Smriti (स्मृति) के लेखक का परिचय-
लेखक श्री राम शर्मा का जन्म सन1896 में हुआ। इन्होंने जीवन के आरंभ में अध्यापन कार्य किया। यह बाद में राष्ट्र और साहित्य की सेवा में जुट गए, इनकी प्रमुख रचनाएं सेवाग्राम की डायरी, सन् बयालीस के संस्मरण आदि है । उनकी मृत्यु सन् 1967 में हुई।
Smriti स्मृति पाठ का सारांश –
Smriti (स्मृति) पाठ श्रीराम शर्मा द्वारा रचित पाठ है । Smriti (स्मृति) एक संस्मरण लेख है यह पाठ साहित्य और शिकार पर आधारित है इस पाठ में लेखक ने अपने बचपन की रोमांचकारी घटना के बारे में बताया है लेखक के बड़े भाई ने उन्हें कुछ जरूरी पत्र मक्खनपुर डाकखाने में डालने के लिए भेजा था।
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लेखक ने उन पत्रों को अपनी टोपी में रख लिया था। रास्ते में एक कुएं में भयंकर सांप रहता था लेखक प्रतिदिन एक ढेला मारकर उसे सांप को फुसकार सुनकर मजे लेता था। ढेला मरते समय लेखन के सर से अचानक सारे पत्र कुएं में गिर गए।
लेखक भाई की पिटाई के डर से बहुत रोने लगा। कुएं से पत्र निकालने के लिए वह साहस करके कुएं में उतर गया और बहुत ही मुश्किलों का सामना कर पत्र और स्वयं को कुएं से बाहर निकाला ।10वीं कक्षा पास होने के बाद लेखक ने यह घटना अपनी मां को बताई। माँ उन्हें नम आंखों से गोद में बिठा लिया इस प्रकार कहानी में लेखक ने अपने बचपन की साहसिक घटना का सजीव वर्णन किया है।
Smriti स्मृति पाठ के प्रश्न उत्तर-
प्रश्न १ Smriti पाठ -भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखन के मन में किस बात का डर था ?
उतर – भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखन के मन में भाई साहब से मार खाने का डर था। लेखक सोच रहा था, कि शायद बेर खाने के अपराध में बड़े भाई उनकी पिटाई करेंगे लेकिन ऐसा नहीं था भाई साहब लेखक को मक्खनपुर के डाकखाने में पत्रों को डालने के लिए बुला रहे थे।
प्रश्न २ Smriti पाठ – मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में ने वाले कुएं में ढेला क्यों फेंकती थी?
उतर- लेखक के गांव से मक्खनपुर स्कूल जाने के रास्ते में पढ़ने वाले कुएं में न जाने कैसे एक सांप गिर गया था और बच्चों की नटखट टोली स्कूल आते जाते समय कुआं में ढेला फेंक कर सांप की पुष्कर सुनते उसे तंग करते थे ऐसा करने में उन्हें मजा आता।
प्रश्न 3 Smriti पाठ – सांप का फुसकाना या ढेला का लगना या नहीं लगना यह बात अब तक स्मरण नहीं यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
उत्तर – यह कथन लेखक की घबराई हुई मनोदशा को स्पष्ट करता है । घबराहट बौखलाहट में व्यक्ति को घटना स्पष्ट रूप से याद नहीं रहती । जब लेखक ने टोपी उतार कर कुएं में ढेला फेंका तो उसकी जरूरी चिट्टियां कुएं में गिरी गिर गई। लेखक का सारा ध्यान चिट्टियां को बचाने में लग गया और वह देखना भूल गया कि ढेला सांप को लगा या नहीं सांप ने फुसकारा या नहीं।
प्रश्न ४Smriti – किन कारणों से लेखक ने चिट्टियों को कुएं से निकालने का निर्णय लिया ?
