Turkey Invasion भारत पर तुर्कों के आक्रमण की कहानी -In Hindi
गजब की बात है हमारे भारतवर्ष की भूमि की दोस्तों,चाहें वह मुगल हो अरब हो या फिर तुर्क, सभी को भारत की भूमि में इतनी चाह बस्ती थी की समय समय पर यह आक्रमण करते ही रहते थे। हैरानी की बात तो यह है दोस्तों की यह सिलसिला अभी तक रुका नहीं। अब शायद तुर्क,अरब नहीं है, लेकिन कुछ हमारे पड़ोसी की नजर अब भी भारत की भूमि पर रहती है। खैर आज के इस भाग में हम विशेष तौर पर तुर्क आक्रमण (Turkey Invasion)को समझेंगे। कि कैसे इन्होंने भारत भूमि,अर्थव्यवस्था,हिन्दूराजा आदि को तहस नहस किया था। यह भाग इसलिए भी महत्वपूर्ण है की इससे सभी प्रतियोगी तथा अन्य परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है।
8 वी शताब्दी से ही अरबो का आक्रमण शुरू हो गया था। सबसे पहले अरब खलीफा अल वाजिद के हुकुम पर मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ई को मकरान के रास्ते सिंध पर हमला कर दिया। जिसमे देवल का पतन हो गया। फिर कासिम ने चाच के बेटे दाहिर पर हमला कर मुल्तान को हथिया लिया जिससे राबोर के युद्ध में दाहिर की हत्या हो गई। इसके बाद 9 वी शताब्दी में तुर्को की भारत में रूचि बढ़ने लगी। जिसमे गजनवी वंश के सुल्तान महमूद ने भारत में कदम रखा। लेकिन अगर साम्राज्य स्थापित करने की बात करें तो इसका श्रेय शंसबनी वंश के मुहम्मद गोरी को जाता है जिसने न सिर्फ भारत को आर्थिक क्षति पहुँचाई बल्कि इस्लाम का भी विस्तार शुरू कर दिया।
Turkey Invasion महमूद गजनवी –
यामिनी वंश जिसे गजनवी वंश के नाम से भी जाना जाता है। यह ईरान के शासकों की एक शाखा थी। अगर सस्थांपक की बात करें तो इसका श्रेय अल्पतगीन को जाता है। अलप्तगीन के बाद सुबुक्तगीन ने राज्य संभाला। सुबूक्तगीन के समय से ही हिन्दू राज्य का लम्बा संधर्ष शुरू हो गया। जिसका परिणाम हिन्दूराज्य के नष्ट होना निकला। सुबुक्तगीन के मृत्यु के बाद 998 में गजनी ने सत्ता संभाली और 1030 तक शासन किया। इसी शासन काल में गजनी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया।
Turkey Invasion महमूद के आक्रमण का कारण –
अगर महमूद के आक्रमण के कारण की बात करे तो वह भारत की धन सम्प्रदा के साथ इस्लाम का प्रबल समर्थक था और भारत में भी इस्लाम को फैलाना चाहता था। साथ ही साथ अपने राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु सभी हिन्दू राष्ट्र को नष्ट करना चाहता था। सन्न 1001 में इसने राजा जयपाल (काबुल और पंजाब के शासक)के साथ युद्ध किया जिसमे जयसवाल की हार हुई।
जिसके फलस्वरूप राजा जयसवाल ने आत्मदाह कर ली पर महमूद की लालसा यही नहीं रुकी। इसने सन्न 1009 मे फिर आक्रमण कर जयपाल के पुत्र आनंदपाल को पराजित कर 1014 में थानेष्वर को लुटा। 1018 में कनौज पर आक्रमण कर मथुरा और वृदावन की अपार सम्पति लूटी। इसका अगला निशाना गुजरात का सोमनाथ मंदिर था।
इसने विशाल शिव मंदिर को लुटा और पूर्ण रूप से मंदिर को नष्ट कर दिया। उस समय वँहा का शासक भीम प्रथम था। इसका अभियान यही नहीं रुका सन्न 1027 में जाटों के साथ भीषण युद्व किया तथा 1030 में यह मृत्यु को प्राप्त हुआ।
