Samas-समास किसे कहते है?
स्वागत है दोस्तों Samas (समास ) के इस पोस्ट में,समास हिंदी व्याकरण की प्रमुख शाखा है,जो शब्द रचना के अंतर्गत आती है। इसे हम तीन भागों में विभक्त करते हैं। १ उपसर्ग २ प्रत्यय ३ समास। आज के इस भाग में हम समास (Samas ) को समझने का प्रयास करेगे। कुछ शब्द देखते हैं जैसे-
- पुस्तकालय- पुस्तक के लिए आलय
- विद्यार्थी- विद्या का अर्थी
- अध्ययनसामग्री- अध्ययन के लिए सामग्री
- ज्ञानवृद्धि- ज्ञान की वृद्धि
- प्रचार-प्रसाद- प्रचार और प्रसार
ऊपर लिखे शब्दों का अर्थ दोनों में एक समान है। परन्तु बांए तरफ लिखे शब्दों को बोलने तथा समझने में सरलता महसूस होती है। इसमे समय तथा परिश्रम की भी बचत होती है,अर्थात किसी शब्द समूह को सरल संक्षिप्त रूप में प्रदर्शित करने को ही समास कहते है। समास निर्माण की प्रक्रिया में शब्दों में परस्पर कुछ संबंध अवश्य होना चाहिए।
जब दो या दो अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाया जाता है। तो उस प्रक्रिया को समास कहते हैं।
समस्तपद किसे कहते हैं?
समासयुक्त पद को समस्तपद कहते हैं। समस्त पद को अलग-अलग यानी विग्रह करने पर दो पद बन जाते हैं- पूर्वपद और उत्तरपद। जैसे- प्रतिदिन- विग्रह करने पर पूर्वपद प्रति और उत्तरपद दिन है। समास में कभी पूर्व पद प्रधान होता है तो कभी उत्तर पद।
Samas -समास के कितने भेद होते हैं
इसको छः भागों में बांटा गया है।
- १ अव्ययीभाव समास
- २ तत्पुरुष समास
- ३ कर्मधारय समास
- ४ द्विगू समास
- ५ द्वंद समास
- ६ बहुव्रीहि समास।
अव्ययीभाव – इस समास में, दो शब्दों से मिलकर जो शब्द बनता है, वह अव्यव यानी क्रिया विशेषण का काम करता है, इसलिए इसे अव्ययीभाव समास कहते है। अव्ययीभाव समास में पहला पद प्रधान होता है। और यह अवयव होता है; जैसे- प्रतिदिन, यथाशक्ति।
कई बार शब्दों की आवृत्ति के रूप में भी अव्ययीभाव समास का प्रयोग होता है। जैसे- रातों-रात, दिनोंदिन। पुनरुक्ति होने पर भी अव्ययीभाव समास माना जाता है। जैसे- जल्दी-जल्दी,साफ-साफ,गली गली।
कभी-कभी अव्ययीभाव समास में मूल शब्द में उपसर्ग जोड़कर भी शब्द रचना की जाती है जैसे बे(उपसर्ग )+ ईमान(मूल शब्द )= बेईमान (समस्त पद)।
समस्तपद | विग्रह |
आमरण | मरण तक |
यथाशीघ्र | जितना शीघ्र हो सके |
भरपेट | पेट भरकर |
प्रत्यक्ष | आँखों के सामने |
तत्पुरुष समास- जिन शब्दों के पूर्वपद गौण और उत्तरपद प्रधान होता है। तथा दोनों शब्दों के बीच में आने वाली विभक्ति चिह्न का लोप हो जाता है। एसे समास को तत्पुरुष समास कहते है। इसे विभक्ति चिन्ह के आधार पर इसे 6 भागों में बांटते हैं।
इन्हें भी जानें –Pronunciation and orthography- Learn 12 matra chinh
तत्पुरुष समास के प्रकार
- १ कर्म तत्पुरुष समास– इस प्रकार के समास में ‘को’ कारक चिन्ह का लोप हो जाता है; जैसे यश प्राप्त- यश को प्राप्त, ग्रामगत- ग्राम को गत, गगनचुंबी- गगन को चूमने वाला।
- २ करण तत्पुरुष समास- करण तत्पुरुष समास में ‘से’ कारक चिन्ह का लोप हो जाता है; जैसे- प्रेमातूर- प्रेम से आतुर, कष्टसाध्य -कष्ट से साध्य, हस्तलिखित -हाथ से लिखित।
