हरिहर काका-पाठ का सारांश
शहर आरा से 40 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव में हरिहर काका रहते थे। हरिहर काका निसन्तान व्यक्ति थे। हरिहर काका ने दो शादी की थी परंतु बिना संतान सुख दिए उनकी दोनों पत्नियों स्वर्ग सुधार गई। वैसे उनका भरा पूरा संयुक्त परिवार है।
हरिहर काका के चार भाई है सब की शादी हो चुकी है और सभी बाल बच्चेदार है हरिहर काका के परिवार के पास कुल 60 बीघे की खेत है प्रत्येक भाई के हिस्से में पंद्रह पंद्रह बीघे खेत आई । हरिहर काका के हिस्से में भी 15 बीघे खेत है जिस पर खेती का कार्य उनके भाइयों के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
.हरिहर काका के तीनों भाई उनकी पत्नियों और बच्चे उनकी देखभाल करते हैं। उनके भाइयों द्वारा यह सीख दी गई थी कि वह हरिहर काका की अच्छी तरह सेवा करेंगे समय से नाश्ता खाना देगे, किसी बात की तकरीर ना होने देगे। सभी परिवार के सदस्य काका की तबीयत खराब हो जाने पर चिंतित हो जाते थे। काका की इच्छा अनुक्षा का भी ध्यान रखा जाता था। उन सबके मूल में काका की जमीन थी।
गांव में ठाकुर बारी थी। जिनमें लोगों को बहुत श्रद्धा थी। उसे धार्मिक स्थल पर साधु संतों का आगमन होता रहता था। वहां एक मंदिर बने हुए थे उसे मंदिर की देखभाल के लिए महंत जी पुजारी नियुक्त किए गए थे। काका का ठाकुरबाड़ी में आवा गमन बना रहता था। काका भी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। महंत जी से काका प्रारंभ में बहुत प्रभावित थे।वह उनके पास बैठकर धार्मिक एवं पारिवारिक चर्चाएं करते थे।
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किसी तरह से महंत जी को काका की जमीन के विषय में ज्ञात हो जाता है उन्होंने काका को धर्म दान पुण्य की बात समझ कर ठाकुरबाड़ी के नाम जमीन करने का आग्रह किया और इधर हरिहर काका भी वे समझ गए कि महंत जी जमीन के कारण ही उनको इतना सम्मान देते हैं।
कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो महंत जी ने साम दाम दंड भेद की नीति को ध्यान में रखकर एक दिन काका को उनके घर से अपने आदमियों के द्वारा उठा लिया और जबरदस्ती कागज पर अंगूठे के निशान लगवा दिए।
खबर लगने पर उनके भाई पुलिस को लेकर ठाकुरवाडी गए और वहां से बुरी हालत में काका की जान बचाकर अपने घर लाए। ठाकुरबारी से लौटने के बाद काका का ठाकुरबाड़ी के महंत जी के ऊपर विश्वास उठ गया और उन्होंने ठाकुरबाड़ी के महंत जी के ऊपर मुकदमा दायर कर दिया, जिसमें उन्होंने जबरदस्ती अंगूठे के निशान लगाए थे।
सीधे-साधे भोले भाले हरिहर काका चतुर और ज्ञानी हो चले थे उन्हें आभास हो गया कि उनका सुरक्षा और आदर अपने भाइयों से ही मिल सकती है। वह भी तब तक जब तक कि उनकी जमीन उसके पास है परिवार में रहते हुए काका का समय बीतने लगा लेकिन भाइयों की गिद्ध दृष्टि उनकी जमीन पर थी। वह चाहते थे, कि काका यह जमीन जीते जी उनके नाम कर दे पर काका जब न माने तो, भाइयों ने महंत जी से भी ज्यादा विकराल रूप धारण कर लिया।
