Maurya dynasty:complete history of maurya dynasty
Maurya dynasty –धननंद जो सिकंदर के समकालीन था । जो मगध साम्राज्य के नन्दवंश का अंतिम शासक था । उसी धननंद को चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ मिलकर पराजित कर मौर्य साम्राज्य की नीव रखी । जो भारतवंश का सबसे बड़ा Maurya dynasty मौर्य साम्राज्य कहलाया । जिसने 321 ई.पूर्व से लेकर 185 ई. पूर्व तक सता मे रहा । Maurya dynasty(मौर्य सम्राज्य )की चोहदी की बात करे तो यह गंगा नदी के मैदान से शुरू होकर अफगानिस्तान तक फैली हुई थी। जिसके सभी साक्ष्य तथा सभी स्रोतों की चर्चा आज हम इस भाग के करेगे ।
मौर्य साम्राज्य के साहित्क स्रोत
अर्थशास्त्र -चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र मौर्य वंश की राजव्यवस्था की विस्तुत जानकारी देता है । यह पंद्रह भाग मे विभाजित है तथा इसमें सात अंगों का वर्णन है । राजा,मंत्री,मित्र,सेना,कोष,दुर्ग,एवम् जनपद । अर्थशास्त्र मुखयतः संस्कृत मे लिखा हुआ है ।
- मुद्राराक्षस -इसमें नंदवंश के पतन तथा मौर्य वंश के उत्थान के बारे मे लिखा हुआ है ।
- इंडिका -मेगास्थनीज की इंडिका मे मौर्य काल के प्रशासन,समाज,अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालता है
- जसिटन -यूनानी लेखक के अनुसार चन्द्रगुप्त ने पूरे भारत पर विजय प्राप्त की ।
- दीपवंश एवम् महावंश -इनके अनुसार अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार श्रीलंका तक किया।
- जूनागढ़ अभिलेख –रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख मे चन्द्रगुप्त का वर्णन है । तथा सुदर्शन झील का भी उल्लेख है । जिसे पुषयगुप्त वेशय ने सोरक्षत क्षेत्र मे सिचाई के लिए करवाया था ।
अशोक के अभिलेख
- अशोक के बारे मे जानकारी अशोक के अभिलेखों से मिलता है ।
- अभिलेखों से अशोक अपनी प्रजा से संपर्क साधता था ।
- अशोक के अभिलेख 5 प्रकार के हुआ करते थे ।
- 1 दीर्घ शिलालेख 2 लघु शिलालेख 3 पृथक शिलालेख 4 दीर्घ स्तंभलेख 5 लघु स्तम्भ लेख ।
अशोक
- अशोक के अभिलेख ब्राह्मी,खरओष्ठी,अरामईक एवम् ग्रीक लिपिकों मे है ।
- ब्राह्मी लिपि बाए से दाए लिखी जाती है ।
- खरओष्ठी लिपि दाए से बाए लिखी जाती है ।
- अशोक के बहुत सारे अभिलेख प्रकूट भाषा मे है
- 1837 ईस्वी मे जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा ।
- भाब्रू अभिलेख मे अशोक ने खुद को सम्राट घोषित किया है ।
पहला शिलालेख | पशुवध निषेध |
दूसरा शिलालेख | विदेशों मे धम्म प्रचार का वर्णन और मनुष्य और पशु चिकित्सा का वर्णन |
तीसरा शिलालेख | अधिकारियों को हर पाँच वर्ष मे राज्य भ्रमण करने का आग्रह |
चोथा शिलालेख | धम्मघोष का भेरीघोष के स्थान पर प्रतिपादन |
पँचवा शिलालेख | धममहापत्रों की नियुक्ति |
छठा शिलालेख | प्रशसनिक सुधारों का उल्लेख |
सातवाँ शिलालेख | अशोक के सभी धर्मों के प्रति निष्पक्षता का उल्लेख |
आठवाँ शिलालेख | बोधगया की यात्रा का वर्णन,तथा बिहार यात्रा के स्थान पर धम्म यात्रा का वर्णन |
नवाँ शिलालेख | शिष्टाचार का वर्णन |
दसवाँ शिलालेख | अशोक के उधम का लक्ष्य,धम्मचरण की श्रेष्ठा पर बल |
ग्यारहवाँ शिलालेख | अशोक के उधम का लक्ष्य,धम्मचरण की श्रेष्ठा पर बल धम्म के तत्वों पर प्रकाश |
