रहे हो।
  • आस्तीन का सांप होना -कपटी मित्र । (वाक्य मे प्रयोग) वह आस्तीन का सांप है ,मैं तो सौरभ को बिल्कुल विश्वास नहीं करता।
  • उड़ती चिड़िया पहचानना – बहुत अनुभवी होना।(वाक्य मे प्रयोग) सोहन को अनारी मत समझना,वह तो उड़ती चिड़िया पहचानता है।
  • एक और एक ग्यारह होना -संगठन में शक्ति । (वाक्य मे प्रयोग) जब से दोनों भाइयों ने अपने झगड़े समाप्त कर इकट्ठे काम किए हैं घर में उन्नति 4 गुना हो गई है ।
  • कमर कसना -तैयार होना। (वाक्य मे प्रयोग) मेडल जीतना है तो प्रतियोगिता के लिए अभी से कमर कस लो।
  • कलाई खुलना -भेद खुल जाना। (वाक्य मे प्रयोग) जब पुलिस ने पूरी छानबीन की तो नकली डिग्री वाले कलक्टर की कलई खुल गई।
  • कलेजा ठंडा होना -संतोष होना। (वाक्य मे प्रयोग) जब तक वह अपना बदला ना लेगा तब तक उसका कलेजा ठंडा नहीं होगा।
  • कान का कतरना अथवा कान काटना -बहुत चतुराई दिखाना । (वाक्य मे प्रयोग) आजकल के बच्चों को सीधा-साधा मत समझना। यह तो कान कतरते हैं।
  • कान भरना -चुगली करना, शिकायतें करना । (वाक्य मे प्रयोग) रूही का स्वभाव है हर समय बहन के विरुद्ध अपनी मां के कान भड़ती रहती है।
  • कायापलट होना – किसी चीज का रूप बिल्कुल बदल जाना । (वाक्य मे प्रयोग) तुम्हारा शहर तो बहुत प्रगति कर गया है जैसे इसकी कायापलट ही हो गई है ।
  • कीचड़ उछालना – निरादर करना। (वाक्य मे प्रयोग) महापुरुषों पर कीचड़ उछालोगे तो तुम्हें कलंक लगेगा।

इनहे भी जाने –समास किसे कहते है उदाहरण के साथ जाने !

 कुछ मुहावरे और उनके अर्थ-

  •  खाक  छानना – दर-दर भटकना
  • खून का प्यासा होना -जानी दुश्मन हो ना
  • गुजर-बसर करना -किसी तरह गुजारा करना
  • घर फूंक तमाशा देखना -अपनी हानि पर आनंद मनाना
  • घाव हरा होना -भुला दुख याद आना।
  • चादर के बाहर पैर पसारना -आय से अधिक व्यय करना
  • चार चांद लगाना -प्रतिष्ठा या सुंदरता बढ़ाना
  • चिकना घड़ा होना ऐसे व्यक्ति जिस पर कोई प्रभाव ना पड़े
  • छाती पर मूंग दलना -जानबूझकर दुख देना
  • जले पर नमक छिड़कना -दुखी को और भी दुखी करना
  • जान हथेली पर रखना -मरने की परवाह ना करना
  • ठगा सा रह जाना -हैरान रह जाना
  • तलवार की धार पर चलना -अत्यंत कठिन तथा जोखिम का काम करना।
  • दिमाग सातवें आसमान पर होना -बहुत घमंड होना
  • दूध का धुला होना -निर्दोष होना
  • धरती पर पाव ना पड़ना -बहुत खुश होना
  • नाक रगड़ना -खुशामद करना
  • नाक भौं सिकोड़ना – घृणा व्यक्त करना
  • पगड़ी उछालना -अपमान करना
  • पहाड़ टूट पड़ना -कोई बड़ी आफत आ जाना
  • पांचों उंगलियां घी में होना -लाभ ही लाभ होना
  • पीठ ठोकना -प्रोत्साहित करना या शाबाशी देना
  • प्राण हथेली पर लिए फिर ना -जान की परवाह ना करना
  • बांछें खिल जाना – प्रसन्न होना
  • बात का धनी होना -वायदे का पक्का होना
  • माथा ठनकना -अनिष्ट के पहले से आशंका होना
  • मुंह तोड़ जवाब देना -निरस्त करना
  • रोंगटे खड़े होना -भयभीत हो जाना
  • रोड़ा अटकाना -बाधा डालना
  • सिर पर चढ़ना -प्यार के कारण बहुत ढ़िठ हो जाना
  • हक्का-बक्का रह जाना -हैरान रह जाना

लोकोक्तियां किसे कहते है ?

लोक में प्रचलित वे कथन जो लोग अनुभव के आधारित हो लोकोक्तियां कहलाते हैं ।

मुहावरे और लोकोक्तियां के अंतर –

मुहावरे अपना शाब्दिक अर्थ छोड़कर रूढ अर्थ ग्रहण कर लेते हैं वहीं लोकोक्तियां में लोक जीवन के किसी अंश की अभिव्यक्ति होती है।

लोकोक्तियां के उदाहरण –

  •  अंधा क्या मांगे दो आंखें- बिना प्रयत्न मनचाही वस्तु मिलना।
  • अंधेर नगरी चौपट राजा- अयोग्य शासक के राज्य में अव्यवस्था का बोलबाला।
  • अधजल गगरी छलकत जाए- कम क्षमता का व्यक्ति अधिक घमंड करता है।
  • अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है- अपने क्षेत्र में निर्बल भी बलवान हो जाता है।
  • अपनी अपनी डफली अपना अपना राग- सबका अलग-अलग विचार रखना। 
  • एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा हुआ- एक दोस्त तो था ही दूसरा और आ गया।
  • एक ही थैली के चट्टे बट्टे- सब एक जैसे बुरे।
  • ओखली में सिर दिया तो मुसल से क्या डरना- काम करने का निश्चय कर लेने पर बाधाओं से ना घबराना।
  • कोयले की दलाली में मुंह काला- बुरा काम करने से बदनामी मिलना।
  • खोदा पहाड़ निकली चुहिया- प्रयत्न अधिक और लाभ कम।
  • घर का भेदी लंका ढाए- आपस की फूट हानिकारक होती है।
  • चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात- सुख के दिन सदा नहीं रहते।
  • चिराग तले अंधेरा -अपनी बुराई ना दिखाई देना।
  • चोर की दाढ़ी में तिनका- अपराधी स्वयं ही भयभीत रहता है।
  • जिसकी लाठी उसकी भैंस- शक्तिशाली की ही जीत होती है।
  • जो गरजते हैं वह बरसते नहीं- सौर अधिक काम कम।
  • डूबते को तिनके का सहारा – मुसीबत मे थोड़ी सहायता बहुत होती है।
  • थोथा चना बाजे घना- आयोग व्यक्ति बढ़-चढ़कर बातें करता है।
  • दूध का दूध पानी का पानी- ठीक न्याय।
  • धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का- कहीं का न रहना।
  • नाच ना जाने आंगन टेढ़ा- अयोग्यता छुपाने के लिए बहाने बनाना।
  • नाम बड़े दर्शन छोटे- दिखावा अधिक  वास्तविकता कम। 
  • बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद- मूर्ख व्यक्ति गुणों की परख नहीं कर सकता।
  • सिर मुड़ाते ओले पड़े- काम के आरंभ में ही मुसीबत आना। 
  • होनहार बिरवान के होत चिकने पात -योग्य व्यक्ति के लक्षण बचपन में ही दिखने लगते हैं।