Nibandh lekhan – Essay writing निबंध लेखन की 8 महत्वपूर्ण बाते
निबंध का अर्थ होता है विचारों को बांधना। जब विषय से संबंधित विचारों का समग्र रूप से बांधा जाता हैतो उसे निबंध कहते हैं।निबंध में किसी विषय से संबंधित विचारों उसके इतिहास अर्थ लाभ हानि विशेषताओं गुण अवगुण आदि को प्रस्तुत करना होता है।निबंध लेखन के कोई औपचारिक विधान व नियम ना तो है और ना ही हो सकते हैं। निबंध लेखन पूर्णतः व्यक्तिगत होता है।लेखक की शाब्दिक योगिता वाक्य विन्यासविषय प्रस्तुति का कर्मवर उल्लेखसूक्तियां का यथा स्थान प्रयोग अधिक अनेक तथ्य निबंध लेखन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। निबंध लेखन में सूक्ति प्रयोग कथन और लेख उदाहरण कहावतें मुहावरों लोकोक्तियां आदि का प्रयोग किया जाना चाहिएइससे निबंध का सौंदर्य बढ़ता है भावों की गरिमा बढ़ती है।
Nibandh lekhan निबंध लिखते समय ध्यान रखने वाली बाते –
- निबंध लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है
- अलग-अलग विषयों पर सूक्तियां का चयन करने के पश्चात उन्हें सहज ही याद करके विवेक के अनुसार प्रयोग करें।
- निबंध में चार या पांच अलग-अलग अनुच्छेद होने चाहिए और प्रत्येक अनुच्छेद अपने में पूर्ण हो अर्थात एक अनुच्छेद में एक ही भाव हो।
- प्रथम अनुच्छेद में विषय स्थापना की जानी चाहिए अर्थात भूमिका होनी चाहिए जिसमें विषय की विवेचना हो निबंध के शब्दों की व्याख्या हो
- विषय की आवश्यकता पर बल हो विरामतत्व लाभ हानी उपाय प्रयोग समस्या और समाधान आदि पर विषय अनुसार अलग-अलग अनुच्छेद हो।
- अंत में उपसंहार के अंतर्गत सभी भावों का समाहार हो।
- शब्द सीमा 200 से 250 के बीच होनी चाहिए। चलिय कुछ उदाहरण के साथ समझते हैं
Nibandh lekhan-सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा
भारत अत्यंत प्राचीन देश है। सिंधु घाटी की सभ्यता और संस्कृति और द्वितीय है। विश्व के प्राचीनतम साहित्य में वैदिक साहित्य अनुपम है। इसके सपूत गांधी ने विश्व को अहिंसा और सत्याग्रह का अस्त्र दिया था और नेहरू ने शांति का संदेश दिया था।
हिमालय की ऊंचाई और हिंद महासागर से घिरी यह धरती देश नहीं महादेश है। भौगोलिक दृष्टि से विभिन्न प्रकार की जलवायु धरती और पेड़ पौधे पहाड़ी और मैदानी इलाके सभी कुछ तो है यहां। स्वर्ग की बात आती है तो धरती का स्वर्ग और कहीं नहीं हमारे ही भारत भूमि में है।
अजंता एलोरा की गुफाओं तथा कॉर्नाक के मंदिर की मूर्तियां और विश्व के सात आश्चर्य में से एक आगरा का ताजमहल भी यही है। अनेक परंपराओं को संजोकर उभरने वाला हमारा संगीत और नृत्य कालिदास और टैगोर की अमर कृतियां सुंदर अभिव्यक्तियां है।
विश्व को गीता का उपदेश भी हम ही ने दिया है। विवेकानंद के उपदेश ने अमेरिका को मधुमूक्त कर दिया था। सभी के लिए हिंदुस्तान का द्वार खुल रहा विश्व के पांच धर्म में से तीन भारत ने दिए हिंदू धर्म बौद्ध धर्म जैन धर्म।
हमने पूजा की निराकार ब्रह्म की महान चरित्र के रूप में राम और कृष्ण की गंगा यमुना नदियों की सूर्य चांद के रूप में तारों की और गाय के रूप में पशु की।
चिकित्सा शास्त्र में आयुर्वेदिक उपलब्धियां का दूसरा कोई जोड़ नहीं है। चरक महान शल्य शास्त्री थे जो बाल को भी चीड़ देते थे। गणित के क्षेत्र में सुनने का महत्व को समझने की आवश्यकता नहीं है दशमलव पद्धति विश्व को भारत को ही अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है।
आर्यभट्ट अपने समय के आइंस्टीन थे बीजगणित देने का श्रेय इन्हीं को है हमने भी विजय पाई थी तलवार से नहीं संस्कृति प्रधान से विद्या देकर दर्शन देकर धर्म और उपदेश देकर। ऐसा है हमारा हिंदुस्तान सोने की चिड़िया हमारा प्यारा भारतवर्ष।
Nibandh lekhan करत करत अभ्यास कर जडी मती हुई सुजान-
प्रतिभा को चमकाने का कार्य अभ्यास ही करता है।लक्ष्य प्राप्ति के लिए अभ्यास सबसे अधिक महत्वपूर्ण और अचूक सिद्धांत है। प्रतिभा ईश्वर प्रदंत है जबकि अभ्यास मनुष्य के अपने हाथ में है। बिना अभ्यास की प्रतिभा कुंठित हो जाती है।
संस्कृत के महाकवि कालिदास से कौन परिचित नहीं होगा। प्रारंभ के जीवन में उनकी मूर्खता की बात सभी जानते थे कहा जाता है कि कवि कालिदास जिस पेड़ की डाली पर बैठे थे। उसे ही काट रहे थे ।
