Vakya kise kahate hai? उदाहरण से समझे -in hindi
- सीमा – कहाँ जा रही हो ?
- मीरा -बस,पास वाली दवाई के दुकान मे।
- सीमा -क्या मैं भी चलू ?
- मीरा -हाँ
- सीमा -अभी माँ कैसी है ?
- मीरा -ठीक है,डाक्टर ने बोला है दवाई समय पर खाने को।
- सीमा -माँ का अच्छे से ध्यान रखना।
ऊपर लिखे सवाद मे सीमा और मीरा अपने विचारों का आदान-प्रदान एक और अनेक पदों के माध्यम से कर रहे हैं।यंहा एक शब्द का वाक्य भी है,और अनेक शब्दों का भी। इन्हें वाक्य इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इनमें विचारों की पूर्ण रूप से अभिव्यक्ति हो रही है ।
इसलिए हम इसे इस प्रकार कह सकते है कि बातचीत के दौरान vakya एक शब्द का भी हो सकता है,और अनेक शब्दों का भी, परंतु वह पूर्ण अर्थ को स्पष्ट करने वाला होना चाहिए।
इस आधार पर vakya को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि,सार्थक पदों के समूह, जो विचार को पूर्ण रूप से व्यक्त करता है। उसे vakya कहते है। अर्थात –
जो किसी भाव या विचारों को सम्पूर्ण रूप से व्यक्त कर सकें तथा उसमें अपेक्षितअर्थ प्रकट हो उसे वाक्य कहते हैं।
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वाक्य के 2 अंग होते हैं- 1 उद्देश्य 2 विधेय
उद्देश्य- जिस Vakya (वाक्य) मे किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के विषय में कहा जा रहा हो वह उद्देश्य कहलाता है; जैसे-
- सोना कहानी पढ़ती है ।
- रोहित सिनेमा देखता है ।
इन Vakya में सोना और रोहित उद्देश्य है क्योंकि, इसके बारे में कुछ कहा गया है।
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विधेय – Vakya में उद्देश्य के विषय में जो बताया जाता है, उसे विधेय कहते हैं; जैसे –
- सोना कहानी पढ़ती है ।
- रोहित सिनेमा देखता है ।
ऊपर के sentance में कहानी पढ़ता है । क्रिकेट देखता है । विधेय है क्योंकि यह उद्देश्य के विषय में बता रहा है।
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वाक्य के भेद!- 1अर्थ के आधार पर 2 रचना के आधार पर
अर्थ के आधार पर-
विधान वाचक- जब किसी Vakya में किसी वस्तु या स्थिति का बोध हो, जैसे –
- बगीचे मे मीठे मीठे फल लगे हैं।
- चाँद की आभा बहुत अच्छी लगती है।
निषेधवाचक- जिन Vakyo में,नकारात्मक शब्द हो इन वाक्यों में न, नहीं, मत का प्रयोग होता है; जैसे –
- कंप्युटर स्टार्ट नहीं हो रही है।
- अभी बाजार मत जाओ ।
- मैं कहां बोली ?।
- अब तुम क्यों पूछोगे ।
प्रश्नवाचक- जिन Vakyo में प्रश्न किया जाए वह प्रश्नवाचक कहलाता है। यह नकारात्मक और सकारात्मक दोनों हो सकते हैं;जैसे –
- क्या तुम्हें खाना बनाना नहीं आता?
- तुम पढ़ने कब जा रहे हो ?
विस्मयादिबोधक- जिन Vakya में खुशी, हर्ष,विस्मय,आश्चर्य आदि भाव प्रकट हो रहे हो उसे विस्मयादिबोधक कहते है;जैसे –
- वाह क्या मौसम है!
- अरे चोट लग गई!
