Ram Lalla idol- नागर शैली मंदिर और रामलला की मूर्ति की खासियत-
प्रभु राम एक हिंदू देवता है जो विष्णु के अवतार माने जाते हैं प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण के अनुसार राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इसलिए राम मंदिर का निर्माण अयोध्या मे होने जा रहा है। राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जो वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माण कार्य हो रहा है। जनवरी 2024 में इसका गर्भ गृह तथा प्रथम तला बनकर तैयार हो रहा है और 22 जनवरी 2024 को इसमें श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है ।
Ram Lalla idol की क्या विशेषता है?
गर्भ गृह में स्थापित प्रभु रामलाला जी की प्रतिमा में परमपिता परमेश्वर भगवान श्रीमन नारायण जी के दसों अवतार अंकित है। दाएं ओर सबसे नीचे श्री राम जी के सर्वश्रेष्ठ भक्त भगवान बजरंगबली हनुमान जी है और बाएं भगवान गरुड़ जी विराजमान है। प्रभु की प्रतिमा में सनातन संस्कृति के चिन्ह अंकित है । दाएं और ओम एवं बाईं और स्वास्तिक अंकित है । जिसमे बहुत ही लौकिक अद्वितीय सनातनी संस्कृति का समावेश है । प्रभु राम जी के विग्रह में यहां पर एक अद्भुत बात यह है कि प्रभु अपने साथ कलगी की अवतार को भी साथ में धारण किए है
Ram Lalla idol प्रभु राम की मूर्ति कौन से पत्थरों से बनी है?
राम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित होने वाली राम जी की प्रतिमा के लिए नेपाल देश के काली गांड की नदी के तट से शालिग्राम की शिला आए हैं। जिसे नेपाल देश के संतों ने अयोध्या में श्री राम जी की मूर्ति बनाने के लिए उपहार स्वरूप दिया है । अयोध्या लाई गई शालिग्राम की शिला लगभग 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही है। शालिग्राम जीवाश्म अम्मोनी पत्थर है । जो लाखों वर्ष पुराने हैं और बड़े पैमाने पर भूगर्भिक कारणों से बने हैं । विशाल चट्टानों और समुद्री जल की गति ने उच्च दवाव बनाया और न केवल हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण किया बल्कि कार्बनिक पदार्थ को अम्मोनियो के जीवाश्म में भी बदल दिया जिन्हें हम शालिग्राम कहते हैं।
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Ram Lalla idol शालिग्राम शिला का महत्व
हिंदू धर्म में शालिग्राम पत्थर का विशेष महत्व है इस पत्थर में भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा कीजिए किया जाता है इसे शालिग्राम के रूप में भी जाना जाता है शालिग्राम दुर्लभ होते हैं। जो हर जगह नहीं मिलते ज्यादातर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र काली गंडक नदी के तट पर ही पाए जाते हैं । शालिग्राम कई रंगों के होते हैं लेकिन सुनहरा और ज्योति युक्त शालिग्राम सबसे दुर्लभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार शालिग्राम 33 प्रकार के होते हैं जिसमें 24 प्रकार को भगवान विष्णु के 24 वें अवतार से जोड़ा जाता है।
यही कारण है कि शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है हिंदू परंपरा के अनुसार वज्र किट नामक एक छोटा सा किट इन्हीं सिलाव में रहता है। किट का एक हीरे का दांत होता है जो शालिग्राम पत्थर को काटता है और उसके अंदर रहता है। वैष्णवन के अनुसार शालिग्राम मे भगवान विष्णु का निवास स्थान है और जो कोई भी इसे रखता है । उसे इसकी प्रतिदिन पूजा करनी होती है और कठोर नियमों का पालन करना होता है।
Ram Lalla idol प्रभु राम की मंदिर किस शैली मे बनी है?
अयोध्या में बन रहा राम मंदिर नागर शैली में बन रहा है । इसमें दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली की भी झलक दिखाई देती है । यह मंदिर नागर शैली के गुर्जर चालुक्य शैली में डिजाइन किया गया है। यह शैली मुख्य रूप से उत्तरी भारत में पाई जाती है। नागर शैली के मंदिरों की सर्वोत्तम पहचान उसका चतुर कोनिया होना है । पूरी तरह से विकसित नागर मंदिर में गर्भ गृह के सामने अंतरालमंडप और अर्थमंडप होते हैं।
राम मंदिर की कुछ खास बातें यह मंदिर 250 फीट चौड़ा 380 फीट लंबा और 1061 फीट ऊंचा होगा। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा। इसमें मुख्यतः पांच मंडप होंगे नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप ।
श्री राम दरबार पहली मंजिल पर होगा रामलाल की मूर्ति को गर्भ गृह में रखा जाएगा। मंदिरों की दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियां होगी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण राम जी के जन्म स्थान पर हो रहा है। अयोध्या में राम मंदिर के मुख्यतः वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा है । इस मंदिर की खासियत है कि यह नागर शैली में बना हुआ है नागर शैली उत्तर भारती हिंदू स्थापत्य कला की तीन में एक शैली है । यह शैली अपने कलात्मक और आध्यात्मिक महत्व का मिश्रण को दर्शाती है। वास्तु कला के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुरकोनिए होना है।
Ram Lalla idol -मंदिर का मूल डिजाइन –
राम मंदिर का मूल डिजाइन 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार किया गया है। सोमपुरा ने दुनिया भर में 100 से अधिक मंदिरों के डिजाइनों में योगदान दिया है। इसमें सोमनाथ मंदिर भी शामिल है मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्राकर सोमपुरा थे उनकी सहायता उनके दो बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा ने की है। जो वास्तुकार भी है मंदिर की इमारत में कुल 366 कालम होंगे । स्तंभों में 16 मूर्तियां होगी जिसमें शिव के अवतार, 10 दशावतार, 64 योनियों और देवी सरस्वती के 12 अवतार शामिल होंगे। सीढ़ियों की चौड़ाई 16 फीट होगी। विष्णु को समर्पित मंदिरों के डिजाइन के अनुसार गर्भ गृह अष्टकोणीय होगा मंदिर 10 एकड़ में बनाया जा रहा है । 57 एकड़ भूमि मे एक प्रार्थना कक्ष,एक व्याख्यान कक्ष, एक शैक्षिक सुविधा, और एक संग्रहालय के साथ एक कैफेटेरिया सहित अन्य सुविधाओं के साथ परिसर में विकसित किया जाएगा । मंदिर समिति के अनुसार 70000 से अधिक लोग इस स्थल का दौरा कर सकेंगे।