बारहवाँ शिलालेख | धार्मिक सहिष्णुता पर जोड़ |
तेरहवाँ शिलालेख | कलिंग युद्ध के पश्चात धम्म विजय की घोषणा,विदेशों मे धम्म प्रचार का वर्णन |
स्तम्भ लेख –
- स्तम्भ लेख की संख्या 7 है ।
- यह विभिन्न जगहों से प्राप्त हुई है –रामपुर,दिल्ली,टोपरा,मेरठ,लोरिया -नन्दनगड़,अरेराज,कोशाम्बी,(प्रयागराज)
मौर्य की उत्पति origination of maurya dynasty
Maurya dynasty चन्द्रगुप्त मौर्य की जाति तथा उसका वंश का कोई ठोस प्रमाण नहीं है । इनके वंश से संबंधित अनेक मत है । जो इस प्रकार है
ब्राह्मण परंपरा के अनुसार शूद्र | मुरा नामक स्त्री से उत्पन्न |
महावंश (बोद्ध साहित्य ) | क्षत्रिय (गोरखपुर मे मौर्य नामक क्षत्रिय कुल ) |
परिशिष्ट पर्वण | मोरपालक का पुत्र |
मुद्रराक्षस | शूद्र वंश से उत्पन्न |
राजपूताना गजेटियर | राजपूत |
राजनैतिक इतिहास –
- चन्द्रगुप्त मौर्य एक स्वेच्छाधारी शासक था ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य अपने सारे अधिकार अपने हाथ मे ही रखे हुए था ।
- 305 ईसा पूर्व मे चाणक्य की सहायता से चन्द्रगुप्त मौर्य ने पंजाब प्रांत के यूनानी गवर्नर यूडेमस एवम् सिकंदर के उतराधिकारी सेल्यूकस को पराजित किया ।
- संघर्ष के बाद हुई संधि के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य को –हेरात,कंधार,काबुल एवम् बलूचिस्तान के प्रदेश प्राप्त हुए ।
- चन्द्रगुप्त ने 500 हाथी सेल्यूकस को उपहार मे दिए ।
- सेलुक्स की पुत्री हेलेना का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ हुआ ।
- सेल्यूकस ने मेगास्थनीज को अपना दूत बनाकर चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार मे भेजा ।
- जहाँ उसने इनडिका की रचना की ।
- प्रथम जैन संगीति चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन काल मे पाटलीपुत्र मे हुई ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य के अपने अंतिम समय मे श्रवणबेलगोला (कर्नाटक )चले गए ।
- एक जैन सन्यासी भाद्रबाहु के साथ और सल्लेखना पद्धति द्वारा अपने प्राणों का त्याग किया ।
मेगास्थनीज –
- सेल्युकस निकेटर का दूत मेगास्थनीज सात वर्षों तक चन्द्रगुप्त मौर्य के दरवार मे रहा ।
- मेगास्थनीज की रचना इनडिका को यूनानी लेखक एरियन,डायोडोरस,स्ट्रोबो ने अपने लेखों मे उलेख किया है ।
- पाटलीपुत्र को पोलीमब्रोथा कहा ।
- इसके अनुसार भारतीय समाज सात वर्गों मे बटा था
- किसान,शिकारी,मंत्री,दार्शनिक,निरीक्षक,व्यपारी,योद्धा ।
- इनके अनुसार भारतीय शिव और कृष्ण की पूजा करते थे ।
- पाटलीपुत्र का प्रशासन छः समितियों मे विभक्त था ।
- प्रत्येक समिति मे पाँच सदस्य हुआ करते थे ।
- मेगास्थनीज ने कोटिल्य का उल्लेख नहीं किया ।
चाणक्य कोटिल्य (विष्णुगुप्त )-
- इनके बचपन का नाम विष्णुगुप्त था ।
- चाणक्य के अर्थशास्त्र की रचना की ।
- अर्थशास्त्र के अनुसार राज्य के सात अंग होते है ।
- स्वामी,अमात्य,मित्र,सेना,कोष,दुर्ग एवम् जनपद ।
- चाणक्य के अनुसार राजा समाजिक व्यवस्था का संचालक होता है ।
- चाणक्य के युद्ध के मामले मे नेतिकता को गोन रखा ।
बिन्दुसार (293 -273 )
- चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र का नाम बिन्दुसार था ।
