Source of ancient Indian history-प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत-
Source of ancient Indian history-दोस्तों भारतीय समाज और संस्कृति की जड़ें बहुत गहरी हैं। जिनका पता आज हम Source of ancient Indian history के इस पोस्ट में जानेंगे। भारतीय इतिहास में 4 ऐसे Source के बारे में हम जानेंगे। जिससे पता चलेगा की भारतीय समाज का विकास कब कहाँ और कैसे हुआ ? प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोतों को चार भागों में विभाजित किया गया है। पहला धर्म ग्रंथ, ऐतिहासिक ग्रंथ, विदेशियों द्वारा विवरण, पुरातात्विक स्रोत।
धार्मिक ग्रंथ,ऐतिहासिक,विदेशियों के विवरण तथा पुरातात्विक स्रोत-Source of ancient India
- धार्मिक ग्रंथों के स्रोत- धार्मिक ग्रंथो से भारतीय इतिहास को बहुत ही आसानी से समझा जा सकता है। हमारे भारत में ऐसे बहुत से ग्रंथ है। जो बहुत ही ज्ञान वर्धक है। जो कला, संस्कृति विज्ञान, में भारतीय बुद्धि और सामाजिक ताना-बाना का दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
- ब्राह्मण साहित्य– ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, महाभारत, रामायण, पुराण, आदि ग्रंथों से भारत की सांस्कृतिक इतिहास को समझा जा सकता है ।
- बौद्ध साहित्य– जिसमें भगवान बुद्ध का ज्ञान का सारांश मिलता है। जिसमें भारतीय इतिहास के स्रोत का प्रमाण बहुत ही अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया गया है। बौद्ध साहित्य में विनयपिटक, सुत्तपिटक,महावंश,दीपवंश,ललित विस्तार,दिव्यावदान,महाविभाष,जातक आदि।
- जैन ग्रंथ– कल्पसूत्र, भगवती सूत्र, आचारांग सूत्र आदि से भारतीय स्रोत्र पता चलता है ।
ऐतिहासिक साहित्य स्रोत– Historical Source of ancient India
- भारत के कई ऐसे साहित्यिक स्रोत हैं। जो कुछ तो प्रसिद्ध लेखकों, कवियों, तथा राजाओं, विद्वानों द्वारा रचित कई साहित्यिक विधा है। जिससे ऐतिहासिक झलक मिलती है। राजतरंगिणी– कल्हण द्वारा रचित साहित्य जो संस्कृत भाषा में है। जिसमें इतिहास को समझा जा सकता है।
- पृथ्वीराज रासो– पृथ्वीराज चौहान के दोस्त चंद्रवरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो से महान राजा पृथ्वीराज के चरित्र का पता लगता है।
- अष्टाध्यायी -संस्कृत व्याकरण की रचना जिसे पाणिनि के द्वारा रचित किया गया था। इसमें मौर्य काल के सामाजिक जीवन का पता चलता है।
- अर्थशास्त्र– कौटिल्य चाणक्य द्वारा रचित राजनीतिक शास्त्र की पुस्तक जिससे राजनीतिक इतिहास का पता चलता है।
- हर्षचरित्र– बाणभट्ट द्वारा रचित राजा हर्ष के दरबारी कवि हर्ष चरित्र में ऐतिहासिक विवरण मिलता है।
- अभिज्ञान शाकुंतलम् (कालिदास) स्वप्नवासवादात्ता(भास ) मुद्राराक्षस सोमेश्वर आदि अनेक ऐतिहासिक स्रोत है।
विदेशियों के विवरण का स्रोत-Foreigners Source of ancient India
चीनी विवरण-फाह्नान जो गुप्त शासक के शासन काल में भारत आया। और अपनी रचना फू -को -की में गुप्त काल की समाजिक,आर्थिक,धार्मिक स्थिति पर प्रकाश डाला। इतिसंग -यह सातवीं शताब्दी में भारत आया था। और इसने नालंदा तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन किया है । हेन सांग यह हर्षवर्धन के शासन कल में आया था और इसने सी-यु -की की रचना की जिसमे 138 देशों का विवरण है। अरबी लेखक सुलेमान यह 9 वी शताब्दी में भारत आया और इनकी रचना से पाल, प्रतिहार राजाओं के बारे में पता चलता है। तथा सबसे रोचक अलबरूनी जो महमूद गजनवी के समकालीन था। उसकी रचना में भारत के लोगों की दशा का वर्णन मिलता है।
