रस किसे कहते है ?
रस किसे कहते है? काव्यशास्त्र के 9 रसों की व्याख्या उदाहरण के साथ-हमारे भारतीय काव्यशास्त्र मे रस का महत्वपूर्ण स्थान है किसी कविता को उसके पाठक के साथ भावनात्मक संबंध जोड़ने के लिए रस एक महत्वपूर्ण घोतक है। कहने का तात्पर्य यह है की कविता मे उत्पन्न भाव या आनंद को रस कहते है, इसे किसी रचना का प्राण भी माना जाता है।
जो किसी रचना, कविता, नाटक या अन्य कलात्मक अभिव्यक्ति को पढ़ने, सुनने या देखने से उत्पन्न होता है। सरल शब्दों में, रस वह भावना है जो पाठक या दर्शक के मन में पढ़ने की भावना को उत्पन्न करता है। उसे रस कहते है।
रस का निर्माण इतना भी सरल नहीं है। किसी भी रचना मे शब्द, भाव, ध्वनि, और शैली का समिलित प्रभाव ही रस की उत्पत्ति करता हैं,जो पढ़ने वाले को आनंद, दुख, उत्साह, प्रेम, क्रोध आदि जैसी भावनाओं को रचना के साथ जोड़ती है।
रस के प्रकार –
कविता में रस नौ प्रकार के होते हैं, जिन्हें हम नवरस भी कहते है।जो इस प्रकार हैं
1.श्रृंगार रस 2. वीर रस 3. हास्य रस 4. करुण रस 5. रौद्र रस 6. भयानक रस 7. बीभत्स रस 8. अद्भुत रस 9. शांत रस। चलिए एक एक कर सभी को विस्तार से तथा उदाहरण से समझते है।
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श्रृंगार रस किसे कहते है ?
वह रस है जो प्रेम, सौंदर्य, और आकर्षण की भावना को व्यक्त करता है। यह रस मुख्य रूप से प्रेमी और प्रेमिका के बीच के संबंधों को दर्शाता है। श्रृंगार रस को दो प्रकारों में बांटा जाता है।1 संयुक्त श्रृंगार 2-विप्रलंभ श्रृंगार
1-संयुक्त श्रृंगार किसे कहते है ?
इसमें प्रेमी और प्रेमिका का मिलन और उनके बीच की प्रेम भावना का वर्णन होता है। जैसे
देखो प्रेम नगर में, बाजे बधाई री हर जगह सज गई, रंग-रंगीली होरी री। प्रिय संग रास रचाये, फूलों की छाई री, मधुर मिलन की रात, सजी है कुमुदिनी री।
2. विप्रलंभ श्रृंगार किसे कहते है ?
इसमें प्रेमी और प्रेमिका के बीच वियोग (जुदाई) का वर्णन होता है, जिसमें उनके बीच की तड़प और विरह की भावना प्रमुख होती है।
“बिन देखे न चैन आये, बिन पिया अब जी न लगे, हर पल तेरा ख्याल आये, तेरे बिना कुछ भाए न।आँखों में नीर भरे, रातें जगाए न,तू है जहाँ मेरा मन वहीं पर जाये न।”
वीर रस किसे कहते है ?
वह रस है जो साहस, पराक्रम, उत्साह, और वीरता की भावना को व्यक्त करता है। इस रस में वीरता और युद्ध का वर्णन किया जाता है, जहाँ नायक अपनी शक्ति, साहस और दृढ़ता का परिचय देता है। वीर रस से जुड़े पात्रों में आत्मविश्वास, धैर्य, और विजय का भाव होता है।
“सिंह गर्जना करता रण में, सिंहनी का गर्व है जोश में। धरती कांपे, आकाश झुके, शत्रु कांपें वीरता के जोश में।”
हास्य रस किसे कहते है ?
वह रस है जो हंसी, मजाक, और आनंद की भावना को व्यक्त करता है। यह रस उन स्थितियों, कथाओं, या पात्रों से उत्पन्न होता है जो हंसी और मनोरंजन प्रदान करते हैं।
हास्य रस में व्यंग्य, चुटकुले, और मजेदार घटनाओं का वर्णन होता है, जो पाठक या दर्शक को हंसाने का कार्य करते हैं।
“बोला बंदर फलों का राजा, मुझे चाहिए हर दिन ताजा। केला, आम, और पपीता, जो ना लाए, वो है चीता। हंस पड़ा पेड़ का पत्ता, बंदर जी! आपसे बड़ा कौन है मस्त मलंगा
करुण रस किसे कहते है ?