- बिन्दुसार को अमित्रघात के नाम से भी जाना जाता था ।
- यह आजीवक संप्रदाय का अनुयायी थे ।
- तिब्बती लामा तारानाथ ने बिन्दुसार को 16 राज्य का विजेता कहा था ।
- शुरुवात मे चाणक्य बिन्दुसार का प्रधानमंत्री हुआ करते थे ।
- आगे चलकर खल्लटक प्रधानमंत्री हुआ ।
- एथिनीयस के अनुसार बिन्दुसार ने एणिटयोकस -1 से मंदिरा,सूखे अंजीर और दार्शनिक भेजने को कहा ।
- टालमी -2 ने भी डायोनिशियस को दूत बना कर भेजा ।
- दिव्यवदान के अनुसार तक्षशीला मे दो बार विद्रोह हुआ । जिसे अशोक और सूसीम ने संभाल ।
भद्रसार | वायुपूरान |
अमित्रोंरोचेटस | यूनानी लेखक |
सिहसेन | जैन ग्रंथ |
अलिटरोंकेड़स | स्ट्रोबों |
बिंदुपाल | चीनी विवरण |
Maurya dynasty अशोक (273-232 ईसा पूर्व )–
- बिन्दुसार की मृत्यु के बाद अशोक शासन मे आया ।
- अशोक की माता का नाम सुभदांगी था ।
- सर्वप्रथम अशोक राज्य बनने से पहले तक्षशीला और अवन्ती तथा उज्जेन का गवर्नर था ।
- असंधिमित्रा और कारूवाकी,एवम् पद्मावती अशोक की अन्य पत्निया थी ।
- नागदेवी अशोक की एक और पत्नि थी जिससे एक पुत्र तथा एक पुत्री थी जिसका नाम महेंद्र और संघमित्रा था ।
- अशोक ने अपने शिलालेख मे खुद को देवानांप्रिय (भगवान का प्रिय )तथा पियदस्सी से संबोधित किया ।
- कल्हण और राजतरिगनी के अनुसार श्रीनगर की स्थापना अशोक ने करवाई ।
कलिंग का युद्ध –
- 13 वा शिलालेख के अनुसार राजा बनने के आठ वर्षों के बाद कलिंग पर विजय प्राप्त की ।
- हाथीगुफा के अभिलेख के अनुसार नन्दराज कलिंग का अंतिम शासक था ।
- इस युद्ध के बाद अशोक ने हिंसा का मार्ग छोड़ अहिंसा के रास्ते पर चल पड़े ।
- इन्होंने भेरीघोष का रास्ता छोड़ कर धम्मघोष की नीति अपनाई ।
- ये बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध धर्म के स्थाविर शासक का अनुयायी बने ।
अशोक का धम्म –
- धम्म नीती के फलस्वरूप सामाजिक नीति तथा नैतिक शिक्षा पर बल दिया ।
- इन्होंने मध्य एशिया और श्रीलंका मे बौद्ध धर्म का प्रचार किया ।
- अपने पुत्र महेंद्र तथा संघमित्रा द्वारा श्रीलंका मे बौद्ध धर्म का प्रचार करने भेजा ।
- 5 वे शिलालेख के अनुसार धम्म के प्रचार के लिय धम्म महापत्रों की नियुक्ति की ।
- अशोक ने ही धम्म यात्रा की शुरुवात की ।
- आजीवकों को रहने के लिए बराबर की पहाड़ी पर गुफाओ का निर्माण करवाया ।
- तीसरी बोद्ध संगीति अशोक के समय पाटलिपुत्र मे हुआ ।
- यूरिपीय लेखक ने अशोक की तुलना रोमन के राजा कान्सटेनटाईन से किया ।
दशरथ –
- अशोक के पोत्र का नाम दशरथ था ।
- दशरथ ने भी अशोक की भाति देवनांप्रिय की उपाधि ली ।
- दशरथ ने गया की नागार्जुन पहाड़ी पर अजीवकों के लिए गुफाओ का निर्माण कराया ।
वृहद्रथ-
- यह अंतिम मौर्य शासक था ।
- एक ब्राह्मण सेनापति पुषयमित्र दवार वृहद्रथ की हत्या के पश्चात नए वंश शुंग वंश की स्थापना हुआ ।
Maurya dynasty मौर्य प्रशासन –
- राजतंत्रात्मक व्यवस्था थी ।
- राजा सर्वपरि होता था ।
- राजा निरंकुश होता था तथा उसको प्रजा के कल्याण पर बल देने होता था ।
- शीर्ष अधिकारी को तीर्थ या महापात्र कहे जाते थे उनका वेतन 48000 पण हुआ करता था । मतलब 3/4 तोले के बराबर चांदी का सिक्का ।
