NCERT solution for class 9 sparsh Hindi-Tum kab jaoge atithi तुम कब जाओगे अतिथि

NCERT solution for class 9 sparsh Hindi-Tum kab jaoge atithi तुम कब जाओगे अतिथि

लेखक का परिचय – Tum kab jaoge atithi के लेखक सूरज जोशी का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में 21 में 1931 को हुआ। इन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर लेखन को आजीविका बनाया। यह हिंदी के सफल व्यंग्य लेखक है। इनकी प्रमुख व्यंग कृतियां हैं परिक्रमा, किसी बहाने, तिलक, रहा किनारे बैठ, दूसरी सतह आदि है। (Tum kab jaoge atithi)

उनकी रचनाओं में धर्म अध्यात्म राजनीति सामाजिक जीवन व्यक्तिगत आचरण आदि से संबंधित विषयों का समावेश है। उनकी भाषा सरल सहज मुहावरेदार है। इनकी मृत्यु 5 सितंबर 1991 को हो गई।

Tum kab jaoge atithi -पाठ का सारांश

तुम कब जाओगे अतिथि (Tum kab jaoge atithi) शरद जोशी के द्वारा रचित एक व्यंग्य पाठ है। लेखक के घर एक मित्र अतिथि के रूप में आए। लेखक और उनकी पत्नी दोनों ने अतिथि का आदर से स्वागत किया।

लेखक और उनकी पत्नी दोनों ने अतिथि का आधार से स्वागत किया डिनर का जैसा और लंच का आयोजन किया। इस आशा में आयोजन किया कि अतिथि लंच के बाद वापस लौट जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

तीसरे दिन जब अतिथि कपड़े धोबी को देने की बात कही तभी यह बात अचानक लेखक के लिए मार्मिक चोट सी थी। लेखक की पत्नी को भय हो गया कि अतिथि अधिक दिनो ठहरेगा। हमारी संस्कृति के अनुसार अतिथि देवता के समान होता है इसलिए अतिथि देवो भवों कहा गया है अतिथि देवता के समान ही होना चाहिए।जो एक छन के लिए आए और चले जाए।

उसी में उनकी मर्यादा बनी रहती है। अतिथि वापस जाने के नाम ना ले तो देवता ही रक्षा के रूप में दिखने लगता है। ऐसा ही लेखक के घर आए अतिथि राक्षस की तरह दिखने लगा।

मेहमान के घर अधिक दिनों तक रहने पर एक दिन ऐसा भी होगा कि मेहमान को गेट आउट भी कहा जा सकता है। इसलिए अतिथि को अपना देवत्व बचाकर रखना है तो उसे अपने आप विदा हो जाना चाहिए। यही अतिथि का धर्म है।

Tum kab jaoge atithi प्रश्नों के उत्तर 25 या 30 शब्दों में लिखिए।

प्रश्न संख्या 1- लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?

उतर- लेखक अतिथि कोभाव भीनी विदाई देना चाहता था। अतिथि को रेलवे स्टेशन छोड़ने के लिए जाए उसे बार-बार रुकने के लिए कहे परंतु वह ना रुके और एक अच्छे अतिथि की तरह चल जाए।

प्रश्न 2 – पाठ में आए निम्नलिखित तथ्यों की व्याख्या करें।

प्रश्न क – अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ कांप गया

व्याख्या-लेखक का हृदय भारी अतिथि के कारण महीने के खर्च के अलावा अतिरिक्त खर्च होने के भय से परेशान हो रहा था।

प्रश्न ख – अतिथि सदैव देवता नहीं होता वह मानव और थोड़े अंश में राक्षस भी होता है।

व्याख्या – अतिथि देवता के समान होता है पर देवता और मनुष्य अधिक देर तक एक जगह साथ नहीं रहते। देवता चाद भर के लिए दर्शन देता है और वापस लौट जाता है। अतिथि भी आकर तुरंत लौट जाए तभी उनके देवता सुरक्षित रहेगा नहीं तो वह राक्षस सा प्रतीत होने लगेगा।

प्रश्न ग- दूसरे लोग के होम की स्वीटनेस को काटने ना दौरे ।

व्याख्या- घर तभी तक स्वीट होम बना रहता है जब तक उसमें केवल घर के सदस्य ही रहे। जब कोई अतिथि घर आ जाता है तो घर के सदस्यों को औपचारिक बनना पड़ता है। भाविक आरामदायक तरीके से नहीं रह पाए ऐसा लगता है कि कोई अपने होम की स्वीटनेस को काट रहा है। इसलिए लोगों को दूसरे के घरों में अधिक दिन तक रहने से बचना चाहिए।

प्रश्न घ – मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी ।

व्याख्या -अतिथि को लेखक के घर पर आकर चार दिन हो चुके थे कल पांचवा दिन होने वाला था यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशक्ति को बैठेगी और अतिथि को गेट आउट बोलने के लिए विवश हो जाएगा।

प्रश्न ड़ -एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर तक साथ नहीं रहते।

व्याख्या – जब हम विशेष त्यौहार में विशेष देवता की हम विशेष रूप से पूजा करते हैं तब देवता क्षण भर के लिए आते हैं और लौट जाते हैं उनके देवतव भी बचा रहता है हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता के समान माना गया है। अतिथि का अतिथित्व देवता के समान किया जाता है। अतिथि भी ऐसा ही करे तो उनका देवता बचा रहता है

इसे भी पढे –चित्र वर्णन कैसे करे (picture writing )

Tum kab jaoge atithi प्रश्नों के उत्तर पर 50 या 60 शब्दों में –

प्रश्न संख्या 1- कौन सा आघात अप्रत्यक्ष था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- तीसरे दिन सुबह अतिथि ने धोबी से कपड़े धुलवाने की बात कही। यह बात लेखक के लिए अप्रत्यक्षित आघात था। धोबी से कपड़े धुलवाने का मतलब था कि अतिथि अभी जाना नहीं चाहता था। इस आघात के कारण वह अतिथि को राक्षस समझने लगा।(Tum kab jaoge atithi)

प्रश्न संख्या 2- संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरा इन पंक्तियों से आप क्या समझते हैं विस्तार से लिखिए ?

उतर – संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरा इस पंक्ति का आश्रय है कि संबंधों में बदलाव आना।लेखक अतिथि का स्वागत प्रसन्नता से किया था। पत्नी ने भी सादर नमस्ते की थी। परंतु निरंतर भारी अतिथितव से उनकी आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी थी। इससे दो-तीन दिनों के बाद उसका व्यवहार बदलने लगा। इस कारण लेखक और अतिथि का संबंध परिवर्तन का के दौर से गुजरने लगा।(Tum kab jaoge atithi)

प्रश्न संख्या 3 – जब अतिथि 4 दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन दिखाई दिए ?

उतर – अतिथि के चार दिनों के बाद भी रुकने रहने से लेखक और उसकी पत्नी के व्यवहार में काफी परिवर्तन आ गए लेखक की हंसी गायब हो गई थी। साथ ही साथ बातचीत का दौर भी रुक गया था। लंच और डिनर की जगह खिचड़ी पर आ गए थे। सद्भाव अब धीरे-धीरे बोरियत में बदल गया था। भावनाओं में सरलता नहीं थी। अब बस केवल अतिथि को गेट आउट कहना ही बाकी रह गया था। (Tum kab jaoge atithi) (Tum kab jaoge atithi)

Leave a Comment