अलंकार किसे कहते है?

अलंकार किसे कहते है?

जब वर्णों के द्वारा,शब्दों के द्वारा य किसी वाकय की  सुंदरता को उभारने का प्रयास किया जाता है। तो इसी को व्याकरण की भाषा में अलंकार कहते हैं। सुप्रसिद्ध रचनाकार रसखान के शब्दों में कहें तो अलम करोति इति अलंकार अर्थात जो सुंदरता बढ़ाए उसे अलंकार कहते हैं।

अलंकार के भेद  

अलंकार के भेद  

 जब किसी कथन में शब्द का प्रयोग के कारण उसकी सुंदरता उत्पन्न हो तो उसे शब्दालंकार कहते हैं।

 किसी भी कथन में अगर उसकी सुंदरता अर्थ से निकले तो उसे अर्थालंकार कहते हैं।

शब्दालंकार के भेद 

यमक -कोई शब्द दो बार या दो से अधिक बार आए परंतु हर बार उसका कहने का मतलब यानी अर्थ अलग हो तो वह यमक अलंकार की श्रेणी में आएंगे। जैसे काली घटा का घमंड घटा 

श्लेष का मतलब चिपकाना एक ही शब्द में एक से अधिक अर्थ चिपकाए हो वहाँ श्लेष अलंकार होता है। इसमें शब्द एक बार प्रयुक्त होता है परंतु उसके अर्थ एक से ज्यादा होते हैं। जैसे-रमन को देखी पट देत बार-बार है। 

एक वर्ग की आवृत्ति के कारण उत्पन्न सौंदर्य को अनुप्रास अलंकार कहते हैं आवृत्ति शुरू में मध्य में या फिर अंत में कहीं भी हो सकती है जैसे -तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।  

अर्थालंकार के 5 भेद

अर्थालंकार के 5 भेद  

.उपमा- जहाँ किसी व्यक्ति या फिर पदार्थ के रूप और गुण से संबंधित विशेषता व्यक्त करने के लिए दूसरी वस्तु या पदार्थ से समानता दिखाई जाए तो वह उपमा अलंकार कहलाएगी।

जहां तुलना की जाती है लेकिन उसमें उपमेय और उपमान के अत्यंत समानता के कारण अभेद वर्णन होता है। वह रूपक अलंकार होता है

उत्प्रेक्षा -इसमें भी तुलना होती है किंतु यहां उपमेय में उपमान की संभावना की जाती है

अतिशयोक्ति -इसका मतलब है बढ़ा चढ़ाकर वर्णन करना। जब किसी कथन में विशिष्ट शब्द का प्रयोग के कारण उत्पन्न हो परंतु वह सीमा से बढ़कर हो तो वह अतिशयोक्ति अलंकार कहलाती है।

मानवीकरण- जब प्रकृति पर मानवीय गुण भावनाओं या फिर क्रियाओं को आरोपित किया जाए तब वह मानवीकरण अलंकार कहलाता है।