उतर – निम्नलिखित कारणों से लेखक ने चिट्टियां कुएं से निकालने का निर्णय लिया । लेखक को अपने भाई से पिटाई का भय था। वह अपनी शरारतों के बारे में भाई को पता नहीं चलने देना चाहता था।चिट्टियां को डाकखाने में डालना उसकी जिम्मेदारी थी वह अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ना चाहता था। वह झूठ नहीं बोलना चाहता था। वह सांप को मारना अपने बाएं हाथ का खेल समझता था।
प्रश्न 5 Smriti – सांप का ध्यान भटकाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्ति अपनाई ?
उत्तर-सांप का ध्यान बांटने के लिए लेखक ने अपना डंडा सांप की तरफ बढ़ा दिया ताकि सांप डंडे पर वार करें और वह अपनी चिट्टियां उठा सके चिट्टियां समेटने के बाद अपना डंडा उठाने के लिए लेखक ने एक मुट्ठी मिट्टी सांप के दाएं और फेक। जब सांप मिट्टी पर झपटा तब लेखक ने अपना डंडा सांप के पास से खींच लिया इस प्रकार लेखक अपने इरादे में कामयाब हो गए।
प्रश्न 6 Smriti – कुएं में उतरकर चिट्टियां को निकालना संबंधित साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
उतर- कुएं में ढेला फेंक कर सांप की पुष्कर सुनने के क्रम में लेखक की टोपी में रखी हुई चिट्टियां कुएं में गिर गई उन चिट्टियां को निकालने के लिए लेखक ने पांच धोतिया को आपस में जोड़कर रस्सी का रूप दिया और उसी के सहारे कुएं में सावधानी से गए। उन्होंने अपनी बुद्धिमानी और साहस का परिचय देते हुए सांप को मात दी और चिट्टियां को कुएं से निकलने में सफल हुए।
प्रश्न 8 Smriti – इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
- उतर – इस पाठ को पढ़ने के बाद कई बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है।
- अपनी मस्ती और आनंद के लिए छोटे-छोटे जानवरों को परेशान करना।
- बेरी के बेर तोड़कर खाना।
- स्कूल जाने के रास्ते में मस्ती करना।
- स्कूल आते जाते समय रास्ते में कुएं में ढेला फेंक कर सांप की पुष्कर सुनना।
- खाली कुएं में उचकना या झांकना।
- अपनी मौज मस्ती के लिए समय और खतरे का भी ध्यान नहीं रखते ।
- अपनी गलतियों को छिपाने के लिए दूसरों को लालच भी देते हैं।
- अपने खेलकूद और आनंद के लिए झूठ भी बोलते हैं।
प्रश्न 9- मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएं कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती है आश्रय स्पष्ट कीजिए?
उत्तर -इस पंक्ति का आश्रय यह है कि मनुष्य के जीवन में प्रत्येक काम उनकी सोच और योजना के अनुसार नहीं होता बल्कि कई बार उसे विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। समस्याओं की वास्तविकता से सामना होते ही उसकी सारी योजनाएं वैसे की वैसी रह जाती है। इस पाठ में लेखक ने भी कुएं में उतरकर सांप को मारकर चिट्टियां लेकर कुएं से बाहर आ जाने की योजना बनाई थी। लेकिन कुएं मे फन फैलाए सांप को देखकर उन्हें अपनी योजना मिथ्या और उल्टी लगने लगी ।
प्रश्न 10 -फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है पाठ के स्तंभ में इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उतर -इन पंक्ति का आशय है कि काम पर हमारा अधिकार होता है परंतु कर्म के परिणाम पर हमारा अधिकार नहीं होता। वह तो ईश्वर की इच्छा पर निर्भर होता है। इस पाठ में लेखक ने भी जब कुएं में उतरकर चिट्टियां निकालने का निश्चय किया तब उनके मन से फल की चिंता समाप्त हो गई। उन्होंने सोचा कि कुएं में उतरकर सांप से लड़ना है और चिट्टियां को हर हाल में कुएं से बाहर निकलना है।उन्होंने परिणाम पर कम ध्यान देकर चिट्टियां उठाने में अपना पूरा ध्यान लगाया क्योंकि फल तो किसी दूसरी शक्ति अर्थात ईश्वर पर निर्भर होता है।