ज्ञानवापी  मंदिर का इतिहास-नंदी की 350 सालों की तपस्या की कहानी 

ज्ञानवापी  मंदिर का इतिहास-

मंदिरपक्षधर के अनुसार भगवान  विश्वेश्वर का मंदिर तकरीबन 2050 सक पहले राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। मंदिर पक्षधर के अनुसार वहा भगवान शिव का ज्योतिलिंग मौजूद है ।

ज्ञानवापी मंदिर
ज्ञानवापी मंदिर का इतिहास

 ज्ञानवापी  मंदिर-इस समय जो सबसे चर्चित विषय बना हुआ है वह है ज्ञानवापी।  मंदिर के विषय मे सभी के मन मे कोताहल है की आखिर कैसे ज्ञानवापी  मंदिर मस्जिद मे बदल गई ? आखिर क्या हुआ था। तो चलिए थोड़ा इतिहास मे चलते है ।

माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने ध्वज कर दिया था और वहां एक मस्जिद का निर्माण किया था। चौथी और पांचवी शताब्दी के बीच चंद्रगुप्त द्वितीय जिसे विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है अपने गुप्त साम्राज्य के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करने का दावा किया है। 635 ई प्रसिद्ध चीनी यात्री हुआ करता था । जिसका नाम हुआन त्सांग हुआ करता था । इनहोने ने अपने लेखन में मंदिर और वाराणसी का वर्णन किया है।

ईशा पश्चात 1194 से 1197 तक मोहम्मद गौरी के आक्रमण के कारण हिन्दू मंदिर को काफी हद तक नष्ट कर दिया गया था और तब पूरे इतिहास में मंदिरों के धवस और पूर्ण निर्माण की एक श्रृंखला शुरू हुई।

कई हिंदू मंदिर को तोड़ा गया और फिर उनका पूर्ण निर्माण किया गया। ईस्वी 1669 में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश से मंदिर को संपूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया और उसके स्थान पर एक ज्ञानव्यापी मस्जिद का निर्माण किया गया।

ज्ञानवापी  मंदिर के पूजा के लिए याचिका

1776 और 1778 के बीच इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने ज्ञानवापी  मस्जिद के पास वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का जिर्णोद्धार किया।1936 में पूरे ज्ञानवापी क्षेत्र में नवाजअदा करने के अधिकार के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया था। वादी ने सात गवाह पेश किया जबकि ब्रिटिश सरकार ने 15 गवाह पेश किया।

ज्ञानवापी  मस्जिद में नमाज अदा करने का अधिकार स्पष्ट रूप से 15 अगस्त 1937 को दिया गया । जिसमें कहा गया था कि ज्ञानवापी संकुल में ऐसी नवाज कहीं और नहीं पढ़ी जा सकती।10 अप्रैल 1942 को उच्च न्यायालय के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और अन्य पक्षों की अपील को खारिज कर दिया था।

ज्ञानवापी मंदिर
ज्ञानवापी मंदिर के साक्ष्य

ज्ञानवापी  मंदिर के लिए हिन्दू पक्षों की अपील

पंडित सोमनाथ व्यास डॉक्टर रंगन शर्मा और अन्यज्ञान व्यक्ति में नए मंदिर का निर्माण और पूजा की स्वतंत्रता के लिए 15 अक्टूबर 1991 को वाराणसी की अदालत में मुकदमा दायर किया। 7 मार्च 2000 को पंडित सोमनाथ व्यास का निधन हो गया।

पूर्व जिला लोक अभियोजक विजय शंकर रस्तोगी को 11 अक्टूबर 2018 को मामले की वादी नियुक्त किया गया था। 17 अगस्त 2021 में शहर की 5 महिलाओं ने वाराणसी सत्र न्यायालय में याचिका दायर की और ज्ञानवापी  मस्जिद परिसर में स्थित सिंगार गोरी का उन्होंने उन्हें नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी थी। जिसके बाद मस्जिद का सर्वे करवाया गया।

