Bioinformatics and computational Biology – Definition
स्वागत है दोस्तों बायोइनफॉर्मेटिक्स के इस भाग में आधुनिक समय में बढ़ते प्रदूषण,जलवायु परिवर्तन, मानसिक तनाव आदि निरंतर बढ़ रहे हैं । जिससे रोज नए नए तरह के वायरस से हम रूबरू हो रहे हैं। अतः यह बहुत जरूरी हो गया है कि जीव विज्ञान के क्षेत्र मे कुछ एसा किया जाए जिससे इन सभी समस्याओ का हल खोजा जा सके ।
कोई एसा system बनाया जाए जिससे हम नए वायरस तथा अन्य सूक्ष्म जीव को विस्तार से समझा जाए तथा antibiotics का निर्माण किया जाए जो गंभीर बीमारियों पर कारगर हो,इसलिए बायोइनफॉर्मेटिक्स जीवविज्ञान का एक भाग है जिसमें हम जैव/जीव के विषय में कंप्यूटर तकनीकी का सहयोग लेकर विविध जीवो का विस्तारपूर्ण जानकारी,आविष्कार आदि करते हैं।
नए-नए बीमारियों तथा इसके निवारण लक्षण आदि का शोध बायोइनफॉर्मेटिक्स के अंतर्गत आता है । बायोइनफॉर्मेटिक्स जिसे हिंदी में जैव सूचना विज्ञान कहते हैं,क्योंकि इसमें technology कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल होता है इसलिए इसे computational Biology भी कहते हैं,इसे जीव विज्ञान में नया नया जोड़ा गया है।
इसमें जीनोम विश्लेषण का शोध कर बेहतर रिजल्ट प्राप्त किया जा सकता है। अर्थात बायोइनफॉर्मेटिक्स एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम जीव का विश्लेषण, व्याख्या, भंडारण, संरक्षित, डाटा को एकत्रित करते हैं इसमें विशेष तौर पर प्रोटीन मॉलिक्यूल से जीनोम के लिए तकनीकी रूप से डेटाबेस को तैयार करना और बायोमॉलिक्यूल का विस्तार करना है।
बायोइनफॉर्मेटिक्स के क्या लाभ हैं ?
हम रोज नए नए तरह के वायरस से रूबरू हो रहे हैं। इसलिए आधुनिक समय में बायोइनफॉर्मेटिक्स बहुत जरूरी है जहां हम इंटरनेट,सॉफ्टवेयर तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी आदि अन्य आधुनिक उपकरणों की मदद से बीमारियों के कारकों को जान सके तथा उसका उचित चिकित्सा तक पहुंचा जा सके
यह एक ऐसा एप्लीकेशन होगा जिसमें बायोटेक तथा इनफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजी और गणित का मिश्रण होगा जिसमें कोशिकाओं के प्रभावशाली क्रियाकलाप के बारे में सूचना प्राप्त कर पाएंगे। जिसमें जीन की संरचना और DNA/RNA की संरचना,संग्रहण,प्रबंधन आदि का कार्य सकेंगे। इसका प्रमुख उद्देश्य की बात करें तो प्रोटीन स्ट्रक्चर को जानने समझने तथा अमीनो एसिड सीक्वेंस का पता लगाने के लिए।
इसका इस्तेमाल मनुष्य के स्वास्थ्यवर्धक निरोगी काया को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जिससे जीव का जीवन स्तर बेहतर हो सके यह केवल मनुष्य जानवरों तक सीमित नहीं है बल्कि इसे पौधों में भी इस्तेमाल कर नई प्रजाति नहीं किस्म की पेड़ पौधे का उत्पादन में बढ़ोतरी। कृषि में उन्नति तथा जैव प्रौद्योगिकी उधम के रूप में भी देखा जा सकता है।
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बायोइनफॉर्मेटिक्स Tools –
दवाइयों के निर्माण का लक्ष्य खतरनाक बीमारियों का विश्लेषण तथा उसके जीन समूह का पता लगाना और उचित ड्रग्स का इलाज करना प्रोटीन का उपयोग करना प्रोटिनोमिक्स विज्ञान में बढ़ोतरी करना कोशिका चिकित्सा की दिशा में आगे बढ़ना,वनस्पति और जीव के रोगों को समझाना जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना।
बायोइनफॉर्मेटिक्स पूर्ण रूप से तकनीकी साधन पर निर्भर होगा अतः इसके इस्तेमाल में इंटरनेट के साथ कंप्यूटर हार्डवेयर,सॉफ्टवेयर,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंटरनेट,डेटाबेस का इस्तेमाल अनिवार्य रहेगा। यह जीव विज्ञान की नई दिशा देगा जिसमें हम काबिल होंगे जीव विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए खोज के लिए। इसके कुछ प्रमुख डेटाबेस इस प्रकार हैं इसके तीन अत्यधिक महत्वपूर्ण डेटाबेस है – न्यूक्लिक एसिड अनुक्रम डेटाबेस प्रोटीन अनुक्रम डेटाबेस तृतीय प्रोटीन संरचना डेटाबेस।