वह रस है जो दुःख, पीड़ा, और करुणा की भावना को व्यक्त करता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब किसी दुखद घटना, विपत्ति, या हानि का वर्णन किया जाता है,
जिससे पाठक या दर्शक के मन में करुणा, सहानुभूति, और संवेदना की भावना जागृत होती है। करुण रस का उद्देश्य हृदय को स्पर्श करना और उसे गहरी भावनाओं से भर देना होता है।
“वह रोया रात भर, अपनों के इंतजार में, आँखों में आँसू, दिल में दर्द बेकार में। न कोई आया, न कोई पुकार सुनी, बूढ़ी आँखें बस दरवाजे पर टिकी रहीं।”
रौद्र रस किसे कहते है ?
वह रस है जो क्रोध, आक्रोश, और प्रतिशोध की भावना को व्यक्त करता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब कोई चरित्र गुस्से से भर जाता है और उसके भीतर का आक्रोश प्रकट होता है।
रौद्र रस में व्यक्ति के चेहरे के भाव, उसकी तेज आवाज, और उसके उग्र स्वभाव का वर्णन किया जाता है, जिससे पाठक या दर्शक के मन में भी गुस्से और आक्रोश की भावना जागृत होती है।
“जब देखा उसने अत्याचार, फिर न रुका उसका प्रहार। आँखों में अंगारे भरे, बोला वो शत्रु से डरे। चला दी तलवार ऐसी, काँप उठी धरती जैसी।”
भयानक रस किसे कहते है ?
वह रस है जो डर, भय, और आतंक की भावना को व्यक्त करता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब किसी स्थिति, घटना, या दृश्य से व्यक्ति के मन में भय और घबराहट उत्पन्न होती है।
भयानक रस का प्रयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है जहाँ खौफनाक दृश्य, भूत-प्रेत, या किसी अन्य डरावनी चीज़ का वर्णन किया जाता है, जिससे पाठक या दर्शक के मन में डर और बेचैनी पैदा होती है।
घने जंगल में गहरा अंधकार। चमकती आँखें झाड़ियों में छिपी, किसी का साया पास आया धीरे-धीरे। कांप उठे कदम, सांसें हुईं भारी, भय से थरथराया तन, जैसे आई हो बारी।”
बीभत्स रस किसे कहते है ?
वह रस है जो घृणा, विकृति, और disgust की भावना को व्यक्त करता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब कोई ऐसी स्थिति या दृश्य प्रस्तुत किया जाता है जो गंदा,
विकृत, या अप्रिय हो, जिससे पाठक या दर्शक के मन में घृणा और अवमानना की भावना पैदा हो जाती है।
बदबू से भरा हुआ गलियों का रास्ता। सड़े हुए भोजन पर मंडराते कीड़े, दिखाई दें जैसे घावों में पड़े टांके। देख कर यह दृश्य, मन घृणा से भर गया, आँखों में आया पानी, दिल उल्टी से भर गया।”
अद्भुत रस किसे कहते है ?
वह रस है जो आश्चर्य, चमत्कार, और विस्मय की भावना को व्यक्त करता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब किसी अनोखी, असामान्य, या अविश्वसनीय घटना या दृश्य का वर्णन किया जाता है,
जिससे पाठक या दर्शक के मन में आश्चर्य और अविश्वास की भावना उत्पन्न होती है। अद्भुत रस किसी ऐसी स्थिति का चित्रण करता है जिसे देखकर व्यक्ति हैरान हो जाता है और उसकी कल्पना से परे कुछ अनोखा अनुभव करता है।
“स्वर्णिम सूर्य के किरणों से सजी, उस राजमहल की दिव्य चमक। दीवारें संगमरमर की, झूमर से सजाई गई, उसकी सुंदरता देख मन रह गया थम। बगिया में खिले फूल, रंग-बिरंगी रोशनी, मानो स्वर्ग से उतरा हो धरा पर कोई अद्भुत सपना।”
शांत रस किसे कहते है ?
वह रस है जो शांति, संतोष, और आत्मिक शांति की भावना को व्यक्त करता है। यह रस तब उत्पन्न होता है जब किसी घटना, अनुभव, या स्थिति के माध्यम से मन में गहरी शांति, समर्पण, और संतोष का भाव जागृत होता है।
शांत रस का मुख्य उद्देश्य मन को स्थिर, शांत, और संतुलित करना होता है, जहाँ कोई भी बाहरी उत्तेजना या चिंता नहीं होती, बल्कि केवल शांति और आंतरिक संतुलन का अनुभव होता है।
हवा में बसी है मधुर सुगंध प्यारा। वृक्षों की छाया में बैठा वह योगी, ध्यान में मग्न, शांत और योगी। न कोई लालसा, न कोई शोर, बस आत्मा में बसी है शांति का जोर।”