Magadha dynasty:complete history of magadha dynasty-In hindi
दोस्तों आज के इस पोस्ट मे हम Magadha dynasty(मगध साम्राज्य की ) बात करेगे । जो सभी सिविल प्रतियोगी परीक्षों की दिष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है । मगध तथा 16 जनपदों से बहुत से महत्वपूर्ण प्रश्न अक्सर पूछे जाते है । अतः मैंने यह कोशिस की है सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ को इस पोस्ट के माध्यम से आपके सामने प्रस्तुत कर सकू ।
Magadha dynasty एक बहुत ही शक्तिशाली साम्राज्य जिसने लगभग 684-320 ईसा पूर्व तक पूरे भारतवर्ष मे शासन किया । महाकाव्य के अनुसार बृहद्रथ ने मगध की नीव रखी थी । लेकिन हर्यक वंश के बिंबिसार ने मगध का विस्तार किया । वही मगध जो आज बिहार के नाम से जाना जाता है । बिहार के पटना,गया,नालंदा,औरंगाबाद तथा उसके आसपास के क्षेत्र मे फ़ेला हुआ था ।
मगध साम्राज्य के इतिहास की बात करे तो इसका इतिहास इतना गौरवानवित रहा है । कि इसका प्रभुत्व पूरे भारतवर्ष मे पड़ा । छठी शताब्दी के पहले भारत का इतिहास 16 जनपदों के संघर्ष का इतिहास रहा है । जिसमे सभी को अपना प्रभुत्व स्थापित करने की होड मची हुई थी । जिसमे मगध अपने भौगोलिक कारणों तथा अन्य कारणों के कारण अपना साम्राज्य स्थापित करने मे सफल रहा जिससे मगध साम्रज्य की स्थापना हुई ।
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मगध साम्रज्य का उत्कर्ष Rise of magadha dynasty
मगध साम्राज्य को आगे बढ़ने का सबसे बड़ा कारण इसकी आर्थिक,प्रशासनिक तथा भौगोलिक स्थिति थी । मगध भौगोलिक रूप से गंगा,सोन,तथा गंडक नदियों के संगम पर स्थित था ।यह एक ओर जलदुर्ग द्वारा शत्रुओ से सुरक्षित था । वही दूसरी ओर जलोढ़ मिट्टी की परिपूर्ण होने की वजह से पर्याप्त मात्रा मे पैदावर होता था ।
नदियों की समीपता के कारण जलीय परिवहन द्वारा व्यापार मे सुगमता होती थी । पर्याप्त मात्रा मे पैदावर एवम् उन्नत व्यापार प्रजा को सुखी सम्पन्न बनाए हुई थी । जिससे राजा को भी समुचित रूप से कर की प्राप्ति हो पा रही थी । अतः मगध आर्थिक रूप से सुखी सम्पन्न प्रदेश था । सौभाग्य से मगध को कई सुयोग शक्तिशाली प्रशासक मिलते चले गए । जिससे क्षेत्र की सीमा मे निरंतर विस्तार होता चला गया ।
प्रमाणों की बात करे तो अथर्वेद मगध की जानकारी मिलती है । तथा अंगुतर निकाय और भगवती सूत्र मे महाजनपदों की उल्लेख मिलता है । इन दोनों साहित्य मे महाजनपद के नामों मे थोड़ी भिन्नता देखने को मिलती है । अगर बात करे महाजनपद की तो छठी शताब्दी ईसा पूर्व समस्त भारत 16 महाजनपदों मे विभक्त हो गया ।
इस काल के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ की चर्चा भी इस पोस्ट मे हम करेगे । जो किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । महाजनपदों मे ज्यादा राज्यों मे राजतन्त्र व्यवस्था थी । केवल कुछ राज्यों मे गणतांत्रिक व्यवस्था की भी चर्चा मिलती है ।
महाजनपदों
वर्तमान में 16 महाजनपदों में 14 महाजनपद भारत तथा 2 महाजनपद पकिस्तान क्षेत्र मे स्थित है । भारत के उतरप्रदेश मे सार्वधिक 8,बिहार मे 3 तथा राजस्थान मे 1,मध्यप्रदेश मे 1 और दक्षिण भारत मे 1 क्षेत्र पड़ते है ।
काशी महाजनपद :-
