SANGYA- संज्ञा किसे कहते हैं तथा संज्ञा के भेद -उदाहरण से समझे
दोस्तों संज्ञा के बारे में हमने बचपन से ही सुना और पढ़ा है। किंतु जब संज्ञा को अन्य संज्ञाओं से भाववाचक संज्ञा,समूहवाचक संज्ञा से या फिर विशेषण से या सर्वनाम आदि से बदलने की बात आती है तो हमें कई प्रकार की कंफ्यूजन होने लगती है। तो आज के इस भाग में हम संज्ञा तथा उनके भेद के साथ,संज्ञा के रूप में परिवर्तन तथा भाववाचक संज्ञा की रचना और उसके प्रकारों की चर्चा करेंगे। तो चलिए एक उदाहरण से (SANGYA ) संज्ञा को समझते हैं।
एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 कोलंदन में हुआ था। उनकी मृत्यु 20 सितंबर 1933 कोमद्रास में हुई। एनी बेसेंटथियोसॉफिस्ट सोसाइटी की अध्यक्षता थी। एनी बेसेंटभारत की आजादी की पक्षधर थी। यह एक उदार महिला थी।
ऊपर लिखे उदाहरण में रंगीन किये हुए शब्द व्यक्ति शहर तथा वस्तु विशेष तथा भाव को दर्शा रहा है। इसमें एनी बेसेंट के गुणों का भी आभास करा रहा है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि-
किसी भी प्राणी, वस्तुओं, स्थान, अवस्था, गुण या भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्द को संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा के प्रकार -Types of Noun
संज्ञा को किसी व्यक्ति, जाति, तथा भाव के आधार पर तीन भागों में बांटते हैं। व्यक्तिवाचक संज्ञा , जातिवाचक संज्ञा, और भाववाचक संज्ञा। व्यक्तिवाचक संज्ञा- संज्ञा शब्द किसी एक विशेष वस्तु स्थान अथवा व्यक्ति का बोध करवाएँ,उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं ;जैसे -गंगा हिमालय, रमा, गीता, मोहन ,मुंबई, अमृतसर, पाकिस्तान आदि किसी जगह व्यक्ति, वस्तु विशेष की ओर संकेत करें, अतः यह व्यक्तिवाचक संज्ञा है ।
- चंद्रमा, सूर्य, पृथ्वी, आदि को व्यक्तिवाचक ही माना जाएगा। इनका प्रयोग बहुवचन के रूप में नहीं होता,अतः इन्हें व्यक्तिवाचक ही माना जाएगा।
जातिवाचक संज्ञा- जो संज्ञा शब्द किसी जाति समूह विशेष का बोध करवाएँ, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे -नगर, कलम, बगीचा, फूल, नदी, प्रांत, सेना आदि जातिवाचक संज्ञाँ हैं। यह सभी उदाहरण किसी विशेष नगर, कलम आदि का संकेत नहीं करते बल्कि इन सभी की पूरी जाति यानी पूरी समुदाय के लिए प्रयुक्त होते हैं, अतः यह जातिवाचक संज्ञा आए हैं।
जातिवाचक संज्ञा के दो और भेद माने जाते हैं द्रव्यवाचक संज्ञा और समूहवाचक संज्ञा इन्हें जातिवाचक संज्ञा के ही श्रेणी में रखा जाता है। क्योंकि यह भी जाति का ही बोध करवा रहे हैं। इन्हें अलग उपभेद कहने का भी कोई औचित्य नहीं जान पड़ता।
भाववाचक संज्ञा- भाववाचक संज्ञा शब्द किसी भी वस्तु या व्यक्ति के भाव को, दशा को, अवस्था, स्वभाव आदि को दर्शाता है,उसे भाववाचक संज्ञा कहते है। जैसे -मिठास घृणा, नीचा ,भय ,बुढ़ापा, यौवन, मोटापा, बेईमानी, कुरूपता, प्रार्थना, बेवकूफी, आदि।
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भाववाचक संज्ञाओं की रचना
कुछ संज्ञा ( SANGYA)अपने वास्तविक रूप से ही भाववाचक होती है, जैसे -क्षमा, दया ,सत्य, प्रेम, जन्म, सुख, मृत्यु आदि। कुछ भाववाचक संज्ञा है,अन्य शब्दों से बनाई जाती है; जैसे -मित्र से मित्रता लंबा से लंबाई।
भाववाचक संज्ञा की रचना पाँच प्रकार से की जाती है-
जातिवाचक संज्ञाओ से –