ज्ञान व्यापी मस्जिद का सर्वे-

17 अगस्त 2021 मेंशहर की 5 महिलाओं ने वाराणसी सत्र के न्यायालय में याचिका दायर की थी और ज्ञानवापी  मस्जिद परिषद में स्थित श्रृंगार गौरी का उन्हें नियमित दर्शन पूजा की अनुमति मांगी थी। जिसकी सुनवाई करते करते अप्रैल 2022 आ गया। 8 अप्रैल 2022 को सत्र न्यायालय ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के वकील अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया गया और मस्जिद का सर्वे करने वाले की अनुमति दी गई।

जिसकी रिपोर्ट 17 में तक दाखिल करने को कहा । 14 में को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा की अगुवाई में पहले दिन सर्वे हुआ। पहले दिन सुबह 8:00 बजे से 12:00 बजे तक सर्वे हुआ राउंड एक में सभी तहखानों के तले खुलवाकर सर्वे किया गया । अगले दिन 15 में को दूसरे राउंड का सर्वे हुआ दूसरे दिन भी 4 घंटे सर्वे का काम चला लेकिन कागजी कार्रवाई के कारण सर्वे टीम देर घंटे देर से बाहर निकली ।

राउंड 2 में गुंबद, नवाज स्थल वजू स्थल के साथ-साथ पश्चिमी दीवारों की वीडियोग्राफी हुई । मुस्लिम पक्ष ने चौथा ताला खोला साढ़े तीन फीट के दरवाजे से होकर गुंबद का सर्वे हुआ। 16 मई को आखिरी दौर का सर्वे हुआ जहां 2 घंटे का सर्वे सर्वे का काम पूरा कर लिया गया । इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानव्यापी में शिवलिंग मिलने का दावा किया इस दावे के बाद कोर्ट ने शिवलिंग वाली जगह को सील करने का आदेश दे दिया।

24 जनवरी 2024 की सर्वे रिपोर्ट-

भारती पुरातत्व सर्वेक्षण ने 25 जनवरी 2024 को वाराणसी के जिला जज को अपनी रिपोर्ट शॉप दी थी । इस रिपोर्ट में वर्तमान ढांचे से पहले वहा हिंदू मंदिर होने का उल्लेख है बताया गया है । जिसमे कहा गया है की मंदिर नगर शैली मे बना हुआ था। रिपोर्ट में मंदिर के चार खंबे से ढांचे तक की परिकल्पना बताई जा रही है।

एएसआई ने मंदिरों का नक्शा नहीं बनाया है लेकिन अपनी रिपोर्ट में मंदिर के प्रवेश मंडप और गर्भ ग्रह का जिक्र है।   हिंदू विश्वविद्यालय के पुरातात्विक प्रोफेसर अशोक सिंह का कहना है कि ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार जीपीआर की रिपोर्ट ज्ञानवापी के तहखाना के करीब 6 फीट नीचे मंदिर के मिले अवशेषों के 2000 साल पुराना होने का संकेत देती है।

सर्वे में पत्थर में निर्मित जो विग्रह मिले हैं उसमें सबसे ज्यादा 15 शिवलिंग है इसके अलावा 18 मानव की मूर्तियां तीन जानवरों की मूर्तियां और विभिन्न काल के 93 सिक्के मिले हैं तथा 113 धातु की सामग्री भी मिली है।

ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे के एएसआई ने जिला जज की अदालत में जो रिपोर्ट कॉपी है उसे चार अध्याय में बांटा गया है । पहला अध्याय में 155 पेज में ज्ञान व्यापी की संरचना वर्तमान ढांचा खंबा प्लास्टर पश्चिमी दीवार शिलालेख भग्नावशेष शेष का पूरा विवरण है।

इसी अध्याय के अंत में आठ पेज में सर्वो के निष्कर्ष के रूप में बताया गया है कि मौके पर मिले साक्षी शिलालेख और वर्तमान ढांचा की व्यवस्था को देखकर पूरी तरह से स्पष्ट है कि प्राचीन हिंदू मंदिर के ऊपर मस्जिद का ढांचा तैयार किया गया है।