दोस्तों आधुनिक दौर में बहुत कुछ परिवर्तन हो गया है। बहुत कुछ digitalized हो गया है। डिजिटिलाइजेशन केवल हमारे काम में ही नहीं बल्कि हमारे पढ़ाई,सीखने की व्यवस्था में भी व्यपाक परिवर्तन ला दिया है। आज घर के काम जैसे बुकिंग,शॉपिंग,ऑफिस का काम,स्कूल की पढ़ाई सभी कुछ मशीन पर आधारित हो गया है।
हम निरंतर अनुभव कर रहे है विशेषकर पढ़ाई के क्षेत्र में घर में ही मोबाइल कंप्यूटर के जरिए पढ़ाई हो रही है। यह E learning(ई लर्निंग) का उदाहरण है, चलिए विस्तार से समझते हैं।
E learning ई लर्निंग क्या है?
ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली या E learning सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक समर्थित शिक्षा से अध्ययन को परिभाषित करता है। ई शिक्षा में वेब आधारित शिक्षा कंप्यूटर पर आधारित शिक्षा आभासी कक्षाएं तथा डिजिटल सहयोग शामिल होता है।
इसमें पाठ्य सामग्रियां इंटरनेट के द्वारा ऑडियो,वीडियो, टेप,टीवी और सीडी रोम के जरिए प्राप्त किया जा सकता है। इसमें छवि, एनिमेशन, स्ट्रीमिंग, वीडियो, ऑडियो के द्वारा प्रस्तुति होती है। जो बहुत ही सरल और रोचक हो जाता है।
अर्थात अगर कम शब्दों में कहे तो E learning कहने का मतलब इलेक्ट्रॉनिक चीजों के द्वारा पढ़ाई का करना जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, टेबलेट आदि के द्वारा इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई करना ज्ञान अर्जित करना ई लर्निंग कहलाता है। इसे मशीन लर्निंग भी कहते हैं। जिसमें वर्चुअल क्लासरूम तथा विभिन्न tool के इस्तेमाल से पढ़ाई को संचालित करते हैं। इसके कई रूप हैं जैसे, यूट्यूब से सीखना, एप्स से सीखना आदि।
कुछ सालों पहले जब इ लर्निंग की कल्पना की गई थी तो लोगों ने इस पर विश्वास नहीं किया था कि कैसे इन लर्निंग से पढ़ा जा सकता है लेकिन आधुनिक तकनीकों ने सभी प्रश्नों का जवाब देते हुए इन इ लर्निंग को घर घर पहुंचा दिया अब यह बहुत ही प्रख्यात तथा बच्चों की में भी यह रोचक होते जा रहा है।
ई लर्निंग की जो सबसे अच्छी बात है कि अगर किसी भी कंसेप्ट को अगर आप एक माध्यम, एक टीचर के द्वारा नहीं समझ रहे हैं तो आप तुरंत दूसरा ऑप्शन तलाश कर सकते हैं। यह सिर्फ ऑनलाइन study तक सीमित नहीं रह गया है। यह स्कूल तथा विश्वविद्यालयों के द्वारा भी इसे बखूबी अपनाया जा रहा है।
E learning ई लर्निंग का इतिहास-
अगर इसके आरंभ की बात करें तो इसकी शुरुआत 1993 ईस्वी में ही हो गई थी। विलियम डी के द्वारा विलियम डी ने कई सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के साथ इलेक्ट्रॉनिक मेल वैक्स आदि के साथ ऑनलाइन कंप्यूटर वितरित व्याख्यान ट्यूटोरियल और मूल्यांकन परियोजना का वर्णन किया था।
फिर 1997 में डब्लू डी ग्रैजिया डी और अन्य ने बिल्डिंग एसिकॉर्न्स एंड सिंक्रोनस टीचिंग लर्निंग एनवायरमेंट नाम का एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें प्रौद्योगिक आधारित पाठ्यक्रम के विकास और प्रबंध की पूरी प्रक्रिया को समझाया था। इसके बाद समय के साथ संपूर्ण ऑनलाइन शिक्षण में क्रमिक वृद्धि होने लगी थी।
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E learning ई लर्निंग के प्रकार-
अगर हम ई लर्निंग के प्रकार की बात करें तो यह दो प्रकार के होते हैं । 1 synchronous 2 Asynchronous
Synchronous-