आज्ञावाचक- जिन vakyo में आज्ञा या अनुमति, प्रार्थना, निवेदन का भाव हो उसे आज्ञावाचक कहते है । जैसे –
- आप वहां पर बैठे।
- अब आप गा सकते हैं।
इच्छावाचक -जिन vakyo में बोलने वाला इच्छा या आशा का भाव प्रकट करें। जैसे-
- ईश्वर तुम्हें शीघ्र ही स्वस्थ करें।
- अपना कार्य ठीक से संपन्न हो।
संदेह वाचक- जिन vakyo में संदेह, संभावना का भाव प्रकट हो उसे संदेहवाचक कहते हैं; जैसे –
- शायद आज शाम से यातायात शुरू हो जाए।
- अब तक वह कलकता पहुंच गया होगा।
संकेतवाचक- जिन vakyo में एक क्रिया का होना दूसरे पर निर्भर करती हो उसे संकेतवाचक कहते है; जैसे –
- यदि तुम भी साथ गाओगे तो मजा आएगा।
- अगर सच बोलते तो सजा नहीं मिलती।
रचना के आधार पर-
रचना के आधार पर इनके निम्नलिखित भेद है- 1 सरल 2 संयुक्त 3 मिश्रित
सरल vakya – इसमें वाक्यों मे एक ही मुख्य क्रिया होती है, उद्देश्य तथा विधेय भी एक ही रहता है। जैसे-
- हमारे थियेटर में कल बुजुर्गों के लिए हास्य कार्यकर्म दिखाया जाएगा।
- वह मंदिर दर्शनीय है।
इन दोनों vakyo में मुख्य क्रिया एक ही है।
संयुक्त vakya – इनमे vakyo में दो या अधिक स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं, यह उपवाक्य भाषा में स्वतंत्र रूप से भी उपयोग हो सकते हैं। इसमें वाक्य समुच्चयबोधक योजक से जुड़े होते है जैसे -और, नहीं तो, अथवा, लेकिन, किंतु, परंतु अगर, मगर, चाहे, ना, कि,या आदि । जैसे –
- हम घूमने जाएंगे या यही रुकेंगे?
- संभल के चलो नहीं तो गिर जाओगे।
- ना आप ही गए और ना ही बच्चों को जाने दिया।
कभी कभी योजक शब्द का लोप हो जाता है, लेकिन अर्थ उसी से ग्रहण किया जाता है-
- सोचा भी नहीं था, क्या कर सकते हैं? (पर)
- मेहनत किया है, फल भी मीठा ही होगा।(इसलिए)
मिश्रित vakya – जिन vakyo में एक स्वतंत्र उपवाक्य होता है और बाकी सब उस पर आश्रित रहते हैं। इसके उपवाक्य योजक से जुड़े होते हैं-
- क्योंकि
- इसलिए
- इस कारण
- तथापि
- यद्यपि
- यदि तो
- अर्थात
- मानो
- यहां तक
- ताकि
- जिससे कि
- जैसे- जो मित्र ने आवेदन किया था,उसे नौकरी मिल गई है।
- मैं चल नहीं सकता क्योंकि मेरे पैरों मे मोच थी।
- मै नहीं जानता था कि तुम बेमानी करोगे।
उपवाक्य किसे कहते है ?
ऐसा पद समूह जो अपना स्वतंत्र अर्थ रखती हो, जो एक Vakya का भाग हो और जिसमें एक उद्देश्य और विधेय हो उपवाक्य कहलाता है। इस के दो भेद होते हैं -1 प्रधान उपभाग 2 आश्रित उपवाक्य।
प्रधान उपवाक्य- जो उपवाक्य पूरे Vakya से अलग भी लिखा जाए तथा जिसका अर्थ किसी दूसरे पर आश्रित ना हो उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं। जैसे – अब्दुल कलाम जी ने कहा की सपने देखना अच्छी बात है। इस vakay मे अब्दुल कलाम जी ने कहा प्रधान उपवाक्य है।
आश्रित उपवाक्य- आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के बिना पूरा अर्थ नहीं दे सकता है। इसे स्वतंत्र रूप से नहीं लिख सकते, जैसे- यदि सोहेल आ जाए तो मैं उसके साथ बाजार जाऊ। यहां यदि सोहेल आ जाए आश्रित उपवाक्य है तथा मैं उसके साथ बाजार जाऊ प्रधान उपवाक्य है।
आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैं-
संज्ञा उपवाक्य- यह प्रधान उपवाक्य कि किसी संज्ञा या संज्ञा पदबंध के बदले आते हैं; जैसे –
- रमा ने कहा कि वह मुंबई जाएगी।
- उसने कहा कि वह शाम तक लौट आएगा।
मिश्रित vakya में संज्ञा उपवाक्य अक्सर कि समुच्चयबोधक से जुड़े रहते हैं।
विशेषण उपवाक्य- यह प्रधान उपवाक्य में आए संज्ञा की विशेषता बताने वाले विशेषण शब्द या पदबंध के बदले आते हैं; जैसे -जो व्यक्ति परिशर्मी होता है, वह छोटी-छोटी बाधाओ से नहीं डरता है। मिश्र vakya मैं लगने वाले विशेषण उपवाक्य अकसर जो से शुरू होते हैं।
