हम रोज आपस में किसी प्रयोजन से बातचीत करते हैं बिना बातचीत या संवाद के जीवन की कल्पना असंभव है। घर में हम माता-पिता भाई बहन से संवाद करते हैं यदि किसी दिन इसमें से कोई एक बात नहीं करता तो हर कोई सोचता है कि शायद वह नाराज है। इसलिए संवाद का जीवन में बहुत महत्व है। आज हम टेलीविजन सिनेमा नाटक आदि में पात्रों के संवाद देखते सुनते हैं।
संवाद का संबंध साहित्यिक विधाओं से भी है। नाटक तो है ही पूरा संवाद, कोई भी कहानी उपन्यास स्मृति लेखन आदि भी संवाद के कारण ही जीवित रूप प्राप्त कर पता है। किसी भी विषय पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा आपस में भाव विचारों का आधान प्रदान करने की प्रक्रिया संवाद कहलाती है संवाद को लिखना एक कला है।
इसे भी पढे – संक्षेपन क्या होता है कैसे होता है ?(click kare )
संवाद लेखन में ध्यान देने योग्य बातें-
संवाद लिखने से पहले विषय और परिस्थिति की जानकारी जरूरी होती है। संवाद की सरल भाषा एवं भाव अनुकूल होनी चाहिए वाक्य छोटे होने चाहिए। संवाद लेखन में बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए। दो व्यक्तियों के संवाद लेखन में दोनों की आयु शिक्षा आदि का भी ध्यान रखना चाहिए। संवाद कर्मवर्ध होना चाहिए।
इसे भी पढे – मुहावरे किसे कहते है उदाहरण से समझे (क्लिक करे )
संवाद के कुछ उदाहरण सीखते हैं-
1-चेन्नई की गर्मी से राहत के लिए कश्मीर की सैर का कार्यक्रम बनाने के लिए संवाद करें-
माता जी: इस साल तो गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिताजी : गर्मी से तो मैं भी तंग आ गया हूं। सोचता हूं किसी ठंडा प्रदेश के शहर को चले। माताजी : तो देर किस बात की है? पिताजी : तो बताओ कहां चले? शिमला, कश्मीर या फिर कहीं और?
तन्वी: मैं बताऊं पिताजी कश्मीर चलिए। माताजी तो कश्मीर का ही कार्यक्रम बना लिया जाए। तन्वी : ठीक है मैं ट्रेन की टिकट बुक करवा लेती हूं। पिताजी ठीक है तुम ट्रेन की टिकट बुक करवा लो। तन्वी: कल सुबह निकलेंगे। मै और मम्मी मिलकर सारी तैयारी कर लेते हैं। पिताजी : ठीक है।
2-आउटडोर खेलने का महत्व बताते हुए मां बेटे के बीच का संवाद लेखन-
मम्मी-आयुष शाम हो गई है जब से स्कूल से आए हो कंप्यूटर पर गेम खेल रहे हो। बाहर जाकर खेलो।आयुष-नहीं मम्मी बाहर बहुत गर्मी है। वैसे भी खेलने का मतलब मनोरंजन होता है। वह तो कंप्यूटर पर खेलने से भी हो जाता है।
मम्मी-कंप्यूटर पर गेम खेलने से शारीरिक व्यायाम नहीं होता। लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर नजर करने से आंखें कमजोर हो जाती हैऔर हां हाथों की मांसपेशियां भी खिंच जाती है।
आयुष-वे तो बाहर जाकर क्रिकेट या फुटबॉल खेलने से भी खिंच जाती है। बल्कि बॅाल के यहां वहां लगने से शरीर के दूसरे हिस्से में चोट लगने का भी खतरा रहता है। मम्मी – बेकार की बहस मत करो। कंप्यूटर के सामने ज्यादा देर तक बैठना अधिक खतरनाक है क्या तुमने इंटरनेट पर यह नहीं पढ़ा?
आयुष -मम्मी पढ़ा तो है पर मुझे बाहर जाने में आलस आता है पार्क में खेलने से पसीना आता है। मै बीमार भी हो सकता हूं। मम्मी-बेटा पसीना आना एक अच्छी बात है। पसीने के द्वारा हमारे शरीर का हानिकारक तत्व शरीर के बाहर निकल जाता है। और यह तो एक प्राकृतिक शारीरिक क्रिया है जो हमें स्वस्थ रखती है। जो लोग जिम जाते हैं पसीना निकालने के लिए ही ना जाते है।आयुष-अरे हां मम्मी यह तो मैंने सोचा ही ना था अब से मैं रोज शाम के 2 घंटे के लिए पार्क में खेलने जाऊंगा और कंप्यूटर पर भी एक घंटा ही खेलूंगा।