बाज और सांप लेखक का नाम निर्मल वर्मा जिनका जन्म 3 अप्रैल 1929 को शिमला में हुआ था । इनहे कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया जैसे मूर्ति देवी साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। एनकी मुख्य कृतिया रात का रिपोर्टर, अंतिम अरण्य, परिंदे आदि है। इनकी मृत्यु 25 अक्टूबर 2005 में हुआ।
बाज और सांप पाठ सारांश –
प्रस्तुत बाज और सांप शीर्षक पाठ में लेखक निर्मल वर्मा जी ने दो प्राणियों बाज और सांप के माध्यम से उनके जीवन जीने की तरीके का वर्णन किया है। इस पाठ में प्रथम प्राणी बज को साहसी और स्वतंत्र तथा दूसरा सांप को सीमित विचारों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।बाज अपने प्राण की परवाह किए बिना ऊंचे आकाश में उड़ने को हमेशा तैयार रहता है।
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दूसरा सांप अपनी अंधेर बिल तक ही सीमित रहना चाहता है। लेखक के अनुसार साहसी व्यक्ति कर के अंदर भी साहस भर देता है। एक दिन की बात है सागर के किनारे एक पर्वत की गुफा में एक सांप अपना निवास स्थान बना रखा था। वहीं बैठकर सागर की लहरें झील मिलती हुई चट्टानों से टकराने के दृश्य को देखकर आनंद ले रहा था।समुद्र और नदी का संगम स्थल दूध के फैन की तरह दिखाई पड़ रहा था।
तो ठीक उसी समय एक बाज जो खून से लतBlended learningपत सीख मारते हुए सांप के ठीक सामने आगे गया और धरती पर लौटने लगा सांप बज को देखते ही डर गया क्योंकि बज का आहार साफ है। सांप ने मन ही मन सोचा खून से लटपट बज अपनी अंतिम सांस गिर रहा है तो इस समय बात से डरना बेकार है।
सांप साहस करते हुए घायल बाज के पास गया और मन ही मन प्रसन्न होकर पूछा क्यों भाई इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली है क्या बाज ने कराहते हुए जवाब दिया कि लगता है कि मेरी आखिरी घड़ी आ गई है किंतु मैंने अपने जीवन का जी भर अनुभव किया है । शरीर में शक्ति रहने तक मैंने हर सुख का अनुभव किया है। आकाश की ऐसी ऊंचाइयों को नापा है लेकिन तुम्हारा जीवन बेकार है क्योंकि तुम जीवन में कभी भी हमारी तरह आनंद लेते ही नहीं यह तुम्हारा दुर्भाग्य है।
सांप ने बाज से कहा आकाश को लेकर उसे चाटना है क्या आकाश में आखिर है ही क्या ? तुम्हारा आकाश तुम्हें ही मुबारक हो । मेरे लिए यह गुफा ही अच्छी है यही मेरे लिए सर्वाधिक सुरक्षित आराम दे है। सांप की इन बातों पर बाज को हंसी आ रही थी। सांप की गुफा में बहुत सारी सी बदबू आती थी तो बाज ने सोचा काश में उड़ जाता।
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सांप ने आकाश में उड़ने की कोशिश की तो एक बिजली की रेखा की तरह चमक ठप से नीचे आ गिरा फिर बाज ने उड़ने की कोशिश नहीं की बाज सब की आंखों से धीरे-धीरे असीम समुद्र में ओझल हो गया। इस समय समुद्र की लहरों से मधुर स्वर की जीत गुजन लगे। जब भी वीरता और साहस के गीत गाए जाएंगे तुम्हारा नाम भर गर्व और श्रद्धा से लिया जाएगा
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बाज और सांप के शब्दार्थ –
- असीम – जिसकी कोई सीमा ना हो
- जख्म -घायल या घाव
- करूंन – दुख
- दूने -दुगना
- रहस्य -राज
- कसर -कमी
- शिखर- पहाड़ का सबसे ऊपरी भाग
