Yahudi religion का इतिहास –
यहूदी एक इतिहासिक और धार्मिक समुदाय है जो प्रमुख रूप से इस्राएल और पूरे दुनिया में पाया जाता है। यहूदी जाति का नाम उनके प्रमुख धर्म और संस्कृति, जो यहूदाइज़म कहलाता है, उनसे जुड़ा हुआ है।
यहूदी धर्म,(Yahudi religion ) लगभग 4000 साल पुराना है, आजकल इजराइल का यह मुख्य धर्म है। यह एक प्राचीन धर्मों में से एक है और दुनियाभर में प्रमुख है। यहूदी धर्म से ही ईसाई और इस्लाम की उत्पत्ति हुई है, जिसमें वे एक ईश्वर में विश्वास करते हैं, और मूर्ति पूजा को इस धर्म में पाप मानते हैं।
Yahudi religion(यहूदी धर्म) का आरंभ पैगंबर अब्राहम (जिन्हें इब्राहिम भी कहा जाता है) से माना जाता है, जिनके जीवनकाल करीब 2000 वर्ष पूर्व ईसा से था। पैगंबर अब्राहम के पहले पुत्र का नाम इसहाक था और दूसरे पुत्र का नाम हजरत इस्माइल था। इन दोनों के पिता एक थे, लेकिन माएँ अलग-अलग थीं। इसहाक की माँ का नाम साराह था और इस्माइल की माँ का नाम हजरा था।
पैगंबर अब्राहम के पोते का नाम हजरत अली याकूब था, और याकूब का एक और नाम इजराइल था। याकूब ने ही यहूदी धर्म की 12 जातियों को मिलाकर इस्राइल राष्ट्र की नींव रखी थी। याकूब के एक पुत्र का नाम यहूदा था, और उनके वंशजों को यहूदी कहलाने लगा, और उनका धर्म यहूदी धर्म कहलाने लगा।
अब्राहम से मूसा तक, यहूदी, ईसाई और इस्लाम, सभी के पैगंबर एक ही हैं, लेकिन मूसा के बाद यहूदियों का अपने अगले पैगंबर के आने का इंतजार जारी है। वे अपने ईश्वर को “यहोवा” या “यहोवाह” कहते हैं, और यहूदी धर्म में माना जाता है कि यह नाम सबसे पहले पैगंबर मूसा को प्रकट हुआ था। यह शब्द ईसाई और यहूदी धर्म के बाइबल के पुराने नियमों में कई बार आता है।
Yahudi religion के पवित्र ग्रंथ हिब्रू भाषा में लिखे गए हैं, और उनके धर्मिक ग्रंथ का नाम “तनख” है, जो हिब्रू भाषा में लिखा गया है। जब इसे ईसाई बाइबल में शामिल किया जाता है, तो इसे “पुराना नियम” कहा जाता है। तनख का रचनाकाल आमतौर पर ईसा पूर्व 444 से लेकर ईसा पूर्व 100 के बीच माना जाता है।
यहूदी समुदाय के इतिहास के आधार पर, यहूदी लोग कुछ हजार वर्ष पूर्व से इस्राएल क्षेत्र में रहते थे और उनके धर्म के मूल ग्रंथ में उनकी धार्मिक जीवनशैली और आदर्श बताए गए हैं।
यहूदा के पुत्रों का वंश “यहूदा का वंश” (House of Judah) कहलाने लगा और वे यहूदी समुदाय के मुख्य भाग में आए। इस वंश के प्रत्येक सदस्य को यहूदी माना जाता है।
Yahudi religion के अनुसार, यहूदी समुदाय की संतान यह बिबीली वंश के अनुसार होती है, और उन्होंने अपने धर्म को जीवनशैली के रूप में बनाया है जो उनके प्रमुख धर्मिक ग्रंथ “तोराह” में दिखाई गई है।
यहूदी धर्म के मूल ग्रंथ में “तोराह” कहलाते हैं, जो पांच पुस्तकों का संग्रह है – बेरेशित (Genesis), शेमोत (Exodus), वयक्र (Leviticus), बमिदबर (Numbers), और देवरिम (Deuteronomy)। यह ग्रंथ सबसे प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक गाइडलाइन हैं जो यहूदी जीवन को निर्देशित करते हैं।
यहूदियों का इतिहास इस प्रकार है:-
यहूदी इतिहास और धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण घटनाएं और सिद्धांत हैं, और यहूदी समुदाय दुनिया भर में व्यापक रूप से पहचाने जाते हैं।
