Deewano ki Hasti-कवि परिचय
- कवि का नाम-भगवती चरण वर्मा,
- जन्म -30 अगस्त1903 उन्नाव जिलासफीदपुर ग्राम उत्तर प्रदेश
- प्रसिद्ध उपन्यास -चित्रलेखा ग्रंथ मधुबन प्रेम संगीत
- पुरस्कार -भूले बिसरे दिन का साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण संसद सदस्य
- मृत्यु-5 अक्टूबर 1981।
Deewano ki Hasti सारांश-
प्रस्तुत कविता का उद्देश्य से राष्ट्र पर बलिदान होने वाले वीडियो की मनोदशा उनका उत्साह साहस का वर्णन करना है। Deewano ki Hasti (दीवानों की हस्ती )कविता में उन दीवानों की दीवानगी का चित्रण किया गया है जो अपने देशऔर देशवासियों को स्वतंत्र बनाना और उन्हें खुश देखना ही अपना लक्ष्य मानते हैं।
वह अपनी कोई हस्ती नहीं मानते वह मस्ती में जिए जाते हैं। वे जहां जाते हैं वहां खुशी का माहौल उत्पन्न करते हैं। खुशियां देते हैं लोग उनके आने पर खुश होते हैं और उनके इस तरह अंग्रेजी सरकार की आंखों से बचते हुए भटकते रहने पर चिंतित होकर पूछते हैं कि
अभी तो तुम आए ही हो अभी ही जाना है।आबाद रहने के लिए आशीर्वाद देते हुए चले जाते हैं। अपने लक्ष्य की प्राप्ति में स्वयं को असफल होने पर वे निराश होते हैं वह जानते हैं कि देश को आजाद करना इतना आसान नहीं, लेकिन वह यह भी जानते हैं कि असंभव भी नहीं है। इसलिए वे देशवासियों को स्वतंत्र होने की शुभकामनाएं देते चलते हैं।
Deewano ki Hasti शब्दार्थ सहित व्याख्या-
1-हम दीवानों की क्या हस्ती है
आज यहां कल वहां चले
मस्ती का आलम साथ चला हम धूल उड़ाते जहां चले,
आए बनकर उल्लास अभी आंसू बनकर वह चले
अभी सब कहते ही रह गए अरे तुम कैसे आए कहां चले?
Deewano ki Hasti शब्दार्थ-
- दीवाने-स्वतंत्रता सेनानी freedom fighter
- मस्ती-खुशी, fun
- आलम-संसार
- उल्लास -प्रशांता glee
- आंसू – अश्रु,tears
- ओर -तरफ,direction
Deewano ki Hasti व्याख्या-
प्रस्तुत पद्यांश में कवि भगवती चरणवर्मा जी ने भारत के प्रति सब कुछ त्याग करने वाले सच्चे वीर सपूतों के बारे में वर्णन करते हुए कहते हैं कि हम आजादी के दीवाने हैं। इस देश की महानता के सामने हमारा कोई अस्तित्व नहीं है।
देश की आजादी के लिए हम स्थाई रूप से एक जगह नहीं रहते हैं। जिस ओर हम कदम बढ़ाते हैं वहां हमारे जोश से लोग में खुशी छा जाती है। जब हम दूसरे जगह के लिए कदम बढ़ाते हैं तो वही खुशी आंसुओं में बदल जाता है।
तभी ये अपने लोग से कहने लगते हैं कि अभी तो आए ही थे अभी ही जाना है। अंग्रेजों के भय से ही इन्हें यहां वहां जाना पड़ता है।
2-किसी और चले? यहां मत पूछो,
चलना है, बस इसलिए चले,
जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले,
दो बात कही, दो बात सुनी,
कुछ हंस और फिर कुछ रोए । ,
चखकर सुख-दुख के घूंटों को हम,
एक भाव से पिए चले।
Deewano ki Hasti शब्दार्थ-
- जग -संसार world
- छककर – जी भरकर,heart filled
- सुख-दुख के घूंट-जीवन के सुख-दुख के अनुभव experience of happiness and sorrow
- भाव -एक रस/रूप aspect
Deewano ki Hasti व्याख्या
उपयुक्त कविता में यह कहना चाहता है कि भारत की आजादी के दीवाने आजादी की राह में जाते समय कोई यह न पूछे कि किसी और चले? वे देशवासियों को कुछ अपनी यादें देकर और उनकी भावनाओं को लेकर आगे की ओर बढ़ते हैं।
आजादी की रास्ते पर चलते समय सबसे मिलते हैं और मिलकर कुछ अपने बारे में कहते हैं तो कुछ उनकी भी सुनते हैं। सुख हो या दुख दोनों को एक समान भाव से ही स्वीकार करते हैं।
3- हम भीख मांगो की दुनिया में,
स्वछन्द लूटाकर प्यार चले,
हम एक निशानी सी उर पर,
ले असफलताओं का भर चले।
अब अपना और पराया क्या?
