Patra lekhan in Hindi-पत्र लेखन के 2 प्रकार

Patra lekhan in Hindi पत्र लेखन-

स्वागत है दोस्तों आज के इस भाग पत्र लेखन में आजकल ईमेल टेलीफोन फैक्स मोबाइल s.m.s. व्हाट्सएप आदि की दूरगामी जिंदगी में भी पत्र के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है पत्र लेखन एक कला है समय और अभ्यास से इसमें भी निखार किया जाता है।

 पत्र की भाषा सहज सरल और स्पष्ट होनी चाहिए। वाक्य अपने आप में पूर्ण और छोटे होने चाहिए व्यावहारिक भाषा से बचना चाहिए। पत्र पाने वाले को पढ़कर संतुष्टि मिलनी चाहिए। कहीं दुविधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए पूर्व आत्मीय संबंध उजागर होनी चाहिए। उपयुक्त शिष्टाचार का निर्वाह होना चाहिए।

 Patra lekhan-पत्र लेखन की विधि-

 पत्र लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए- स्पष्ट रूप में हो कहने का अर्थ यह है कि स्थिति स्पष्ट हो वाक्य छोटे हो छोटे अनुच्छेद हो अधिकतम डेढ़ सौ तक होनी चाहिए। संबोधन अभिवादन आदि का ध्यान रखा जाए पत्र पर भेजने वाले का नाम पता तिथि अवश्य होना चाहिए। जिन्हें पत्र लिखा हो संबोधन अभिवादन समापन स्पष्ट होना चाहिए।

जिन्हे पत्र लिखना हो 
 संबोधनअभिवादनसमापन
 छोटे कोप्रिय, चिरंजीवी, चिरंजीव, आयुष्मान बहुत बहुत स्नेह,सुखी रहो, प्रसन्न रहो, शुभ आशीर्वाद शुभ चिंतक, हितेषी, शुभाकांछि
 बड़ों कोआदरणीय,पूजनीय, माननीयसादर प्रणाम, चरण स्पर्शआज्ञाकारी, आपका पुत्र/ पुत्री, बहन /भाई आदि
 बराबर वालोंमित्रवर, प्रियसप्रेम नमस्ते, नमस्कारतुम्हारा हितेषी, शुभभिलाषी आदि
अपरिचित को या व्यावसायिक पत्र मेंमान्यवर, महोदय, श्रीमान, माननीयप्रायः नहीं होता हैप्रार्थी, भवदीय/ भवदीया विनीत आदि
पत्र के रूप मे आधार- संबोधन अभिवादन समापन जिन्हे पत्र लिखना हो

Patra lekhan-पत्र दो प्रकार के होते हैं

औपचारिक -औपचारिक पत्र यह उन्हें लिखे जाते हैं जिनके साथ हमारा निजी परिचय नहीं होता है। ऐसे पत्रों में आत्मीयता नहीं होती बल्कि संदेश कथ्य आदि की प्रमुखता रहती है।

अनौपचारिक -अनौपचारिक पत्र यह ऐसे व्यक्ति को लिखे जाते हैं जिन्हें हम व्यक्तिगत रूप से जानते हैं तथा जिनमें किसी प्रकार की औपचारिकता नहीं होती है अपने मन की बात सुख-दुख का ब्यौरा आदि का विवरण इसमें देते हैं

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 Patra lekhan औपचारिक पत्र के प्रारूप

  •  सी 6/208,बड़ा बाजार
  • राजपथ नगर,नई दिल्ली
  • 20 अगस्त 19 xx
  • सेवा में,
  • स्वास्थ्य अधिकारी
  • स्वास्थ्य विभाग
  • दिल्ली नगर निगम दिल्ली 110006

 विषय – मोहल्ले की गंदगी की सफाई के लिए प्रार्थना पत्र-

 महोदय

मैं राजपथ में रहता हूं, इस पत्र के माध्यम से मै आपलोगों को एक महत्वपूर्ण समस्या की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।

पिछले कुछ दिनों से हमारे मोहल्ले में गंदगी बहुत बढ़ गई है। समस्या यह है कि यहां कुडे जमा करने के लिए सिर्फ एक ही यंहा पर टूटा फूटा पीपा है, इसमें पीपा पूरा भर जाने पर उसके आसपास पूरा कचरा जमा हो जाए करता है नगरपालिका के आदमी केवल पीपे का ही कुडा उठा कर चल देते हैं इससे इधर उधर पड़ा हुआ कचड़ा नहीं उठाया करते है जिससे बदबू भी आती है और मच्छर भी जन्म ले लेते हैं।

इसके फलस्वरूप कुछ लोग मलेरिया के शिकार भी हो चुके हैं। आशंका है कि कुछ सकर्मक रोग भी फैल सकते हैं अतः आपसे निवेदन है कि मोहल्ले के नागरिकों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए कृपया नीचे लिखी व्यवस्थाएं जल्दी से जल्दी करवाएं और प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में सहायक बने ।

इसके साथ ही साथ आप से यह अनुरोध है कि मोहल्ले में कम से कम 2 पीपे जरूर रखें जाए । साथ ही साथ नगर पालिका के कामगार दिन में कम से कम 2 बार सफाई के लिए अवश्य आएं और कीटनाशक छिड़काव का प्रबंध करें।

आशा ही नहीं विश्वास है कि आप तुरंत ही इस दिशा में उचित कार्रवाई करेंगे धन्यवाद सहित

भवदीय -सुरेश कुमार

Patra lekhan अनौपचारिक पत्र का प्रारूप

  •  26 अशोक राजपथ
  • महात्मा गांधी मार्ग
  • पुणे,महाराष्ट्र
  •  दिनांक- 11 अक्टूबर 2023
  • प्रिय सुरेश
  • स्नेह आशीर्वाद

बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला मन बहुत बेचैन था। तुम्हारे प्रधानाचार्य जी की ओर से अभी एक पत्र आया हुआ है जिसमें उन्होंने लिखा है कि तुम पढ़ाई में तो आगे चल रहे हो परंतु खेलों की और तुम्हारा बिल्कुल ध्यान नहीं रहता है इसी कारण ही शायद तुम्हारा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता।

देखो सुरेश पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहता है। खेलने से शरीर स्वस्थ तथा मन प्रसन्न रहता है यह अप्रत्यक्ष रूप में शरीर के व्यायाम का भी काम करता है चित्र प्रसन्न और प्रफुल्लित रहता है तो स्वस्थ भी मस्त रहता है

इसलिए नियमित रूप से खेलों में भाग लो केवल पढ़ने से नहीं,खेलों से भी बहुमुखी प्रतिभा का विकास होता है और फिर खेलों के माध्यम से तुम बहुत कुछ सीख भी सकते हो खेल भावना प्रतिस्पर्धा धैर्य और नियंत्रण क्षमता इन सब चीजों का भी जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । अतः मैं यही कहता हूं तुम खेलों में भी बराबर भाग लो । अबकी बार जब पत्र लिखो तो खेलों के लिए विषय में अपना दृष्टिकोण व्यक्त करना ना भूलना तुम्हें यहां सब याद करते हैं मम्मी पापा ने तुम्हारे लिए आशीर्वाद भेजा है ।

तुम्हारा बड़ा भाई

रमेश पुरोहित