यहूदियों का इतिहास बहुत पुराना है और वे एक प्रमुख धार्मिक समुदाय हैं जो इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का हिस्सा रहे हैं।
प्राचीन इतिहास: यहूदी इतिहास का आरंभ प्राचीन क्षेत्रों में हुआ था, जैसे कि मसीही पूर्व 2,000 साल पहले के लगभग, जब इस्राएल क्षेत्र में यहूदी समुदाय का निर्माण हुआ।
बाबिलोनियन गुलामी: सन् 586 पूर्व के आस-पास, बाबिलोनियन साम्राज्य ने इस्राएल को ध्वस्त कर दिया और बहुत से यहूदी लोग बाबिलोन में गुलामी में चले गए।परम्परागत यहूदी राज्य: यहूदी राज्य के एकाधिक समायोजन और अधिकारिक स्थितियों के साथ, यहूदी समुदाय अपने आप को स्वाधीन राज्य के रूप में संचालित किया।
रोमन साम्राज्य और मसीही युग: 1वीं सदी में, रोमन साम्राज्य ने यहूदी राज्य को अपने अधीन कर लिया और यह इस्राएल के ध्वस्त होने की कारण था। इस समय पर यीशु मसीह (जीसस क्राइस्ट) का जन्म हुआ और उनका उपदेश एक नये धार्मिक समुदाय की शुरुआत की।
20वीं सदी के मध्य में, नाजी जर्मनी द्वारा यहूदियों के खिलाफ एक बड़ी नरसंहार किया गया, जिसे होलोकॉस्ट कहा जाता है।इस्राएल का गठन: 1948 में इस्राएल का गठन हुआ, जिससे यहूदी राज्य का नया स्थापना हुआ।
यहूदियों को इजरायली क्यों कहा जाता है ?
यहूदी समुदाय को इस्राएली या इजरायली कहा जाता है, यह नाम बाइबिलिक कथा के आधार पर है। इस्राएली या इस्राएलिट की उत्पत्ति याकूब (Jacob) के नाम से हुई थी, जिन्हें बाइबिल में “इस्राएल” के नाम से जाना जाता है। बाइबिल के अनुसार, याकूब के पिता इश्माइल और इसहाक थे, इसलिए इनको इजरायली नाम से पुकारा गया जो “इस्राएल” था।
Yahudi religion किसकी पूजा करते है ?
Yahudi religion में एक दिव्य नाम नहीं होता, और उनका धर्म अनेक देवताओं के पूजा की अनुमति नहीं देता है। वे एक एकत्ववादी दिशा में एक एकमात्र परमेश्वरकी श्रद्धा रखते हैं, जिसे वे अदोनाई (Adonai) या हाशेम (Hashem) कहकर संदर्भित करते हैं।
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यहूदी धर्म का मूल ग्रंथ “तौराह” उनके धार्मिक जीवन के मार्गदर्शन के रूप में है, जिसमें उनके धार्मिक आदर्श, नियम और सिद्धांत दिए गए हैं। यह धर्म मनवाचारित भक्ति, न्याय, और मानवता के मूल सिद्धांतों को महत्वपूर्ण मानता है और दिव्य पूजा की अनुमति नहीं देता।
नाजी और हिटलर को यहूदियों के खिलाफ नफरत क्यों थी ?
आडोल्फ हिटलर और नाजी जर्मनी की यहूदियों के खिलाफ नफरत नाजिस्म के मूल में से एक थी। इसके पीछे कई कारण थे:
आंतर्राष्ट्रीय यहूदी धन: हिटलर और नाजी ने यह माना कि यहूदी लोग वित्ती रूप से शक्तिशाली थे और उनके पास धन और संपत्ति थी। उन्होंने इसे एक प्रकार की आर्थिक द्रौपण्य के रूप में प्रस्तुत किया और इसका प्रतिष्ठान नकारा।
विचारधार्मिक अधिकारवाद (रेसिज्म): नाजी जर्मनी ने एक विचारधार्मिक अधिकारवादी दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें वे विश्वास करते थे कि आर्य रूप के लोग दुनिया के सबसे श्रेष्ठ थे और अन्य धर्मो का सम्मान नहीं करते ।
आंतरराष्ट्रीय सामाजिक आर्थिक संघर्ष: इसका पहला कारण था यह कि नाजी और उनका पार्टी नाजी द्वारा मान्य किए जाने वाले एक प्राचीन और दुर्भाग्यपूर्ण सामाजिक आर्थिक आंतरराष्ट्रीय संघर्ष का हिस्सा थे, जिसमें उन्होंने यहूदियों को दोषी ठहराया ।