आबाद रहे रुकनेवाले!
हम स्वयं बंधे थे और स्वयं,
ही अपने बंधन तोड़ चले।
Deewano ki Hasti शब्दार्थ-
- भीखमंगो- भिखारी
- स्वच्छंद -आजाद
- निशानी -चिन्ह
- उर – हृदय
- असफलता -जो सफल न हो
- भार -बोझ
- आबाद -बसना
- स्वयं- खुद।
Deewano ki Hasti व्याख्या-
कवि इस पंक्ति में कह रहे हैं कि इस दुनिया के लोगों को उन्होंने भीख मांगा कहा है भीख मांगों की इस दुनिया में वे अपनी इच्छा से अपना प्यार लुटा कर चले हैं। यह अपने हृदय में यही एक निशानी और असफलता का भाग लेकर आगे चलते हैं।जो अपनी मंजिल पर रुके हैं,उन्हें बसे रहने और आवाज रहने की आशीर्वाद देते हैं।कवि कहते हैं कि हम स्वयं गुलामी के बंधनों में बंधे थे और इस बंधनको हम स्वयं तोड़कर आगे चले हैं।
Deewano ki Hasti प्रश्न उत्तर-
प्रश्न १ -कवि ने अपने आने को उल्लास और जाने को आंसू बनकर बह जाना क्यों कहा है?
उत्तर – कवि अपने आने को उल्लास इसलिए कहा है क्योंकि वह स्वतंत्र भाव के साथ सब में प्रेम लूटते हुए जाता है। वह जहां भी जाता है वहां लोगों का मन प्रसन्न हो जाता है। लेकिन जब कभी उसे स्थान को छोड़कर आगे जाता है तब वहां के लोगों को दुख होता है।
प्रश्न 2-भीखमगों की दुनिया में बेरोक प्यार लूटने वाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराशा है या प्रसन्न है?
उत्तर-कवि ने संसार को भीख मांगों की दुनिया कहा है क्योंकि यह दुनिया स्वार्थी है सिर्फ लेना जानती है,देना नहीं। कवि ने बिना स्वार्थ भाव से इस संसार पर अपना प्यार लुटाया है। मगर कवि दुखी है क्योंकि वह वीर सेनानी है और वह अपने देश को स्वतंत्रत नहीं कर सकता। उन्हें अस्थाई सुख नहीं दे सका इसी असफलताओं के कारण वह निराश है।
प्रश्न 3-कविता में ऐसी कौन सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?
उत्तर – कविता में सुख दुख को एक भाव से पीने की बात अच्छी लगी। इसमें हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सुख-दुख तो आते ही रहते हैं कवि कहना चाहते हैं कि, हमें सुख में बहुत प्रसन्न और दुख में बहुत निराश नहीं होना चाहिए। जीवन को संतुलन के साथ जीना चाहिए।
- इसे भी जाने –
- दुख का अधिकार
- बस की यात्रा।