फिर एक दिन अपनी बुद्धिमती पत्नी से प्रेरणा पाकर अभ्यास के महत्व को कवि कालिदास ने पहचान और आगे चलकर वह एक महान कवि और नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हुए। महाकवि तुलसीदास ने अपनी पत्नी रत्नावली की भर्त्सना के बाद बार-बार अभ्यास से ही अपने जीवन का लक्ष्य बदल दिया।
साधना के बल पर ही धर्म दर्शन नीति और साहित्य से सम्मिलित अमर ग्रंथ रामचरितमानस की रचना की।युग दृष्टा कबीर अनपढ़ जुलाहे होते हुए भी क्रांति लाने वाले समाज सुधारक बने। बार-बार के अभ्यास ने साधारण कबीर को और असाधारण कबीर बना दिया।
उन्होंने ऐसी अभिव्यक्ति दी जो पढ़े-लिखे लोग भी शायद ना दे पाए।अमेरिका के महान राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बारे में प्रसिद्ध है कि अत्यंत संकुचित होने के कारण भाषण देने में उन्हें कठिनाई होती थी। उन्होंने जंगल में जाकर पेड़ों के सम्मुख भाषण देने का बार-बार अभ्यास किया कुछ समय बाद में श्रेष्ठ व्यक्ति के रूप में प्रख्यात हुए।
जीवन के विविध क्षेत्रों में अभ्यास से जब इतनी बड़ी-बड़ी सफलताएं मिलती है तो निश्चय ही विद्यार्थी के जीवन में अभ्यास का बहुत महत्व होता है। विद्यार्थी के लिए तो यह अति आवश्यक है कि वह निरंतर अभ्यास से कठिन से कठिन काम भी सीख सकता है।
सम्राट पृथ्वीराज चौहान अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर ध्वनि के आधार पर ही निशाना साथ लेते थे यह अभ्यास का ही परिणाम था नेहरू जी के लिए तीन-चार घंटे का विश्राम ही काफी था।
यह सब बातें अभ्यास के बल पर ही होती थी नेहरू जी ने दोनों हाथों से लिखने का अभ्यास कर लिया था। संपूर्ण मन लगाकर किसी भी कार्य को बार-बार करने में उसमें दक्षता हासिल हो जाती है। एसलिए अच्छी कहते है करत करत अभ्यास के जड़मति हुई सृजान।
Nibandh lekhan-महात्मा गांधी
प्रायः मनुष्य युग के अनुसार बदलता है लेकिन कुछ मनुष्य ऐसे भी होते हैं जो युग ही बदल देते हैं। उसी में से एक है हमारे महात्मा गांधी जी ने हम युग पुरुष भी कहते हैं। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि अस्त्र-शस्त्रों से बढ़कर सत्य और अहिंसा में कहीं अधिक सकती है। महात्मा गांधी ही थे जिन्होंने रक्त बहाए बिना भारत को आजादी दिलवाई।
विश्व वंदन बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1859 को एक संपन्न परिवार में हुआ गुजरात के काठियावाड़ जिले के पोरबंदर का सौभाग्य रहा कि उसकी धरती पर एक महात्मा गांधी का जन्म हुआ। उनके पिता एक रियासत के दीवाने थे अपने कार्य में दक्ष और निष्ठावान वैश्विक भक्त थे ।
यहीं से वैष्णो भक्ति के बीज महात्मा गांधी मे पड़ा । माता का ह्रदय मृदु स्वभाव की पूजा पाठ में विश्वास रखने वाली एक महिला थी।
13 वर्ष की आयु में गांधी का विवाह कस्तूरबा बाई से हो गया। मैट्रिक के बाद वकालत करने के लिए विलायत चले गए लौटकर मुंबई में वकालत शुरू किया इसी बीच एक व्यापारी के एक मुकदमे की पैरवी करने दक्षिण अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने देखा कि भारतीयों को विदेशो मे कोई ईजत ही नहीं है। गोरे लोग काले लोगों को हीन दृष्टि से देखते हैं। भारतीयों की दशा सुधारने के लिए 1894 में गांधी जी ने नेटाल कांग्रेस की नींव डाली।
शीघ्र ही गांधी जी ने लोकप्रियता हासिल कर ली। लोग उनका तन मन धन से समर्पण करने लगे। वहां से भारत लौटे तो यहां भी यही स्थिति मिली। उन्होंने तुरंत सत्ता के विरोध अहिंसा सत्याग्रह एवं सहयोगका संग्राम छेड़ दिया। गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस को नया जीवन मिला।
गोरे लोगों से परेशान चंपारण के मजदूरों और खेतिहर का गांधी जी ने साथ दिया। इन लोगों को सफलता मिली और अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी।द्वितीय महायुद्ध में ब्रिटिश सरकार के आश्वासन से गांधी ने उनकी सहायता की परंतु इसके बदले भारत को दमन मिला।
अब तो स्वतंत्रता आंदोलन जोर पकड़ने लगा 1942 में भारत छोड़ो की चारों ओर गूंज गई। गांधी जी को इसी सब कर्म से जेल में घसीटा जाने लगा। और उन्हें पर उन्हें कहां परवाह थी।गांधी जी सभी धर्म को सम्मान दृष्टि से देखते थे इसलिए बंटवारे के हक में नहीं थे।
मुसलमान के प्रति स्नेह रखने के कारण कुछ लोग उनसे नाराज हो गए और स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 30 जनवरी 1948 को नाथूराम विनायक गोडसे ने बिड़ला भवन नई दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी। युग पुरुष गांधी जब तक जिए बहादुरी से जिए।