भारत में समय-समय पर बहुत विदेशियों का आगमन एक समय अंतराल में होता रहता था। उन सभी लेखकों के पुस्तक से इतिहास के स्रोतों की जानकारी मिलती है। जैसे इतिहास के पिता हेरोडोटस की पुस्तक हिस्टोरिका से। भारत में समय-समय पर बहुत विदेशियों का आगमन एक समय अंतराल में होता रहता था। उन सभी लेखकों के पुस्तक से इतिहास के स्रोतों की जानकारी मिलती है। जैसे इतिहास के पिता हेरोडोटस की पुस्तक हिस्टोरिका से।
इंडिका– मेगास्थनीज द्वारा रचित पुस्तक है। जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहता था। जो सेल्यूकस के राजदूत के रूप में आया था। अज्ञात यूनानी लेखक की पुस्तक पेरीप्लसऑफ द एरिथ्रियन सी में भारतीय बंदरगाह, प्राकृतिक स्थिति, व्यापार की जानकारी मिलती है। इसके अलावा टोलेमी की ज्योग्राफी से सन 150 ईस्वी के आसपास भारतीय भूगोल और वाणिज्य की जानकारी के स्रोत मिलते हैं। रोमन लेखक- पिलनी कि नेचुरलिस हिस्टोरीका से भारत और इटली के व्यपार संबंधो का पता चलता है।
Source of ancient Indian history भारतीय पुरातात्विक स्रोत–
पुरातात्विक स्रोत एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्रोत है। जिसमें अभिलेख, स्मारक मूर्तियां, चित्र कला, भौतिक अवशेष, मृदभांड, आभूषण आदि से हमारी जड़ों का पता चलता है। अभिलेख– बहुत सारे अभिलेखों चट्टानों, तामपत्रों पर मिले हैं। मंदिरों की दीवारों पर, मूर्तियों पर कई अभिलेख मिले हैं।
सिक्के -पुरातात्विक स्रोत के महत्वपूर्ण हिस्सा है समुंद्र गुप्त को एक सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है। पुराने सिक्के तांबे, चांदी, सोने और शीशे के बने हुए मिले हैं। सोने के लिखित सिक्के कुषाण राजा ने चलाए थे । सातवाहनों ने शीशे के सिक्के चलाए थे। गुप्त काल में सिक्कों को दिनार और चांदी के सिक्कों को रूपक कहते थे। कुछ सिक्कों पर राजाओ,देवताओं के नाम तिथि का उल्लेख मिलता है। प्राचीन में सिक्कों को आहत कहा जाता था।
अभिलेख – चंद्रगुप्त द्वितीय के विजय का वर्णन लोहास्तंभ लेख महरौली से प्राप्त हुआ है। तुमुन अभिलेख में कुमारगुप्त प्रथम को सूर्य बताया गया है । भानुगुप्त के एरण अभिलेख में सती प्रथा का लिखित साक्ष्य है। अशोक के प्रयाग स्तम्भलेख में कारुवाकी और तीवर का वर्णन है।
प्रयाग प्रशसित में संधि- विग्रहक हरिषेण ने किया था। तुगलक वंश काल में अशोक के शिलालेख मेरठ और हरियाणा मे मिले हैं। जो दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। जो ब्रह्म लिपि में थे। और 1837 में जेम्स प्रिसेप ने इन शिलालेख को पढ़ा था । मौर्य कल के गुप्त काल के अधिकांश अभिलेख कापर्स इंस्क्रिप्शनम इंडीकेरम नामक ग्रंथ में समिलित है। मैसूर सग्रहालय में बहुत सारे अभिलेख संगृहीत है। यह भी जा
विदेशी अभिलेख -एशिया माइनर,मध्य एशिया से 1400 ई.पू.में प्राप्त संधि पत्र अभिलेख में वैदिक देवता मित्र,वरुण,इंद्र और नाश्त्य का नाम वर्णन है। हेलियोडोरस (यूनानी राजदूत )का बेसनगर का गरुड़ स्तंभ लेख भागवत धर्म की जानकारी देता है।
महत्वपूर्ण अभिलेख और उनके शासक –
- समुंद्रगुप्त -प्रयाग प्रशसित (इलाहाबाद )
- ऐरण अभिलेख -सागर,मध्यप्रदेश
- रुद्रदामन (शक )-जूनागढ़ अभिलेख
- स्कंदगुप्त -भीतरी स्तंभ अभिलेख (गाजीपुर )
- खारवेल (कलिंग)- हाथीगुम्भा अभिलेख
- पुलकेशिन-2 ऐहोल अभिलेख
- राजा भोज -ग्वालियर प्रशस्ति(मध्य प्रदेश )
- विजयसेन-देवपाड़ा अभिलेख
- हर्षवर्धन -मधुवन एवं बासखेड़ा
- यशोधमन -मंदसौर प्रशस्ति
- गोतमिबलशी -नाशिक अभिलेख