इसमें एक ही समय में सीखने वाला तथा सिखाने वाला उपस्थित रहता है। तथा वर्चुअल क्लासरूम से एक दूसरे के साथ जुड़ा रहता है। इसलिए इसे रियल लर्निंग टाइम भी कहा जाता है। वर्चुअल क्लासरूम को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए बहुत से टूल्स की आवश्यकता होती है। जैसे प्रेजेंटेशन करने के प्रेजेंटेशन टूल, वाइट बोर्ड आदि। इन सभी की सहायता से आप पारंपरिक शिक्षा जैसा अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
Asynchronous-
इसका उदाहरण ब्लॉग वेबसाइट,ऑनलाइन कोर्स, यूट्यूब, वीडियो,ऑडियो का उत्तम उदाहरण है। इसमें छात्र और शिक्षक को एक ही समय में मौजूद होने कि कोई भी बाध्यता नहीं होती है। इसमें आप अपनी समय के अनुसार चीजों को सीख सकते हैं।
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E learning ई लर्निंग के फायदे-
अमेरिका शिक्षा विभाग द्वारा किए गए 12 वर्ष के अनुसंधान के विश्लेषण के अनुसार पारंपरिक शिक्षा की तुलना में ऑनलाइन अध्ययन करने वाले छात्रों का प्रदर्शन बेहतर होता है। इसमें छात्र अपनी शारीरिक,राजनीतिक तथा आर्थिक स्थितियों के बाहर जाकर भी पढ़ाई का लाभ उठा सकते हैं।
इसका शिक्षा का सत्र 24×7 उपलब्ध रहता है। शारीरिक रूप से कक्षा में भाग लेने की समय सीमा होती है लेकिन इसमें ऐसा नहीं है। ई लर्निंग के कारण डिजिटल साक्षरता कौशल का विकास होता है।
E learning ई लर्निंग के नुकसान-
ई लर्निंग के फायदे के साथ नुकसान भी बहुत है जैसे इसमें शारीरिक परिश्रम ना के बराबर होता है। जिससे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचता है आंखों के लिए भी इसे बहुत अच्छा नहीं माना जाता है।
तथा सबसे बड़ी बात इंटरनेट में बहुत सी चीजें रहती है अर्थात यहा ध्यान देने की जरूरत है कि बच्चों के लिए क्या सही है तथा क्या गलत है इस पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। इसे हम किडस्पेस के द्वारा नियंत्रित कर सकते हैं।
E learning के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म-
- चलिए अंत में E learning के कुछ प्लेटफार्म को जानते है जिसके द्वारा आप सीख सकते हैं, तथा सिखा सकते हैं जैसे-
- youtube
- Byju’s
- linkedin learning
- udemy
Kids space क्या है?
यह मोबाइल की ऐसी सेटिंग है जिसके द्वारा आप छोटे बच्चों को सेफ रख सकते हैं। खासतौर पर जब आप अपना मोबाइल बच्चों को पढ़ाई के लिए देते हैं तब। Kids space से आप जो चाहेगे वही एप्लीकेशन या फोल्डर को बच्चों को यूज करने दे सकते हैं। जो उनके लिए आवश्यक है इसके अलावा बच्चे मोबाइल में कुछ भी नहीं कर सकते।
चलिए इसकी सेटिंग को समझते हैं। इसके लिए सबसे पहले आप फोन की सेटिंग में जाएं। उसके बाद सिक्योरिटी वाले ऑप्शन को सेलेक्ट करें तत्पश्चात सिलेक्ट किडस्पेस फिर एक्सेस के लिए allowed करें। और अंत में आपको सिर्फ बच्चों की एप्प पर टिक मार्क लगाना है। अब आपका फोन पूरी तरह तैयार है बच्चों के इस्तमाल के लिए।
Conclusion
आशा है दोस्तों E learning क्या है तथा इसके प्रकार ,इसके इतिहास तथा इसके फायदे तथा नुकसान के अलावा Kids space क्या है इसकी जानकारी मिली होगी । अगर जानकारी अच्छी लगी तो लाइक और शेयर करना ना भूले आपके प्रश्न तथा आपके सुझाव का इंतजार रहेगा धन्यवाद।
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