How to make learning process effective using Neuroeducation and Microlearning techniques
न्यूरोएजुकेशन और माइक्रोलर्निंग ही आज के एजुकेशन सिस्टम में तेजी से उभरते ट्रेंड हैं। भविष्य की पढ़ाई का यह नया तरीका है। क्या आपने कभी सोचा है कि दिमाग कैसे सीखता है?
या फिर क्यों लंबे लेक्चर बोरिंग लगते हैं लेकिन 2 मिनट का रील तुरंत याद रह जाता है? इसका जवाब है न्यूरोएजुकेशन और माइक्रोलर्निंग
Neuroeducation क्या है?
Neuroeducation एक इंटरडिसिप्लिनरी फील्ड है जो ब्रेन साइंस और साइकोलॉजी को एजुकेशन के साथ मिलाकर ये समझने की कोशिश करती है कि हमारा दिमाग कैसे सीखता है।
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न्यूरोएजुकेशन और माइक्रोलर्निंग कैसे मदद करता है?
- छात्र का ध्यान कैसे बनाए रखें।
- याददाश्त को कैसे मजबूत करें।
- गलतियों से कैसे बेहतर सीखा जा सकता है।
Microlearning क्या है ?
Microlearning यानी सीखने को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँट कर पढ़ना,छात्र 2 से 10 मिनट की छोटी क्लिप्स, quizzes, या नोट्स के ज़रिए तेजी से और आसान तरीके से जानकारी ग्रहण कर सकते हैं।
Microlearning के फायदे –
- कम समय में ज्यादा प्रभाव।
- attention span का सही इस्तेमाल।
- मोबाइल पर भी आसानी से पढ़ाई।
- दोहराव के लिए आदर्श
Call to Action –
क्या आप Microlearning की टूल्स की लिस्ट चाहते हैं? या Neuroeducation आधारित लर्निंग स्ट्रेटेजी? कमेंट करें — मैं अगली पोस्ट में आपको विस्तार सेबताऊगी! 😊
निष्कर्ष –
न्यूरोएजुकेशन और माइक्रोलर्निंग भविष्य की शिक्षा को नई दिशा दे रहे हैं।
अगर हम दिमाग के काम करने के तरीके को समझते हैं, और उसी के अनुसार कंटेंट डिजाइन करते हैं, तो न केवल बेहतर परिणाम मिलते हैं, बल्कि पढ़ाई आसान और मजेदार हो जाती है।