विराम चिन्ह की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
अपने विचारों को धारा प्रवाह रूप से प्रस्तुत करना संभव नहीं होता है। हर शब्द को, हर भावनाओ को सही क्रम में बोलने पर ही बात समझ में आती है।
जब हम बातचीत करते है तब शब्द /वाक्यांश पर बल देते है,कुछ रुकते है, कुछ ठहरते है,आश्चर्य व्यक्त करते है, तो उसकी प्रस्तुति सहज ग्रहण हो जाती है लेकिन जब हम लिखित रूप से भाषा के प्रदर्शित करना चाहते है तो, या फिर भावनाओ के उतार-चढ़ाव को दिखाना चाहते है तो हम विभिन्न प्रकार के चिन्हों का सहारा लेते है।
तभी हम स्पष्ट रूप से अपनी बातों को समझा पाते है। इसलीए हम विराम चिन्ह का प्रयोग करते है। चलिए कुछ विराम चिन्ह का जानते और समझते है उदाहरण के साथ जो इस प्रकार है –
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विराम चिन्ह किसे कहते है ?
किसी भी भाषा को बोलते, पढ़ते या लिखते समय भावों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने के लिए वाक्यों के बीच या अंत में थोड़ा रुकना पड़ता है। इस रुकावट का संकेत देने वाले लिखित चिन्ह को विराम चिन्ह कहते हैं।
- जैसे- पपीते पर बौर आ गया। (सामान्य सूचक )
- पपीते पर बौर आ गया ! (आश्चर्य भाव)
- पपीते पर बौर आ गया? (प्रश्नवाचक चिन्ह)
यही संकेत वाक्यों के अर्थ में अंतर दे रहे हैं जबकि वाक्य रूप और संरचना की दृष्टि से एक ही है।
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विराम चिन्ह के प्रकार – Types of Punctuation
- 1 पूर्ण विराम (। ) – वाक्य समाप्त होने पर इस चिन्ह प्रयोग होता है। प्रश्नवाचक और विस्मयादिबोधक वाक्यों को छोड़कर सभी वाक्यों के बाद पूर्ण विराम आता है।
- 2 अर्धविराम (;) – पूर्ण विराम की तुलना मे कम देर तक रुकना हो तो अर्धविराम (;) का प्रयोग किया जाता है।
- 3 अल्पविराम (,) – अर्ध विराम की तुलना में और कम देर रुकना हो तो अल्पविराम (,) का प्रयोग किया जाता है। वाक्य,पद आदि में अलगाव दिखाने के लिए तथा संबोधन और हां, नहीं के बाद इसका प्रयोग किया जाता है।
- 4 प्रश्नवाचक चिन्ह(?) – जहां प्रश्न किया जाए तब प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया जाता है। जैसे -क्या, क्यों,कब आदि लगे वाक्य मे प्रश्नवाचक शब्द का प्रयोग होता है और नहीं भी, परंतु वक्ता जिस वाक्य में प्रश्न करता है उसमें प्रश्नवाचक चिन्ह का प्रयोग होता है।
- 5 विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) – हर्ष, आश्चर्य,घूर्णा आदि मनोभाव को प्रकट करने वाले पदों के बाद या वाक्य के अंत में विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग संबोधन के लिए भी किया जाता है।
- 6 योजक या विभाजक(-) -तत्पुरुष, द्वंद समास के मध्य, तुलना करते हुए, द्द्वित्व रूपों में भी इसका प्रयोग होता है।
- 7 निर्देशक (– ) – जब व्याख्या स्पष्ट करनी हो,उदाहरण देते समय, संवादों के नाम के बाद (–) का प्रयोग किया जाता है।
- 8 अवतरण या उद्धरण चिन्ह (‘ ‘ / “ “) – किसी के कहे हुए वाक्यों को जैसे का तैसा उद्धृत किया जाए तो उसे दूहरे उद्धरण चिन्ह (“ “)के बीच लिखा जाता है। किसी व्यक्ति के नाम या उपनाम आदि के लिए एकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
- 9 विवरण चिन्ह (:-) – सूचना, निर्देश आदि देने के लिए विवरण चिन्ह (:- ) का प्रयोग किया जाता है।
- 10 कोष्ठक ( ), { }, [ ] – कठिन शब्द को स्पष्ट करने के लिए या गणित में यह तीन प्रकार के कोष्ठक का प्रयोग होता है ।
- 11 हंसपद ( ^) – इसे त्रुटिपूरक भी कहा जाता है,क्योंकि अगर कोई अंश छूट जाए तो इसे बीच मे ऊपर करके लिखा जाता है। स्थान ना होने के कारण( ^)से निर्देशित किया जाता है।
- 12 संक्षेप सूचक (.) – किसी शब्द को संक्षिप्त रूप लिखने के लिए एस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है जैसे- डॉ.,कृ.,पृ. आदि।
आज हमने क्या सीखा –
*किसी भी भाषा को बोलते,पढ़ते या लिखते समय भावों को स्पष्ट करने के लिए वाक्यों के बीच का अंतर में थोड़ा रुकना होता है। जिससे कथन स्पष्ट हो जाता है,इस रुकावट को संकेत के द्वारा समझाने वाले चिन्हों को विराम चिन्ह कहलाते हैं।
विराम चिन्ह के अंगेजी नाम –
- पूर्ण विराम (full stop )
- अर्धविराम (Semicolon )
- अल्पविराम(Comma )
- प्रश्नवाचक चिन्ह (Question Mark)
- योजक या विभाजक(Hyphen)
- निर्देशक(Dash)
- उद्धरण चिन्ह (Inverted Commas)
- विवरण चिन्ह (Colon Dash )
- कोष्ठक (Bracket )
- हँसपद (Caret )
- संक्षेप सूचक (sign of Abbreviation) ।