जातीवाचक | भाववाचक |
मनुष्य | मनुष्यता |
देव | देवत्व |
खिलाड़ी | खेल |
चिकित्सक | चिकित्सा |
शिशु | शैशव |
माता | मातृत्व |
ईमान | ईमानदारी |
पशु | पशुता |
लड़का | लड़कपन |
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा |
अहं (मैं के अर्थ में ) | अंहकार |
अपना | अपनापन |
मम | ममता |
अहं भाववाचक और सर्वनाम दोनों हैं। वाक्य के अनुसार इसकी पहचानना होता है की कब यह सर्वनाम के लिए तो कब यह भाववाचक संज्ञा के लिए प्रयुक्त हो रहा हैं। इसका भाववाचक संज्ञा अहंकार होगा।
विशेषण | भाववाचक संज्ञा |
सुंदर | सुंदरता |
मीठा | मिठास |
आलसी | आलस्य |
बुरा | बुराई |
चतुर | चतुराई |
क्रिया | भाववाचक संज्ञा |
दौड़ना | दौड़ |
चढ़ना | चढ़ाई |
पढ़ना | पढ़ाई |
पहुँचना | पहुँच |
कमाना | कमाई |
अव्यय | भाववाचक संज्ञा |
धिक् | धिक्कार |
मना | मनाही |
व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-
व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग सदा एकवचन में होता है लेकिन कभी-कभी किसी विशेष संदर्भ में जातिवाचक संज्ञा के रूप में भी प्रयुक्त हो जाता है। संज्ञा संज्ञा (SANGYA) जब कोई व्यक्ति वाचक संज्ञा व्यक्ति विशेष का बोध न करवाकर उस व्यक्ति के गुण दोष से युक्त व्यक्तियों का बोध करवाए, तब वह जातिवाचक संज्ञा की श्रेणी में आ जाता है। जैसे -आज भी एकलव्य की कमी नहीं। यहाँ एकलव्य अपनी गुरु भक्ति का प्रतिनिधित्व कर रहा है। या फिर विभीषणों के कारण भारत की उन्नति बहुत ही कठिन है। यहाँ विभीषणों से तात्पर्य देश के प्रति गद्दार लोगों को से हैं।
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-
जब कोई जातिवाचक संज्ञा किसी विशेष व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होती है। तब वह जाती का बोध न करवाकर किसी व्यक्ति विशेष का बोध करवाती है ; जैसे- देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई यहां सरदार वल्लभ भाई पटेल से है ना की किसी जाति विशेष से। देश की स्वतंत्रता के इतिहास में गांधी को कौन भुला सकता है? यहां गांधी जाति विशेष का नहीं बल्कि मोहनदास करमचंद गांधी के बारे में दर्शाता है।
विशेषण का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-
कभी-कभी विशेषण भी जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त होते हैं;जैसे – बाढ़ पीड़ितों के लिए सेना ने मदद पहुँचाई। अच्छे लोगों की संगति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
भाववाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-
भाववाचक संज्ञा एकवचन के रूप में ही प्रयुक्त होती है परंतु जब किसी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग बहुवचन में होता है तब वह जातिवाचक संज्ञा का रूप ले लेती है। जैसे- मदर टेरेसा की अच्छाइयों को आज भी याद किया जाता है। दूर संचार के साधनों ने दूरियों को कम कर दिया है। युवाओं को विभिन्न दरों में भाग लेना चाहिए। यहाँ अच्छाइयाँ दूरियां दौरों का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में है।
जानने योग्य बातें-
सब्जी, ऋतु विशेष को व्यक्तिवाचक संज्ञा( SANGYA)नहीं माना जाता है; जैसे- लौकी, टिंडे, आलू, गर्मी, सर्दी आदि जातिवाचक संज्ञा है। सब्जी/ ऋतु विशेष का नाम होते हुए भी व्यक्ति वाचक संज्ञा ना होकर जातिवाचक संज्ञा है।