महमूद के साथ उसके कुछ विद्वान जैसे –अलबरुनी,फिरदौसी,उत्बी एवं फरुखी आदि विद्वान रहते थे। अलबरूनी की रचना किताब उल हिन्द जिसे तारीखे हिन्द के नाम से जाना जाता है। यह अरबी भाषा में लिखी गयी है। अल्बुरीन ने दो संस्कुत पुस्तक सांख्य और महाभाष्य का अनुवादन अरबी में किया।
इन्हें भी जानें –Rajput dynasty:Learn 6 great dynasty of India
मध्यकालीन भारतीय इतिहास -साहित्यिक स्रोत
लेखक | पुस्तक |
हसन निजामी | ताज-उल-मासिर |
अलबरूनी | तहकीक-ए-हिन्द |
मिन्हाज-उस-सिराज | तबाकत-ए-नासिर |
अमीर खुसरो | नूह सिपेहर,किरान-उस-सादेन |
जियाउद्दीन बरनी | तारीखे-ए-फिरोजशाही,फतवा-ए-जंहादारी |
फिरोजशाह तुगलक | फुतहाट-ए फिरोजशाही |
इसामी | फुतुह -उस-सलातीन |
अमीर तैमूर लंग | मलफूजात-ए-तिमूरी |
अमीर हसन सिज्जी | फबाद-उल-फुआद |
शिहाबुद्दीन उर्फ़ मुईजुद्दीन मुहम्मद गोरी –
गोरी वंश का संस्थापक शंसबनी वंश का था जो तुर्क से आया था। जिसने 12 वी शताब्दी के मध्य में भारत पर आक्रमण किया। जो पूर्वी ईरान से आकर गोर प्रदेश में बस गया। आक्रमण की नीति अपनाकर भारत पर अपने राज्य की स्थापना की। इसका प्रथम आक्रमण 1175 में मुल्तान में हुआ जो की गोमल दर्रे से होकर था।
उसके बाद इन्होंने उच्छ पर भी कब्जा कर लिया। सन्न 1178 गुजरात पर आक्रमण किया लेकिन वँहा के राजा मूलराज द्वितीय के हाथों हार का इसे सामना करना पड़ा। परन्तु हार के भी इसने फिर से सन्न 1179 को पेशावर को जीता। 1185 ई में सियालकोट को जीता और 1186 को सम्पूर्ण पंजाब को जीत कर गजनवी राजवंश की समाप्ति कर दी।
1193 में गोरी का एक गुलाम था कुतुबदीन ऐबक ने मेरठ और दिल्ली को जीता और गोरी के राज्य की राजधानी बना दी। ऐबक के अजमेर विजय अभियान में मंदिर तथा जैन मंदिर को नष्ट कर उसके अवशेषों से दिल्ली में कुव्वात-उल-इस्लाम नाम से मसिजद बनवाया। फिर 1196 ई में संस्कृत विश्वविद्यालय को तोड़ कर अढाई दिन का झोपड़ा नाम से मस्जिद बनवाया। 1205 ई में इसका अंतिम मुकाबला खोखरों से हुआ। सन्न 15 मार्च 1206 ई को गजनी लौटते हुए दमयक नामक जगह पर इसकी हत्या हो जाती हैं। 1206 में इसकी हत्या के बाद ऐबक ने भारत में गुलाम वंश की नींव रखी। जिसकी व्याख्या हम अगले भाग में करेंगे।
विदेशी यात्रियों द्वारा विवरण –
- इब्नबतूता (1333 ई )-यह मोरक्को का यात्री था जो तुगलक के शासन में भारत में रहा। इसने रेहाला की रचना की।
- अब्दुल रज्जाक -यह ईरानी राजदूत था। देवराय द्वितीय के शासन काल में भारत में रहा।
- मार्कोपोलो -यह इटली से आया था। 13वी शताब्दी में भारत में आया था।
- निकोलो कोणटी -इटली का पर्यटक था। 1420 में दकन की यात्रा की।
- डोमिगोज पायज -यह पुर्तगाली यात्री था जो कृष्णदेव राय के समय भारत आया था।
- बारबोसा -पुर्तगाली यात्री था जिसने विजयनगर की शासन व्यवस्था का विवरण दिया।
- नुनीज -पुर्तगाली घोड़े का व्यपारी था। जो विजय नगर दरवार में रहा।
- स्मारक -1 शेरशाह का मकबरा –सासाराम बिहार 2 ऐबक का मकबरा-लाहौर