काका को बहुत सारी यातनाएं देना शुरू कर दी। उन्हें जान से मारने के लिए तैयार हो गए। वह कहते थे सीधे मन से कागजों पर हस्ताक्षर करो नहीं तो मारकर घर के अंदर ही गाड़ देंगे। काका द्वारा मना करने पर उनके साथ मारपीट की गई। इसकी भनक ठाकुर वाली के महंत को हुई तो हुए तुरंत पुलिस ले हरिहर काका के घर पहुंचे। पुलिस को देखकर परिवार वाले तो भाग गए लेकिन हरिहर काका बच गए।
हरिहर काका ने पुलिस को बताया कि भाइयों ने जबरदस्ती कागजों पर अंगूठे के निशान ले लिए हैं। हरिहर काका ने अपने लिए सुरक्षा की मांग की इसके बाद में परिवार से अलग रहने लगे और सेवा के लिए एक नौकर रख लिया।
गांव वाले भी उन पर अपनी जमीन परिवार वालों के नाम व कुछ गांव वाले ठाकुरवाडी के नाम करने का दवाब बनाने लगे। पुलिस वाले उनके पैसों पर मौज कर रहे थे। काका मानसिक तनाव के कारण गूंगेपन का शिकार हो गए और रिक्त आंखों से आसमान को ताकते रहते।
हरिहर काका-पाठ का प्रश्न उत्तर-
प्रश्न 1-कथावाचक और हरिहर काका के बीच में क्या संबंध हैऔर इसके क्या कारण है?
उतर – कथा वाचक और हरिहर काका दोनों बहुत अच्छे मित्र थे। बचपन में हरिहर काका कथावाचक को अपने कंधे पर बिठाकर पूरा गांव घुमाया करते थे। कथा वाचक की मां कहती थी कि हरिहर काका के लिए पहला दोस्त कथा वाचक ही थे।
कथा वाचक और हरिहर काका के बीच गहरा प्रेम और स्नेह था। हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे और उनसे खुलकर बातें करते थे। कथावाचक गांव के चंद लोगों का ही सम्मान करते थे। उसमें हरिहर काका एक थे दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं छुपते थे इसी कारण दोनों में उम्र का अंतर होते हुए भी गहरी मित्रता थीl
प्रश्न 2- हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी में क्यों लगने लगे ?
हरिहर काका एक वृद्ध और निसंतान व्यक्ति है अकेलेपन के कारण उन्होंने भाइयों के परिवार का आश्रय लिया। हरिहर काका के हिस्से में 15 बीघा जमीन थी। जिस पर भाइयों के अलावा ठाकुरबाड़ी के महंत की भी दृष्टि थी।
महंत और हरिहर काका के सभी भाई स्वार्थ में डूबे हुए थे। हरिहर काका ने जब निश्चय किया कि वह अपनी जमीन भाइयों और महंत किसी के नाम नहीं लिखेंगे तो उन दोनों ने ही जमीन हरपाने के लिए जबरदस्ती कागज पर अंगूठे के निशान ले लिया। और शारीरिक यातनाएं भी दी।
जमीन हथियाना के लिए वह इतना गिर गए कि उनकी जान लेने की भी कोशिश की। उनकी देखभाल करने का तो केवल उन्होंने दिखावा किया इसी कारण हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक जैसे लगते लगने लगे।
प्रश्न 3- ठाकुरबाड़ी के प्रति गांव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव है उससे उनकी किस मनोवृति का पता चलता है ?