प्रमुख सॉफ्टवेयर –
- सिक्केंस एनालिसिस प्रेडिकलशन ऑफ सेकेंडरी स्ट्रक्चर
- होमोलॉजी सर्च
- डेटाबेस सर्च।
भारत विश्व का पहला देश है। जिसमें नेशनल बायोइनफॉर्मेटिक का नेटवर्क तैयार किया गया है इसमें ICMR,ICAR,CSIR,DST आदि प्रमुख है तथा कई अन्य परियोजना जैव सूचना विज्ञान के क्षेत्र में चल रही है जिसमें देश के हर राज्य को शामिल करने का प्रयास हो रहा है कुछ महत्वपूर्ण संस्थाएं इस प्रकार है –
Bioinformatics Research and Development
पुणे विश्वविद्यालय बायोइनफॉर्मेटिक सेंटर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय बायोइनफॉर्मेटिक सेंटर स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल मदुरई आदि डिग्री करने के बाद आप किसी भी सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं के साथ जुड़कर अपना भविष्य उज्जवल बना सकते हैं जिसमें आप निम्नलिखित पद जैसे -क्लीनिकल फ़रमालोजिस्ट, इनफॉर्मेटिक्स डेवलपर कम्प्यूटेशनल केमिस्ट बायो एनालिटिक्स रिसर्च एनालिटिक्स आदि के पदों पर कार्यरत हो सकते हैं। इसके अलावा कई कंपनियों के साथ जोड़कर जैसे डॉ रेड्डी लेबोरेट्रीज लेंडस्काई सॉल्यूशन इनजेनोविस आदि में काम कर सकते हैं तथा कंप्यूटेशनल केमेस्ट्री में भी करियर बना सकते हैं।
- पांडुचेरी विश्वविद्यालय में पौधे तथा स्तनधारी जीनोम के निर्माण के लिए सॉफ्टवेयर टूल का विकास
- नॉर्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय शिलांग में माइक्रोबियल डेटाबेस का विकास
- आईआईटी दिल्ली में वेब सक्षम प्रोटीन स्ट्रक्चर प्रिडिक्शन सॉफ्टवेयर का विकास
- आईबीएबी बैंगलोर में प्रोटीन और आर एन ए के अनुक्रमण संरेखण के लिए नोबेल एल्गोरिथम।
- भारतीयदासन विश्वविद्यालय तिरुचिरापल -तिरुचिरापल्ली
- औषधी शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान -पंजाब
- पूर्वोत्तर परजीवी जानकारी और विश्लेषण केंद्र -शिलांग
- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान -लखनऊ
- जैव प्रौद्योगिकी केंद्र जे एन कृषि विश्वविद्यालय -जबलपुर
बायोइनफॉर्मेटिक्स करियर –
बायोइनफॉर्मेटिक्स एक उभरता हुआ करियर विकल्प है जिसका काम ड्रग डिजाइन से लेकर डायग्नोस्टिक, क्रॉप इंप्रूवमेंट, बायो केमिकल प्रोसेस, जीन थेरेपी आदि क्षेत्रों में काम करना है । इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आपको बायोलॉजी और कंप्यूटर का ज्ञान रहना अत्यंत आवश्यक है। यह बायो के स्टूडेंट के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इसमें विज्ञान चिकित्सा विज्ञान इंजीनियरिंग कृषि फॉमसी से संबंधित स्नातक एवं 1 वर्षीय एडवांस पोस्ट डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं।
- Bio-analytics
- clinical pharmacologist
- computation chemist
- Database design and maintenance
- Proteomics
- Pharmacogenomics
- sequence assembly
- Sequence analysis
- Informatics developer,etc
बायोइनफॉर्मेटिक्स कोर्स –
- B Sc bioinformatics
- B Sc biotechnology and bioinformatics
- M Sc bioinformatics
- B Tech bioinformatics advanced diploma in Bioinformatics
- post graduate diploma in bioinformatics
- advanced post graduation diploma in bioinformatics
- advanced bioinformatics certificate course in bioinformatics
- diploma in bioinformatics
- M.S bioinformatics
- M tech in bioinformatics