क्रियाविशेषण उपवाक्य- यह प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताते हैं; जैसे-
- जैसा गाना रेखा गाती है,वैसा कोई गा नहीं सकता।
- जितना तुम अपेक्षा रखती हो उतना कहां हो पाता है।
क्रिया विशेषण उपवाक्य में प्रायः जब जहां,ज्यों,यद्यपि, हालाकी, इत्यादि शब्दों का इस्तमाल किया जाता है।
वाक्य परिवर्तन कैसे करे –
एक Vakya को दूसरे प्रकार के vakya में बदल देना,वकाय परिवर्तन कहलाता है; जैसे- किसी सरल को संयुक्त या मिश्रित में बदलना या फिर संयुक्त से सरल, या मिश्रित Vakya मे बनाना।
vakya परिवर्तन करते समय विधानवाचक को मूल आधार मानकर परिवर्तन किया जा सकता है। जैसे –
- प्रतिभा रोटी बनाती है(विधान वाचक)
- प्रतिभा रोटी नहीं बनाती है (निषेधवाचक)
- प्रतिभा क्या बनाती है (प्रश्नवाचक)
- आज प्रतिभा रोटी बनाएगी (इच्छावाचक)
- शायद प्रतिभा रोटी बना रही होगी (संदेह वाचक)
- यदि प्रतिभा रोटी बनाती है तो (संकेतवाचक)
- प्रतिभा रोटी बनाओ (आज्ञा वाचक)
- अरे प्रतिभा रोटी बनाती है (विस्मयादिबोधक)
रचना के आधार पर परिवर्तन में सरल को संयुक्त या मिश्रित में, मिश्रित को सरल या संयुक्त में, संयुक्त को सरल या मिश्रित में परिवर्तन किया जाता है। सर्वनाम किसे कहते है ?
सरल को संयुक्त या मिश्रित vakya में-
सरल | संयुक्त /मिश्रित |
वे लोग सिनेमा देखने के लिए थियटर में गए थे | उन्हें सिनेमा देखना था इसलिए वह थियटर में गए थे (संयुक्त vakyo )/ वह थियटर में गए थे क्योंकि उन्हें सिनेमा देखना था।(मिश्रित vakya ) |
मिश्रित vakya -सरल और संयुक्त vakya
मिश्रित | सरल और संयुक्त |
जैसे ही हम घर से बाहर निकले वर्षा होने लगी | हमारे घर से बाहर निकलते ही वर्षा होने लगी। (सरल vakya )/हम घर से बाहर निकले और वर्षा होने लगी (संयुक्त) |
संयुक्त vakya – सरल और मिश्रित वाक्य-
संयुक्त | सरल और मिश्रित |
विद्यार्थियो ने बैग उठाए और घर चले गए | विद्यार्थी बैग उठाकर घर चले गए। (सरल) जब विद्यार्थी ने बैग उठाए तब घर चले गए (मिश्रित) |
वाक्य संश्लेषण कैसे करे ?
जब कई Vakyo को मिलाकर एक Vakya बनाया जाता है तब उसे वाक्य संश्लेषण कहते हैं जैसे –
(क) मैंने एक गरीब लड़के को देखा (ख) वह भूखा था ।( ग) वह सब से खाना मांग रहा था ।
संश्लेषण के द्वारा -एक गरीब भूखे लड़के को सबसे खाना मांगते हुए देखा।
सरल vakya मे संश्लेषण-
एक गांव था। गांव में एक घर था। घर कच्चा था।
सरल – गांव में एक कच्चा घर था।
लोग ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ट्रेन चेन्नई जाएगी। ट्रेन एक्सप्रेस है।
सरल- लोग जम्मू जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मिश्र vakya में संश्लेषण- एक बूढ़ा आदमी था । किसी ने उसके लिए खाना मंगवाया।
मिश्र -जो बूढ़ा आदमी था किसी ने उसके लिए खाना मंगवाया।
संयुक्त vakya में संश्लेषण- उसे सोने जाना था। उसने जल्दी से रात्री भोजन कर लिया ।
संयुक्त – उसे सोने जाना था इसलिए उसने जल्दी से रात्री भोजन कर लिया।
वह खेल कर आया। वह सोफे पर लेटा। वह टीवी देखने लगा।
संयुक्त – वह खेल से आकर सोफे पर लेटकर टीवी देखने लगा।
निष्कर्ष-
आज के इस भाग में हमने सीखा, जो किसी भाव या विचार को पूर्ण रूप से व्यक्त कर सकें तथा जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो उसे Vakya कहते हैं। इसके दो भेद होते हैं अर्थ के आधार पर और रचना के आधार पर इसके अलावा हमने रूपांतरण तथा संश्लेषण के भी बारे में जाना और सीखा। आशा है यह भाग आपके पसंद आया होगा। आपके सुझाव या प्रश्नों का इनतजार रहेगा धन्यवाद!