- शासन के लिए मंत्रिपरिषद का निर्माण जरूरी था ।
- जो राजा को सलाह देने का काम करता था ।
- दो प्रकार के न्यायालय हुआ करते थे । एक जो फौजदारी समस्या का निपटारा करता था जो कंटकशोधन कहलाता था ।
- तथा दूसरा धर्मसथीय जो दीवानी न्यायालय था ।
प्रांत –
Maurya dynasty-चन्द्रगुप्त के समय मे प्रांत 4 भागों मे विभक्त था । जबकि अशोक के शासन मे प्रांतों की संखया कलिंग युद्ध के बाद 5 प्रांत हो गया ।
कलिंग | तोसली |
उतरापथ | तक्षशिला |
दक्षिणापथ | सुवरंगिरि |
मध्य क्षेत्र | पाटलिपुत्र |
अवनतिपथ | उज्जेन |
अधिकारी | कार्य |
समाहर्ता | कर निर्धारण करने वाला सर्वच अधिकारी |
सनिन्धाता | राजकीय कोषागार और भंडागार की देख -रेख करने वाला |
व्यवहारिक | न्यायाधीश |
धम्महापात्र | समाज मे सांमजस्य की स्थिति बनाए रखने वाला अधिकारी |
अंतःमहामात्त्य | धर्म -प्रचार करने वाला अधिकारी |
स्त्राध्यक्ष | महिला का नेतिक आचरण देखने वाला अधिकारी |
रज्जुक | न्याय कार्य करने वाला अधिकारी |
युक्तक | राज्स्व वसूली करने वाला अधिकारी |
प्रदेष्टा | फोजदारी विभाग का मुख्य न्यायधीश |
महामत्याप्रसर्प | गुप्तचर विभाग का प्रधान |
प्रांत को आहार या विषय मे बाँटा जाता था । जिले के नीचे स्थानिक थे जहा 800 गावं हुआ करते थे । Maurya dynasty के प्रांत के प्रशासक को कुमार या आर्यपुत्र से संबोधित किया जाता था । विषयपति,विषय का मुखिया था । ग्रामिक ग्राम का प्रधान था । तथा गोप दस गाँव का शासन का कार्य देखता था ।
समिति –
- नगर प्रशासन के लिए छः समिति थी ।
- तथा प्रत्येक समिति मे पाँच सदस्य होते थे ।
समिति | कार्य |
प्रथम | विदेशियों की देख-रेख |
दितीय | जन्म मरण की देख -रेख |
तृतीय | उधोग आदि का निरीक्षण |
चतुर्थी | वाणिज्य और व्यपार का देख-रेख |
पंचमी | वस्तु के विक्रय का निरीक्षण |
षष्ठम | विक्री कर वसूलने का अधिकारी |
सेना –
- सेना को नगद वेतन मिलता था ।
- किसानों की संख्या के बाद सिपाहीयो की संख्या होती है ।
- अशोक के पास एक शक्तिशाली नौसेना भी थी ।
- सेना मे 600,000 पैदल सिपाही,30,000 घुरसवार 9,000 हाथी एवम् 8,000 अश्वचलित रथ थे ।
- सैनिक प्रशासन के लिए 30 अधिकारी की एक परिषद हुआ करती थी । जो पाँच पाँच सदस्य मे विभक्त थी ।
समिति | कार्यक्षेत्र |
प्रथम | जल सेना |
दितीय | यातायात की व्यवस्था |
तृतीय | पेदल सेना की व्यवस्था |
चतुर्थ | अश्व सेना की देख-रेख |
पंचम | गज सेना की देख-रेख |
षष्ठम | रथ सेना की व्यवस्था |
गुप्तचर व्यवस्था –
- महामात्प्रसर्प यह गुप्तचर विभाग का प्रधान था ।
- गूढ़पुरुष :अर्थशास्त्र मे गुप्तचर को गूढ़पुरुष कहा जाता था ।
- एक जगह स्थिर होकर गुप्तचरी करने वालों को संस्था
- घूम घूम कर गुप्तचरी करने वाले को संचरा कहते थे ।
सामाजिक जीवन –
- सामाजिक व्यवस्था वर्ण व्यवस्था पर आधारित होता है ।
- ब्राह्मणों को स्थान उच्चतम था ।
- दासों को किसानी के काम मे लगाया जाता था ।
- 15 वर्ण संकर जातियाँ थी ।
- जो अनुलोम एवम् प्रतिलोम विवाह के फलस्वरूप उत्पन हुआ था ।
- वर्ण संकर को शूद्र के समान माना जाता है ।
अनुलोम विवाह | इसमें पुरुष उच्च कुल का तथा महिला निम्न कुल की होती थी । |
