Pronunciation and orthography- वर्तनी व्यवस्था
दोस्तों स्वागत है आपका हिंदी व्याकरण के इस Pronunciation and orthography (उच्चारण और वर्तनी ) के भाग में, हिंदी की एक खास विशेषता है। जिससे यह हिंदी को अन्य भाषाओं से अलग करती है। हिंदी जैसे उच्चारित होती है ठीक वैसे ही लिखी जाती है। जबकि अंग्रेजी में ऐसा नहीं है अंग्रेजी में स्वर वर्ण को अलग से लिखते हैं पर हिंदी में स्वर वर्णों को मात्रा चिन्हों को व्यंजन के साथ मिलाकर लिखते हैं जिससे यह बहुत ही सरल हो जाती है। यही विशेषता इसे अन्य भाषा से अलग दिखाती है। चलिए हिंदी के कुछ मात्रा चिन्हों के बारे में जानते हैं। – हिन्दी के मात्रा चिन्ह
वर्ण | मात्रा चिन्ह | व्यंजन के साथ मात्रा | मात्रायुक्त शब्द |
अ | कोई चिन्ह नहीं | क | कलम |
आ | ा | का | काला |
इ | ि | कि | किला |
ई | ी | की | कील |
उ | ु | कु | कुछ |
ऊ | ू | कू | स्कूल |
ऋ | ृ | कृ | कृपा |
ए | े | के | मेल |
ऐ | ै | कै | मैला |
ओ | ो | को | कोयल |
औ | ौ | कौ | पकौड़ा |
ऑ | ॉ | कॉ | कॉपी |
र के विभिन्न प्रकार-
- र के चार रूप होते है। र, प्र (तिरछी पाई के रूप मे ),र्क (रेफ के रूप में ),ड्र(नीचे पदेन के रूप में रूप)
- र् शब्द के शुरुवात में स्वर के पहले आता है ;जैसे -राज /रज (र् +अ +ज् +अ )/(र् +अ +ज् +अ )।
- शब्द के बीच में जब दो स्वरों के मध्य र तो भी र ही आता है ;जैसे आरती (आ +र् +त् +ई )।
- शब्द के अंत में स्वर के बाद भी यही स्थिति रहती है ;जैसे -कार /तार (क् +आ +र् +अ )/(त् +आ +र् +अ )।
- र् जब व्यंजन के पूर्व आता है तब वह जहाँ उच्चारित होता है,उसके अगले व्यंजन के ऊपर रेप (र्र) के रूप में लगाया जाता है ;जैसे -कर्म यह स्वर रहित होता है।
- व्यंजन के बाद र् तिरछी पाई (क्र )इस रूप में जुड़ जाता है; जैसे -ग्राम, ग्+र् +आ +म् +अ ) स्वर मुक्त होता है ।
- त् मे र मिलाकर लिखे तो त्र बनता है ;जैसे -पत्र।
- श् के साथ र जुड़ने पर श्र बनता है; जैसे -श्रम, श्रेष्ठ ।
- टवर्ग के व्यंजनों के नीचे पदेन (ड्र)वाले र का प्रयोग होता है; जैसे -ट्रेन,ड्रामा आदि ।
- हलंत चिन्ह- हम जानते हैं कि व्यंजन स्वर के साथ ही उच्चारित की जाती है। परंतु कई जगहों पर इन्हे स्वर रहित दिखाने के लिए या शब्दों को बिना स्वर के दर्शना हो तो हमे हलंत चिन्ह का प्रयोग करना होता है।जैसे छुट्टी लड्डू आदि ।
अनुस्वार और सानुनासिक स्वर –
अनुस्वार मुख्य रूप से व्यंजन है । पर इसका प्रयोग पंचम वर्ग के विकल्प के रूप में होता है । इसका इस्तेमाल करने से समय तथा स्थान की बचत भी होती है । तथा अशुद्ध उच्चारण से भी बचा जा सकता है; जैसे -घंटा को प्रायः घन्टा भी लिखा जाता है परंतु यह अशुद्ध है जबकि नियमों के अनुसार जहाँ पर अनुस्वार का उच्चारण हो उसके बाद वाले वर्ण के पंचम वर्ण ण् का प्रयोग होना चाहिए । इसलिए घंटा का शुद्ध वर्तनी घण्टा है।
सानूनासिका स्वर- जिन स्वरों का उच्चारण करते समय हवा नाक और मुहँ दोनों से निकले उसे सानुनासिक स्वर कहते है। या यू भी कहे की स्वर सानुनासिक भी होते है तो यह गलत नहीं होगा । अँ आँ इँ ईँ उँ ऊँ एँ ऐँ ओँ औँ इन स्वरों को लिखते समय हूँ चन्द्रबिन्दु( ँ ) का इस्तेमाल करते है । यह स्वर का गुण है । व्यंजनों के साथ सानुनासिक स्वर मात्रा के रूप मे आते है । जैसे काँच,सूँघ आदि ।
इन्हे भी जानें –Phonology(Varna vichar) Learn 2 fundamental units of Hindi
सामान्य स्वर | सानुनासिक स्वर | उदाहरण |
अ | अँ | अँगूठी |
आ | आँ | आँधी |
इ | इँ | सिंचाई |
ई | ईं | कहीं |
उ | उँ | ऊँगली |
ऊ | ऊँ | पूँछ |
ए | एँ | कहें |
ऐ | ऐं | मैं |
ओ | ओं | लड़कियों |
औ | औं | औंधा |
अनुस्वार और अनुनासिकता का प्रयोग तथा सही जगह पर इस्तमाल शुद्ध लेखनी और शुद्ध उच्चारण के लिए बहुत जरूरी है।
वर्ण विच्छेद- शब्द या ध्वनि समूह को अलग अलग करने को वर्ण विच्छेद कहते है। जैसे- चंचल =च्+अ +ञ+च्+अ +ल् +अ आदि को अलग अलग करने को वर्ण विच्छेद कहते हैं।
आचार्य | आ +च्+आ +र् +य् +अ |
स्थूल | स् +थ् +ऊ +ल् +अ |
संयम | स् +अ +म् +य् +म् +अ |
रंग | र् +अ +ड् +ग् +अ |
हँसी | ह् +अँ +स् +ई |
उच्चारण संबंधी कुछ महत्वपूर्ण बातें –
अगर शब्द के अंत मे दीर्घ स्वर है और वचन,अवयव आदि के परिवर्तन से कुछ जोड़ा जाता है तो दीर्घ स्वर हस्व स्वर मे बदल जाता है । जैसे -दवाई -दवाईया ,बहू -बहुएँ । हिन्दी मे बहुत सी भाषाओ के शब्द आए है । जैसे अंग्रेजी,अरबी,फारसी । हिन्दी मे तो नुक्ते का प्रयोग नहीं होता है पर कोई कोई शब्द मे नुक्ता का प्रयोग अनिवार्य है जैसे -फन/फ़न सजा/सज़ा । हिन्दी मे संस्कृत के बहुत से शब्द का समावेश हुआ है। इसलिए बहुत से शब्दों को बिना हल् चिन्हों के लिखना सही होगा,जैसे -महान,विद्वान आदि। शुद्ध लिखने के लिए वर्तनी का शुद्ध होन अति आवश्यक है। कुछ शब्दों के शुद्ध रूप के बारे में जाने।
अशुद्ध | शुद्ध |
धनुश | धनुष |
प्रशाद | प्रसाद |
नमसकार | नमस्कार |
क्रपा | कृपा |