- हाफना -तेजी से सांस लेना
- मिलन -मिलन
- लकीर- रेखा
- ओझल- गायब
- बिजली- विद्युत मीटर
- सरिता – नदी।
बाज और सांप के प्रश्न उतर –
प्रशन 1 -लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पत्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और सांप को ही क्यों चुना आपस में चर्चा कीजिए
उत्तर – प्रस्तुत कहानी बाज और सांप में लेखक ने दो पत्र बाज और सांप को ही चुना है क्योंकि यह दोनों एक दूसरे से साहस और विचारों में अलग है। बज को आकाश की असीम ऊंचाइयां से प्यार है तो सांप को केवल अपनी पहाड़ की गुफाओं से। प्रस्तुत कहानी में बाज हर्ष और वीरता का प्रतीक है तो सांप कायरता का प्रतीक है।
बाज आकाश में स्वतंत्र रूप से उड़ाना पसंद करता है तो वही सांप एक बिल में ही सिमट कर रहना पसंद करता है।बाज खून से लथपथ होने पर भी अपनी अंतिम घड़ी की सांस लेने पर भी आसपास में उड़ने की इच्छा रखता है सांप भूल कर भी दोबारा ऐसा नहीं करना चाहता है।
प्रश्न संख्या 2 – घायल होने पर भी बाज ने यह क्यों कहा मुझे कोई शिकायत नहीं है विचार प्रकट कीजिए?
उत्तर – बाज घायल होने पर भी अंतिम घड़ी में भी उसे कोई शिकायत न होने का विचार प्रकट करता है। क्योंकि उसके लिए कोई ऐसा सुख नहीं है जो उसने अनुभव नहीं किया हो। उसने दूर-दूर तक पुराने भरी और अपने पंखों से आकाश की ऐसी ऊंचाइयों को नापा। बज अपने व्यतीत जीवन से संतुष्ट होने के कारण उसने कहा मुझे कोई शिकायत नहीं है।
प्रश्न संख्या 3 – बाज जिंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ाना क्यों चाहता था?
उत्तर-आकाश की असीम सुनता में छिपा आकर्षण से आकर्षित होकर शरीर में शक्ति रहने तक हर सुख का अनुभव करना चाहता था। आकाश की ऐसी ऊंचाइयों को नापना चाहता था उड़ान भरने के सुख को मरने तक भूलना नहीं चाहता था। कौन से लटपट होने पर भी अंतिम सांस तक वह असीम आकाश में उड़ना ही चाहता था। उड़ने की लालसा में अपना दम तोड़ दिया था।
प्रश्न संख्या 3- सांप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
उतर- स्वभाव से सांप जमीन पर रहने वाला प्राणी है। वह अपना बिल में रहकर ही संतुष्ट रहता था। आकाश की असीम ऊंचाई है या बाहर की दुनिया से उसे कुछ लेना-देना भी ना था। सांप उड़ने और रंगने में कुछ अंतर नहीं समझता था। जब घायल अधमराबाद में असीम आकाश में उड़ने की व्याकुलता देखी तब सांप ने भी उड़ने की कोशिश की।
प्रश्न संख्या 4 – बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गया था?
उत्तर- बाज ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर जीवन के हर खतरे को साहस से सामना किया स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा किया इसलिए लहरों ने बज के लिए जीत गया। जब कभी साहस और वीरता के गीत गाए जाएंगे तब बज का नंबर एक गर्व और श्रद्धा के साथ लिया जाएगा।
प्रश्न संख्या 5 – घायल बाज को देखकर सांप खुश क्यों हुआ होगा?
उतर – वैसे तो हम जानते हैं कि बज का शिकार सांप है तो भला सांप हमेशा बात से भयभीत क्यों नहीं होगा इस प्रकार बाज को सांप अपना परम शत्रु मान लेना कोई अनुचित बात नहीं है। शत्रु को विषम परिस्थिति में देखकर प्राय प्राणी खुश होते है।
बाज और सांप बाज और सांप बाज और सांप