प्रतिलोम विवाह | इसमें पुरुष निम्न जाति का तथा महिला उच्च जाति का होता था । |
नियोग प्रथा | स्त्री को अपने देवर के साथ विवाह । |
स्त्रियों की दशा –
- महिलाओं को उच्च शिक्षा वर्जित थी ।
- इन्हें सम्राट का अंगनिरीक्षक नियुक्त किया जाता था ।
- समाज मे नियोग प्रथा का चलन था ।
Maurya dynasty आर्थिक स्थिति –
- मौर्य काल मे राज्य आर्थिक रूप से मजबूत था ।
- अर्थव्यवथा व्यपार,कुषि ,पशुपालन वाणिज्य पर निर्भर था ।
- राज्य की आर्थिक काम काजों के लिए 26 अध्यक्ष नियुक्त होते थे ।
- राज्य कुषि की उन्नति के लिए सिचाई तथा जल वितरण का उतरदायी होता था ।
- सुदर्शन झील इसी का प्रमाण है जो सिचाई के लिए बनाई गई थी ।
- मौर्य काल मे दो प्रकार की भूमि हुआ करती थी ।
- एक जो राजकीय प्रभुत्व की हुआ करती थी और दूसरी निजी प्रभुत्व की हुआ करती थी ।
- उपजाऊ तथा अच्छी मिट्टी को आदेवमातृका कहते थे ।
- भूमि कर 1/4 से 1/6 भाग हुआ करता था ।
- वस्त्र निर्माण भी एक प्रमुख उधोग था ,जिसके अधिकारी को सुत्राधयक्ष से संबोधित किया जाता था ।
- जल मार्ग को प्रमुख मार्ग माना जाता था ।
- उतरापथ एक प्रमुख राजमार्ग माना जाता था ।
- अंतराष्टीय व्यापार भी हुआ करता था जिसमे प्रमुख रोम,फ़ारस,सीरिया,मिस्र था ।
- ताम्रलिपित, सोपारा,एवम् भड़ोच प्रमुख बंदरगाह थे ।
- बिक्री कर के रूप मे मूल्य का 10 वा भाग लिया जाता था ।
- कर चोरी करने वालों के लिय मुत्युदंड की सजा होती थी ।
- व्याज को रूपिका एवम् परीक्षण कहा जाता है ।
सुवर्ण | सोने के सिक्के |
काषर्पण | चांदी के सिक्के |
धरण | सिक्के |
काकर्णी | तांबे के छोटे सिक्के |
लक्षणाध्यक्ष | सिक्कों को जारी करने वाले अधिकारी को लक्षणाध्यक्ष कहते थे । |
ललितकला एवम् वास्तुकला –
- अशोक ने कई नगर की स्थापना की जिसमे श्रीनगर और नेपाल(ललिट पाटन ) प्रमुख थे ।
- कुम्राहार (बिहार ) मे मौर्य काल के महल के अवशेष मिले है ।
- पटना के निकट दीदारगंज के निकट यक्षिणी की मूर्ति मूर्तिकला का उच्चतम प्रमाण है ।
- इसके साथ बराबर की पहाड़ी पर बना गुफा कला का उच्चतम उदाहरण है ।
अशोक के स्तम्भ –
- अशोक के स्तम्भ एक ही पत्थर को तराश कर बनाए गए है जिसे monolithic कहते है
- जो चुनार और बलुआ पत्थर का बना हुआ है ।
- इन स्तम्भ को केवल शीर्ष को जोड़ा गया है ।
- जिसमे सिंह और सांड का विलक्षण वास्तुकला का प्रमाण है ।
- सारनाथ के स्तम्भ का सिंह वास्तुकला का अद्भुत प्रमाण है ।
- लोरिया -नंदनगढ़ का अशोक स्तंभ वास्तुकला का तथा रामपुरवा का वृषभ शीर्ष भी वास्तु शिल्प का प्रमाण है ।
स्तूप –
- स्तूपों का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद मे मिलता है ।
- स्तूपों का निर्माण ईटों से हुआ है ।
- सांची का स्तूप,भरहुत का स्तम्भ तथा सारनाथ मे स्थित धर्मराजिक स्तूप का निर्माण अशोक ने करवाया ।
मौर्य काल विशिष्ट तथ्य –
- मयूर मौर्य वंश का राजकीय चिन्ह था ।
- भाषा पालि थी मौर्य काल की ।
- तक्षशिला मौर्य काल की उच्च शिक्षा का केंद्र था ।
- नंदवंश के विनाश मे चन्द्रगुप्त ने कश्मीर के राजा पर्वतक की सहायता ली थी ।
- मोग्गलिपुत्र तिस्स ने कथा वस्तु की रचना की थी ।
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