- वर्तमान वाराणसी एवम् उसका सीमावर्ती क्षेत्र काशी महाजनपद कहलाता था ।
- इसकी राजधानी वाराणसी थी।
- जो वरुणा एवम् अस्सी नदियों के बीच मे थी । ।
अंग महाजनपद :-
- इसके अंतर्गत भागलपुर और मुंगेर के क्षेत्र आते थे ।
- इसकी राजधानी चंपा थी ।
- एवम् इसका शासक ब्रह्यदत था ।
- बाद मे बिंबिसार ने अंग को मगध मे मिला लिया ।
कोशल महाजनपद –
- इसके अंतर्गत फैजाबाद क्षेत्र आता है ।
- इसकी राजधानी श्रावस्ती थी
- सरयू नदी इसे दो भागों मे बाटती थी ।
- उतर कौशल और दक्षिण कौशल ।
- प्रसेनजीत यहाँ का प्रसिद्ध शासक था ।
4 वत्स महाजनपद –
- आधुनिक इलाहाबाद एवम् कोशाम्बी जिला इसके अंतर्गत था
- इसकी राजधानी कोशाम्बी था ।
- अवन्ती महाजनपद ने वत्स को अपने साम्राज्य मे मिला लिया था ।
5 मगध महाजनपद –
- यह वर्तमान पटना तथा पटना के आस पास का क्षेत्र है।
- इसकी राजधानी राजगृह (गिरिव्रज )थी ।
- यहाँ पर सर्वप्रथम हयर्क वंश का शासन था ।
6 वजिज् महाजनपद –
- यह आठ राज्यों का संध था ।
- यह गणतंत्र माहाजनपद था ।
- इसका प्रमुख संघ लिच्छवि था ।
- जिसकी राजधानी वैशाली था ।
7 मल्ल महाजनपद –
- मल्ल भी एक गणतांत्रिक महाजनपद था ।
- जो आधुनिक गोरखपुर मे स्थित है ।
- कुशीनगर /कुशवती यहाँ की राजधानी थी ।
- मत्स्य यह राजस्थान का क्षेत्र है
- जिसकी राजधानी विराटनगर थी ।
8 कुरु महाजनपद –
- यह वर्तमान के हरियाणा,मेरठ,और दिल्ली का क्षेत्र है ।
- इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी ।
- दिल्ली का प्राचीन नाम योगिनीपुर था ।
10 चेदि महाजनपद –
- यह वर्तमान के बुंदेलखंड मे अवस्थित है ।
- इसकी राजधानी शक्तिमती थी ।
11 अस्मक महाजनपद –
- यह दक्षिण भारत मे अवस्थित एक मात्र राज्य था ।
- जिसकी राजधानी पोटना या पोटिल थी ।
12 शूरसेन महाजनपद –
- यह उतर प्रदेश का क्षेत्र है ।
- जिसकी राजधानी मथुरा थी ।
- मेगास्थनीज ने इंडिका मे शूरसेन का वर्णन किया है ।
13 अवनित महाजनपद –
- इसमे वर्तमान क्षेत्र का मध्य प्रदेश और मालवा शामिल था ।
- इसकी दो राजधानी थी ।
- उतरी अवन्ती की राजधानी उज्जैन था।
- दक्षिणी अवन्ती की राजधानी महिषमती ।
- मगध शासक शिशुनाग ने इसे मगध मे मिलाया था ।
14 पांचाल महाजनपद –
- पांचाल के अंतर्गत बरेली,बदायू,एवम् फरुखाबाद शामिल था ।
- इसकी भी दो राजधनियाँ थी ।
- उतर की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिण की राजधानी कामिपल्य ।
15 गांधार महाजनपद –
- आधुनिक पाकिस्तान का रावलपिंडी तथा पेशावर गंधार के अंतर्गत आते थे ।
- जिसकी राजधानी तक्षशिला थी ।
- पाणिनी यही के निवासी थे ।
16 कम्बोज महजनपद –
- यह पाकिस्तान मे अवस्थित था
- जिसमे राजोड़ी और हजारा आते थे ।
- इसकी राजधानी हाटक या राजपुर कहलाते थे ।
- यह घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था ।
Magadha dynasty –मगध के वंशनज :-
माहाकाव्यों और ग्रंथों की माने तो बृहद्रर्थ ने मगध की स्थापना की थी । जो वसु का पुत्र और जरासंध का पिता था । जिसे आगे चलकर तीन वंशों ने आगे बढाया । जो निम्नलिखित है
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हर्यकवंश(544-492 ईसा पूर्व ) :-