उतर- ठाकुरबाड़ी के प्रति गांव वाले के मन में जो अपार श्रद्धा के भाव थे। उनसे गांव वालों की ठाकुर जी के प्रति अगद विश्वास भक्ति भावना ईश्वर था और एक प्रकार की अंध श्रद्धा जैसी मनोवृति का पता चलता है।
गांव वाले कृषि कार्य से, अपना बचा हुआ समय ठाकुरवाडी में ही बिताते थे। ठाकुरबाड़ी में साधु संतानों का प्रवचन सुनना ठाकुर जी के दर्शन कर अपना जीवन को सार्थक मानते थे।
प्रश्न 4- अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया को बेहतर समझ रखते हैं कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर- अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका अपने अनुभव और विवेक से दुनिया की बेहतर समझ रखते थे। वे महंत जी की बातो और प्रलोभन से प्रभावित नहीं हुए शीघ्र ही उन्हें इस बात का आभास हो गया कि महंत की अपेक्षा उनके भाई भतीजे बेहतर है। इस प्रकार उनका महंत के प्रति विश्वास कम हो गया।
कालांतर में भी यह भी समझ गए कि दोनों ही उनकी आओ भगत जमीन अपने नाम करवाने के लिए कर रहे हैं जैसे ही जमीन अपने नाम लिखवा लेंगे वैसे ही वह उन्हें दूध की मक्खी की तरह निकल फेकेंगे।
वे जमीन जायदाद के मुद्दे पर जागरूक हो गए क्योंकि उन्हें गांव के कुछ लोगों की दुर्दशा का पता था। जिन्होंने जीते जी अपनी जमीन दान में दी या किसी संबंधी के नाम लिखवा दी।
वे सीधे-साधे और भोले भाले की अपेक्षा चतुर और ज्ञानी की तरह दुनिया को समझ गए थे,बाद में चतुर व्यक्ति की तरह उन्होंने निर्णय लिया कि वह अकेले रहेंगे पर जमीन किसी के नाम नहीं लिखेंगे।
प्रश्न संख्या 5- हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा बर्ताव किया?
उतर – हरिहर काका को जबरन उठाकर ले जाने वाले महंत जी थे। जब महंत जी को यह बात पता लगी कि हरिहर काका अपनी जमीन ठाकुरबाड़ी के नाम नहीं कर रहे हैं।
तो उन्होंने जन बल से रात के समय अकेले दलान में सो रहे हरिहर काका को उठ लिया और उनके साथ बहुत बुरा सलूक किया उनके हाथ पैर बांधकर मुंह में कपड़ा ठूस दिया और जबरदस्ती कागज पर अंगूठे के निशान ले लिए और उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया।
प्रश्न संख्या 6- हरिहर काका के मामले में गांव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
हरिहर काका के मामले में गांव वाले दो गुटों में बट चुके थे। एक गुट का मानना था कि हरिहर काका को जमीन ठाकुरबाड़ी के नाम कर देनी चाहिए। वही दूसरे गुटका का मानना था कि उन्हें अपनी जमीन भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए। उनमें से कुछ लोग ठाकुरबारी को पेट पूजा करने का जरिया मांगते थे तथा कुछ ऐसे भी लोग थे जो वास्तव में धार्मिक और अंधविश्वासी प्रवृत्ति के थे।
प्रश्न 7– कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु का वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।
उत्तर-पहले जब हरिहर काका ज्ञान की स्थिति में थे तो मृत्यु से डरते थे। परंतु बाद में ज्ञान होने पर वह मृत्यु का वरण करने को तैयार हो जाते हैं इसलिए लेखक ने ऐसा कहा क्योंकि काका कहानी में दोनों ही परिस्थितियों से गुजरते हैं जब काका को ज्ञान हो जाता है तो उन्हें वह सब लोग याद आने लगते हैं। जिन्होंने परिवार के मोह में फंसकर अपनी संपती उनके नाम कर दी और बाद में वह तिल तिल मरे।
काका ने सोचा तिल तिल मरने से अच्छा है कि लोग उन्हें एक ही बार में मार दें। महंत और उसके भाई उन्हें डराते धमकाते थे पर उनकी धमकियों का काका पर कोई असर नहीं होता वह मृत्यु को अपनाने को तैयार हो जाते है, उन्हें लगता था की मृत्यु तो एक दिन आनी ही है अतः मृत्यु से व्यर्थ डरना है।