दिनकर की कविता:”हित वचन नहीं तू मानेगा,याचन नहीं अब रन होगा” संदेश के पीछे भारतीय सेना की कहानी

दिनकर की कविता:”हित वचन नहीं तू मानेगा,याचन नहीं अब रन होगा” संदेश के पीछे भारतीय सेना की कहानी

रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी की पंक्ति “हित वचन नहीं तो मानेगा, याचन नहीं अब रन होगा” भारतीय साहित्य की अमर धरोहर है। यह पंक्ति करुण के उस संदेश को दर्शाती है, जिसमें वे दुर्योधन को सत्य और शांति का रास्ता चुनने की सलाह देते हैं, वरना युद्ध अनिवार्य है। आज यह पंक्ति भारत-पाकिस्तान के संदर्भ में भारतीय सेना के रुख को बखूबी व्यक्त करती है। पाकिस्तान की चालाकियों और झूठ के सामने भारतीय सेना ने इस काव्यात्मक संदेश दिनकर कीपंक्तियों के ज़रिए साफ़ कर दिया: शांति की पेशकश है, लेकिन ज़रूरत पड़ी तो “रन होगा”! आइए, इस संदेश की गहराई और इसके पीछे की कहानी को समझें।

दिनकर की पंक्तिया सिर्फ़ कविता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सैन्य शक्ति का प्रतीक है। यह मौजूदा समय में भारतीय सेना की नीति को दर्शाती है: शांति की कोशिश, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर युद्ध की तैयार। पाकिस्तान को यह संदेश है कि भारत की शांति को कमज़ोरी न समझे, वरना परिणाम भयंकर होंगे। यह पंक्ति हर भारतीय के दिल में जोश भरती है और सेना की ताकत को सलाम करती है।

दिनकर की पंक्ति का भाव

दिनकर की यह पंक्ति कहती है कि जब शांतिपूर्ण सलाह और समझाने का रास्ता नाकाम हो, तो युद्ध ही आखिरी हल है। करुण ने दुर्योधन को बार-बार समझाया, लेकिन अहंकार और असत्य के सामने धर्म को बचाने के लिए युद्ध ज़रूरी हो गया।

यही भाव आज भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर लागू होता है। भारत ने हमेशा शांति की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद, सीमा उल्लंघन, और झूठी बयानबाज़ी ने साबित किया कि “हित वचन” का असर नहीं। अब समय है “रन” का—यानी ताकत के प्रदर्शन का।

भारतीय सेना का दिनकर की पंक्ति से संदेश –

भारतीय सेना ने दिनकर की इस पंक्ति के ज़रिए पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है:

शांति को कमज़ोरी न समझो: भारत ने कूटनीति और बातचीत के ज़रिए शांति की हर कोशिश की। लेकिन पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियाँ, जैसे पुलवामा हमला (2019), और सीमा पर उकसावे ने साबित किया कि वह शांति नहीं चाहता। भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) जैसे ऑपरेशनों से जवाब दिया, जो दिनकर के “रन होगा” की भावना को दर्शाता है।

दिनकर का पंक्तियों से साफ़ कहती है कि अहंकार और असत्य का अंत युद्ध के मैदान में होता है। भारतीय सेना का संदेश है कि सच और शक्ति हमेशा जीतते हैं।

पाकिस्तान की चालाकियाँ और भारत का जवाब

पाकिस्तान ने बार-बार भारत के खिलाफ़ आतंकवाद को बढ़ावा दिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झूठा प्रॉपेगैंडा फैलाया। लेकिन भारत ने हर बार सबूतों और ताकत से जवाब दिया। उदाहरण के लिए:

सर्जिकल स्ट्राइक (2016): उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया।

बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): पुलवामा हमले का जवाब देते हुए भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया।

हाल के कथित ऑपरेशनों में भारत ने पाकिस्तान के इन्फ्रास्ट्रक्चर और सैन्य ढाँचे को नुकसान पहुँचाया, ये कार्रवाइयाँ दिनकर की पंक्ति को साकार करती हैं: जब “हित वचन” काम न आए, तो “रन” ही रास्ता है।

निष्कर्ष: शांति की पेशकश, युद्ध की चेतावनी

“हित वचन नहीं तो मानेगा, याचन नहीं अब रन होगा” भारतीय सेना का पाकिस्तान को साफ़ संदेश है: शांति का रास्ता चुनो, वरना युद्ध तैयार है। भारत की सेना ने बार-बार साबित किया कि वह शेर है, जिसे सियार की चालें हरा नहीं सकतीं। पाकिस्तान के झूठ और चालाकियाँ बेकार हैं, क्योंकि सत्य और शक्ति की जीत निश्चित है।

आपके लिए दिनकर की यह पंक्ति क्या मायने रखती है? या भारतीय सेना की ताकत पर आपकी क्या राय है? कमेंट में ज़रूर बताएँ!