Bhagwan ke Dakiye भगवान के डाकिए-Class 8 व्याख्या और प्रश्न उत्तर

Bhagwan ke Dakiye भगवान के डाकिए -Class 8 व्याख्या और प्रश्न उत्तर

भगवान के डाकिए कवि परिचय –

रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 में सिमरिया गांव बेगूसराय जिला बिहार में हुआ। इनकी प्रमुख कृतियाँ है कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी, द्वंद गीत, बापू । इन्हे अनेकों पुरस्कारसे समानित किया गया जैसे उर्वशी के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार,इन्होंने हिंदी को ही भारत की सांस्कृतिक एकता और राजनीतिक अखंडता को बनाए रखने में समर्थ है इसपर बल दिया। इनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को हुई।

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भगवान के डाकिए सारांश –

प्रस्तुत कविता का उद्देश्य यह है कि पक्षी और बादल ने भगवान का संदेश हम तक पहुंचाते हैं हमें भी इसकी तरह संसार में जाकर प्रेम सद्भावना और एकता की भावना का प्रसाद करना चाहिए। प्रस्तुत कविता भगवान के डाकिए में कवि और श्री रामधारी सिंह दिनकर जी पक्षी और बादलको भगवान का डाकिया Bhagwan ke Dakiye मानते हैं।

जिस प्रकार डाकिया हमें संदेश पहुंचाने का काम करते हैं उसी प्रकार पक्षी और बादल भी भगवान का संदेश पहुंचाते हैं। उनके लाए हुए संदेश को भले ही हम ना समझ पाए मगर उन संदेश भरी चिट्टियां को पेड़ पौधे जल और पर्वत तक अलग-अलग पहुंचाते हैं।

हम तो केवल अनुमान करते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को खुशबू भेजती है और पक्षी आकाश में उड़ते समय सुगंध उनके पंखों पर तैरती है। एक देश की भाप दूसरे देश में पानी बनकर बरसते हैं पक्षी और बादल के द्वारा लाया गया संदेश को प्रकृति तो पढ़ लेती है परंतु मनुष्य पढ़ नहीं पाता है।

Bhagwan ke Dakiye व्याख्या

पक्षी और बदल

यह भगवान के डाकिए हैं

जो एक महादेश से

दूसरे महादेश को जाते हैं ।

हम तो समझ नहीं पाते हैं

मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ

पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाचते हैं

Bhagwan ke Dakiye व्याख्या –

कवि दिनकर जी पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए कहा है। कवि का मानना है की पक्षी आकाश में विचरण करते हुए एक स्थान का संदेश दूसरे स्थान तक पहुंचती है। आकाश में विचरण करने वाले बादल भी उमर-घुमड़ विश्व बंधुत्व का संदेश, पेड़, पौधे, नदियों तालाबों समुद्र और पर्वतों तक पहुंचाते हैं। प्रस्तुत कविता का मुख्य उद्देश्य यह है कि पक्षी और बादल के संदेश को प्राकृतिक को समझ जाता है परंतु मनुष्य नहीं समझ पाता है।

2- हम तो केवल यहां आकते हैं

कि एक देश की धरती

दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

और वह शोभा सौरभ हवा में तैरते हुए

पक्षियों की आंखों पर तिरता है

और एक देश का भाप

दूसरे देश में पानी

बनकर गिरता है।

Bhagwan ke Dakiye सारांश –

उपयुक्त पंक्तियों के द्वारा कवि रामधारी सिंह दिनकर जी विश्व बंधुत्व की क्षमता को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में प्रसार करने के लिए कह रहे हैं । कवि का कहना है कि एक देश के फूलों की सुगंध बिना किसी रुकावट के हवा के साथ-साथ फैल जाती है।

इस सुगंध को फैलाने में पक्षी भी अपने पंखों से योगदान देती है। एक प्रदेश का पानी भाप बनकर बादलों के रूप में दूसरे प्रदेश में वर्षा के रूप में पहुंचा देते हैं।कवि का कहना है कि मानव को भी आपसी प्रेम भाव से सीमित न रहकर एकता का भाव पूरी दुनिया में प्रसार करना चाहिए।

Bhagwan ke Dakiye प्रश्न और उत्तर –

प्रश्न संख्या १-कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिया क्यों बताया है?स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -कवि ने पक्षी और बादल को भगवान का डाकिया (Bhagwan ke Dakiye) इसलिय बताया है क्योंकि जिस प्रकार डाकिया हमारा संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचना है। ठीक उसी प्रकार पक्षी अपने पंखों से फूलों की सुगंध एक देश से दूसरे देश में फ्लेट हैं और बादल एक देश के पानी सेभाप बनकर दूसरे देश में बरसते हैं।

प्रश्न संख्या २- पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ते हैं ?

उत्तर – पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं जो भगवान का संदेश लेकर आते हैं इसके द्वारा लाई गई चीटियों को पेड़ पौधे जल और पर्वत प्राकृतिक संपदा ही पढ़ पाते हैं। कवि का कहना भी है कि पक्षी और बादलों द्वारा लाया गया संदेश प्रकृति तो पढ़ लेती है पर मनुष्य नहीं पढ़ पाते हैं।

Bhagwan ke Dakiye प्रश्न संख्या 3 -इन पंक्तियों का भाव क्या है ?

क-पक्षी और बादल प्रेम सद्भावना और एकता का संदेश एक दूसरे एक देश से दूसरे देश तक भेजते हैं।

उत्तर -पश्चिम और बदले,

यह भगवान के डाकिए हैं,

जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं ,

हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर

उनकी लाई चिट्टियाँ,

पेड़ पौधे पानी और पहाड़ बाँचते हैं

ख-प्रकृति देश देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बदल दूसरे देश में बरसता है।

उत्तर -हम तो केवल यह आकते हैं ,

कि एक देश की धरती ,

दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

और वह सौरभ सौरभ हवा में तैरते

हुए पक्षियों की पंखों पर तिरता है

और एक देश का भाप दूसरे देश में,

पानी बनकर गिरता है।

Bhagwan ke Dakiye प्रश्न संख्या 4-पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़ पौधे पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?

उत्तर-पक्षी और बादल के द्वारा लाई हुई चीटियां में पेड़ पौधे पानी और पहाड़ नदी और सांग भगवान का दिया हुआ विश्व बंधुत्वों का संदेश पढ़ लेते हैं। वे एहसास करते हैं कि एक देश के फूलों की सुगंध दूसरे देश में पक्षियों के पंखों से उड़कर फैलती है। एक देश के जल से भाव बनाकर बदल दूसरे देश में बरसता है। इस माध्यम से एक देश का संदेश दूसरे देश में जाता है।

Bhagwan ke Dakiye प्रश्न संख्या 5- एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है कथन का भाव स्पष्ट कीजिए?

उत्तर -एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है। इन पंक्तियों का भाव है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। वह आकाश में विचरण करते समय एक प्रांत के फूलों की सुगंध को अपने पंखों से हवा में फैलती है। बादल भी एक प्रांत के पानी से बनाकर दूसरे प्रांत के आकाश उमर घूमर बरसते हैं । कवि का कहना है कि फूलों की सुगंध और पानी में विश्व बंधुत्व यानी bhaeechareb का संदेश को प्राकृतिक समझ लेती है पर मनुष्य समझ नहीं पता है। 

आशा है Bhagwan ke Dakiye का यह भाग आपको पसंद आया हो।