Upsarg aur Pratyay-Learn shabad rachana-In Hindi

Upsarg aur Pratyay-उपसर्ग किसे कहते है ?

उपसर्ग- विगत माह में मैंने भारत के कई राज्यों का भ्रमण किया। भ्रमण के पश्चात मैंने कुछ अविस्मरणीय अनुभव किया। यहाँ कई जातियाँ, कई भाषाएँ तथा इतनी विविधता होने के बाद भी यहाँ के लोग इतने प्रेम पूर्वक आपस में मिलजुल कर रहते हैं। जो एक अद्भुत और असाधारण एकता को दर्शाता है । जिसके कारण यह विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । इसी विशेषता के कारण भारत पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। ऊपर लिखे उदाहरण में कुछ रंगीन किए हुए शब्द है जैसे-

अविस्मरणीय- जिसका शब्दांश अ +विस्मरणीय ,असाधारण- अ +साधारण,आकर्षक- आ +कर्षण। इसमें अ,अ,आ शब्दांश है जो शब्द के पहले जुड़कर अर्थ में परिवर्तन ला रहा है यह उपसर्ग है । अतः किसी भी शब्द के प्रारंभ में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाने वाले शब्दांश को उपसर्ग कहते हैं। उपसर्ग भाषा की सबसे लघुतम इकाई है । जिसका स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता है । फिर भी इसकी स्वतंत्र सत्ता है। इसलिए इन्हें शब्दांश कहते हैं ।

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Upsarg aur Pratyay-उपसर्ग के भेद –

हिंदी में तीन प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग होता है 1संस्कृत के उपसर्ग 2 हिंदी के उपसर्ग और 3 विदेशी उपसर्ग । सभी उपसर्गों को कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करते हैं।

हिंदी के उपसर्ग

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
अधआधाअधपका अधमरा
अनके बिनाअनपढ़,अनबन
अवहीनअवरोध,अवगुण
कुबुराकुचाल,कुढंग
दुअभावदुबला,दुविधा
निके बिनानिडर,निहत्था
भरपूराभरपूर,भरमार
सहितसपूत,सहित
सुअच्छासुडौल,सुजान
बुराकपूत,कनक
eg.T1

विदेशी उपसर्ग

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
के साथबनाम,बखूबी
बदबुराबदबू,बदमाश
बासाथबावजूद,बाकायदा
बेबिनाबेरहम,बेगुनाह
कमथोड़ाकमखर्च,कमसिन
खुशअच्छाखुशबू,खुशहाल
गैरभिन्नगैर-हाजिर,गैर-कानूनी
नानहींनालायक,नासमझ
लाअभावलावारिस,लाचार
हमसाथहमराज़,हमउम्र
eg.

संस्कृत के उपसर्ग

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
अंतर्भीतरअंतर्देशीय,अंर्तमुखी
अतिअधिकअत्याचार,अत्यंत
अधःनीचेअधोमुखी,अधोगति
अधिऊँचाअधिपति,अधिकार
अनुपीछेअनुरूप,अनुकरण
अपबुराअपमान,अपयश
अभिसामनेअभियान,अभियोग
तकआदान,आजन्म
अवबुरानिश्चय,बुरा
eg.T2

Upsarg aur Pratyay- प्रत्यय किसे कहते हैं?

एक उदाहरण के द्वारा प्रत्यय को भी समझने का प्रयास करते हैं। जिससे समझना और याद रखना बहुत सरल हो जाएगा। कबीर के दोहों में व्यवहारिक तथा सामाजिक ज्ञान की सरल प्रस्तुति है। इसमें मौलिकता के साथ नैतिक मूल्य और रोचकताका अद्भुत संगम है।

ऊपर लिखे उदाहरण में व्यावहारिक- व्यवहार+ इक  मौलिकता- मूल+ इक+ता तथा रोचकता- रोचक+ता। यह सभी शब्दांशो के मेल से बने हैं। जो शब्द के अंत में जुड़कर अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं। यही शब्दांश प्रत्यय कहलाते है। अर्थात प्रत्यय भाषा की वह लघुतम इकाई है जो किसी शब्द के अंत में जोड़कर नए शब्द का निर्माण करती है। प्रत्यय के प्रकार कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय ।

Upsarg aur Pratyay-प्रत्यय के भेद –

कृत प्रत्यय- ऐसे प्रत्यय जो क्रिया के धातु में जुड़ कर विभिन्न शब्दों का निर्माण करते हैं कृत प्रत्यय कहलाते हैं। कृत प्रत्यय से बनने वाले शब्दों को कृदंत कहते हैं। कृत् प्रत्यय के उदाहरण –

प्रत्यय उदाहरण
अंतगढ़ंत,भिड़ंत
अनमिलन,चिंतन
अनीयकथनीय,पठनीय
अक्कड़घुमक्कड़,भुलक्कड़
सूखा,जागा
वालाकहनेवाला,खानेवाला
इयलअड़ियल,मरियल
हारहोनहार,सँहार
आहटसनसनाहट,झनझनाहट
eg.T3

तद्धित प्रत्यय – ऐसे प्रत्यय जो संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण या अवयव शब्दों के अंत में जुड़ते हैं। तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं इनके योग से बने शब्दों को तद्धितांत शब्द कहते हैं। तद्धित प्रत्यय के उदाहरण –

प्रत्यय उदाहरण
आसमिठास,भड़ास
पनअपनापन,लड़कपन
नाकखतरनाक।दर्दनाक
तमलघुतम,उच्चतम
कारकलाकार,पत्रकार
ड़ीपँखुडी,संदुकड़ी
इकागायिका,नायिका
ईलारसीला,बर्फ़ीला
एराचचेरा,ममेरा
eg.T4

हिंदी में कुछ प्रत्यय ऐसे भी हैं जो कृत और तद्धित दोनों ही रूपों में प्रस्तुत होते हैं। जैसे –आई जब यह धातु के रूप में जुड़ता है जैसे -लड़ाई,पढ़ाई चढ़ाई आदि तो यह कृत् प्रत्यय है। लेकिन यही जब अन्य शब्दों में जोड़ा जाता है जैसे -कठिनाई,चतुराई आदि तब यह तद्धित प्रत्यय भी है।

शब्दों की रचना में उपसर्ग और प्रत्यय दोनों भी आ सकते हैं जैसे- अभिमानी- अभि + मान+ ई । स्वतंत्रता -स्वतंत्रता- स्व+ तंत्र + ता। कभी-कभी दो प्रत्यय भी किसी शब्द के साथ जुड़े हो सकते  हैं। जैसे- नैतिकता- नीति+ इक+ ता या फिर मौलिकता- मूल+ इक+ ता।

आशा है दोस्तों आपको यह बिषय रोचक और सरल लगा होगा। आपके सुझाओं और प्रश्नो का इंतजार रहेगा धन्यवाद।