- ३ संप्रदान तत्पुरुष- इस प्रकार के समास में कारक चिन्ह ‘के लिए’ का लोप हो जाता है;जैसे रसोईघर -रसोई के लिए घर राहखर्च -राह के लिए खर्च सत्याग्रह -सत्य के लिए आग्रह।
- ४ अपादान तत्पुरुष -इसमें ‘से’(अलग होने का भाव ) कारक चिन्ह का लोप होता है। देश निकाला -देश से निकाला, रोगमुक्त -रोग से मुक्त, लक्ष्यहीन -लक्ष्य से हीन
- ५ अधिकरण तत्पुरुष– में या पर कारक चिन्हों का लोप हो जाता है; जैसे-शरणागत-शरण मे आगत, आपबीती-आप पर बीती, जलमग्न-जल मे मग्न।
- ६ सम्प्रदान तत्पुरुष -इसमें का,के,की विभक्ति चिन्ह का लोप हो जाता है;जैसे-रणवीर-रण का वीर, राजकुमार-राज का कुमार, सेनापति-सेना का पति।
कर्मधारय,द्विगु,द्वंद्व समास–
3 कर्मधारय समास- इनके दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का सम्बन्ध होता है। जैसे-
समस्तपद | विग्रह | समस्तपद | विग्रह |
नीलांबर | नीला है जो अंबर | कमलनयन | कमल के समान नयन |
महात्मा | महान है जिसकी आत्मा | रामरत्न | राम के समान रत्न |
महाजन | महान है जो जन | मुखचंद्र | चंद्र के समान मुख |
महादेव | महान है जो देव | चरण -कमल | कमल रूपी चरण |
नीलगगन | नीला है जिसका गगन | वचनामृत | अमृत समान वचन |
4 द्विगु समास-इसे समझना बहुत आसान है। इसका पूर्वपद संख्यावाची होता है,और उतरपद विशेष्य होता है। इसके अलावा यह समूहवाची भी होता है। जैसे-
समस्त पद | विग्रह |
पंचवटी | पांच वटो का समाहार |
चौराहा | चार राहों वाला |
चतुर्भुज | चार भुजाओं वाला |
त्रिफला | तीन फलों का मिश्रण |
5 द्वंद्व समास – इसमें दोनों पद प्रधान होते है। इस समास में संयोजक चिन्ह(-) लगा रहता है। विग्रह करने पर ‘और’ ‘एवं’ ‘तथा’आदि लगाया जाता है; जैसे-
समस्तपद | विग्रह |
भाई-बहन | भाई और बहन |
सगा -संबंधी | सगा और संबंधी |
लेन-देन | लेना और देना |
सुख -दुःख | सुख और दुःख |
6 बहुव्रिहि समास- इसमें दोनों पद गौण रहता है,तथा कोई अन्य पद प्रधान रहता है। इस तीसरे प्रधान पद का ज्ञान संदर्भ से ही होता है; जैसे-उदारह्रदय-उदार है हृदय जिसका,दशानन-दस है आनन जिसका, चक्रधर-चक्र धारण करने वाला (विष्णु)
समस्तपद | विग्रह |
पीतांबर | पीला है अंबर जिसका |
श्वेतांबर | श्वेत है जिसका अंबर |
चतुर्वेदी | चार वेद पढ़ने वाला |
दशानन | दस सिरों वाला |
समास विग्रह संबंधी महत्वपूर्ण बातें-
एक ही समस्त पद कर्मधारय/द्विगु या फिर बहुव्रिहि भी हो सकते है। इसलिए वाक्य के अनुरूप समास की पहचान करनी चाहिए। यदि वाक्य न हो तो समस्तपद का जिस तरह विग्रह किया जाए,उसी के अनुसार समास की पहचान करनी चाहिए। जैसे-दशानन का विग्रह-दस आनन का समूह इसका समास बहुव्रीहि गलत होगा। इसके विग्रह के अनुरूप समास का नाम द्विगु होना चाहिए। कुछ और अन्य उदाहरण से समझे।
समस्तपद | विग्रह | समास भेद |
चौमास | चार मासों का समूह चार मास विशेष(वर्षा ऋतु ) | द्विगु बहुव्रीहि |
नीलकंठ | नीला है जो कंठ नीला है कंठ जिसका (शिव) | कर्मधारय बहुव्रीहि |
महात्मा | महान है जो आत्मा महान है आत्मा जिसकी (व्यक्ति विशेष) | कर्मधारय बहुव्रीहि |
दोस्तों आज के इस भाग में हमने समास किसे कहते है तथा समास के भेद के बारे में जाना। आशा है दोस्तों आपको इसे समझने में आसानी हुई होगी,आपके सुझाव का इंतजार रहेगा धन्यवाद।