जिसके संस्थापक बिबिंसार था । यह महात्मा बुद्ध का मित्र और संरक्षक था । जिसने 544-492 ईसा पूर्व तक राज्य किया । राजगृह (गिरिव्रज)उसकी राजधानी थी ।बिंबिसार को श्रेणिक (सेना रखने वाला)भी कहा जाता है । बिंबिसार ने विजय और विस्तार की नीति शुरू की बिंबिसार ने तीन शादियाँ की जिससे बिंबिसार ने अपनी स्थिति मजबूत की ।
पहला विवाह कौशल राज्य की पुत्री महाकोशला देवी से की । जिससे काशी दहेज के फलस्वरूप प्राप्त हुआ ।दूसरा विवाह लिच्छवी की राजकुमारी चेल्लना थी । जिसने अजातशत्रु को जन्म दिया । तीसरी रानी क्षेमा थी । जो मद्र कुल की राजकुमारी थी । इन विवाह के फलस्वरूप मगध का विस्तार पशिचम एवं उतर की ओर फैला । बिंबिसार ने अंग के राजा ब्रहादत की हत्या कर अंग को अपने राज्य मे शामिल कर लिया ।
अजातशत्रु (492-460 ईसा पूर्व )-
अजातशत्रु ने अपने पिता बिंबिसार की हत्या कर गद्दी पर बेठा । अजातशत्रु को कुणीक भी कहा जाता है । इसने कोशल एवम् वैशाली को पराजित कर मगध मे मिलाया । अजातशत्रु ने ही पहली बार महाशिलाकंटक तथा रथमुसलन जैसे हथियार का इस्तमाल किया । अवन्ती से रक्षा करने के लिय राजगीर की किलेबंदी करवाई । प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन अजातशत्रु ने ही करवाया ।
उदयिन (460 -444 ईसा पूर्व )-
उदयिन ने ही सर्वप्रथम पाटलीपुत्र को अपनी राजधानी बनाया । इसने ही गंगा और सोन नदी के संगम पर एक किला बनाया । इस वंश का अंतिम शासक नागदशक था ।
शिशुनाग वंश – (412 -345 ईसा पूर्व )-
शिशुनाग नागदशक का आमात्य था । इसने नागदशक की हत्या कर शिशुनाग वंश की स्थापना की । इसने वैशाली को मगध की राजधानी बनाया । शिशुनाग ने ही अवन्ती को पराजित कर मगध मे मिलाया ।
कालाशोक (394 -366 ईसा पूर्व )-
इसने पाटलीपुत्र को फिर से राजधानी मे बदला । इसी के शासनकाल मे दितीय बौद्ध संगीति हुई । नंदिवर्धन इस काल का अंतिम शासक था ।
नंदवंश (344-334 ईसा पूर्व )-
महापदमनन्द नंदवंश का स्थापक था । इसने कलिंग को मगध मे मिलाया । विजय स्मारक के रूप मे कलिंग से जिन की मूर्ति मगध ले आया था । इसने आपने आप को एकराट कहा था ।
धननंद –
यह इस वंश का अंतिम शासक था । यह सिकंदर के समकालीन था । चाणक्य ने चन्द्रगुप्त के साथ मिलकर धनंनद को पराजित कर मौर्य वंश की स्थापना की ।
सिकंदर का आक्रमण –
सिकंदर मकदूनिया का राजा फिलीप दितीय का पुत्र था । तथा अरस्तू का शिष्य था । सिकंदर ने एशिया ,तुर्की,ईरान,ईराक पर विजय प्राप्त करने के बाद 326 ईसा पूर्व खैबर दर्रा पार कर भारत पर आक्रमण किया। जिससे तक्षशिला के शासक आमिभ ने घुटने टेक दिया ।
एरियन | यूनानी इतिहासकर |
नियार्कस | सिकंदर का जल सेनापति |
सेल्युकस | सिकंदर का सेनापति |
हाईडेसपीज का युद्ध –
झेलम नदी के किनारे सिकंदर को पोरस का सामना करना पड़ा । परंतु पोरस की हार हुई । पर पोरस की बहादुरी को देखकर सिकंदर ने पोरस का राज्य लोटा दिया । सिकंदर की सेना ने व्यास नदी से आगे बढ़ने से इंकार कर दिया । सिकंदर भारत मे लगभग 19 महीने तक रहा । 323 ईसा पूर्व बेबीलोन मे सिकंदर की मौत हो गयी ।
सिकंदर ने पश्च्मि भारत मे कुछ उपनिवेश बसाए । काबुल मे सिकंदरिया,तथा झेलम के तट पर अपने घोड़े की याद मे बुकेफाल उपनिवेश एवम् निकाईया उपनिवेश जहां पोरस के साथ युद्ध हुआ था । सिकंदर ने नियकर्स को सिंधु नदी के मुहाने से फरात नदी के तट तक समुन्द्र तट का पता लगाने भेजा था ।